हम अपने पिछले कई लेखों के जरिये आपको केरल की प्राकृतिक सुंदरता से अवगत करा चुके हैं। केरल का शुमार भारत के उन राज्यों में है जो अपनी प्राकृतिक सुंदरता, तटों में फैले नारियल के पेड़ों, बैकवॉटर्स, समुंद्र और आयुर्वेद के जरिये लगातार देश के अलावा दुनिया भर के पर्यटकों को अपनी तरफ आकर्षित कर रहा है। इसी क्रम में आज हम आपको अवगत कराने जा रहे हैं केरल के एक ऐसे डेस्टिनेशन से जिसे स्थानीय लोगों के अनुसार परम्पराओं का एक मिश्रण कहा जाता है।
जी हाँ, हम बात कर रहे हैं अडूर की। केरल के पथानामथिट्टा जिले में स्थित अडूर एक पारंपरिक शहर है जो अपनी संस्कृति, मंदिरों, त्योहारों और स्थानों के लिए जाना जाता है। अडूर शहर, तिरुवनंतपुरम से लगभग 100 किमी. की दूरी पर और एर्नाकुलम से लगभग 140 किमी. की दूरी पर स्थित है। यह सामरिक स्थिति इसे दोनों शहरों के लिए प्रवेश द्वार बनाती है।
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अडूर का इतिहास कई प्राचीन मंदिरों के साथ पनपता है।शहर के विभिन्न भागों में स्थित अनेक मंदिरों ने उत्सवों द्वारा अपनी अनूठी संस्कृति के उदभव के लिए बड़े पैमाने पर योगदान दिया है।
यदि आप इस सहारा के टूरिज्म पर एक नज़र डाले तो मिलेगा कि पार्थसारथी मंदिर जिसके इष्ट देव भगवान कृष्ण हैं, इस शहर के प्रमुख आकर्षणों में से एक है। पंडलम् महादेव मंदिर, पट्टूपुराक्कल देवी मंदिर, पुतेनकविल भगवती मंदिर और श्रीनारायणपुरम महाविष्णु मंदिर अडूर के प्रमुख धार्मिक स्थान हैं। आइये इस लेख के जरिये थोडा गहराई से जानें कि अपनी अडूर यात्रा पर ऐसा क्या है जो आपको अवश्य देखना चाहिए।
पंडलम् पैलेस
अचंकोविल नदी के किनारे स्थित पंडलम् महल पंडलम् के राजसी परिवार का घर था। यह महल पंडलम् में अडूर से 10 किमी. की दूरी पर स्थित है। इस महल के राजसी परिवार को केरल के इतिहास में महत्वपूर्ण स्थान प्राप्त है। ऐसा विश्वास है कि वे मदुरै के पांड्य राजाओं के वंशज हैं। पंडलम् महल का सिर्फ ऐतिहासिक महत्व ही नहीं है बल्कि इसका धार्मिक महत्व भी है। किवदंतियों के अनुसार भगवान अय्यप्पा राजा पंडलम् के यहाँ पैदा हुए थे। अचंकोविल नदी के किनारे एक मंदिर स्थित है जो भगवान अय्यप्पा को समर्पित है। यह मंदिर प्रसिद्द सबरीमला मंदिर के समान है। इस क्षेत्र में प्रमुख रूप से मनाया जाने वाला त्यौहार मकराविलाक्कू है।
पंडलम् महादेव मंदिर
पंडलम् महादेव मंदिर केरल के प्राचीन मंदिरों में से एक है जो अचंकोविल नदी के किनारे स्थित है। पंडलम् शहर में स्थित यह प्राचीन धार्मिक स्थान अडूर से 10 किमी. की दूरी पर स्थित है। प्रमुख रूप से अपने प्राकृतिक जुलूस मार्ग के लिए जाने जाने वाले यह पवित्र स्थान प्रतिवर्ष सैंकडों भक्तों को अपनी ओर आकर्षित करता है। इस मंदिर के प्रमुख देव भगवान शिव हैं। मंदिर के परिसर में भगवान गणेश, माया - एक्षी अम्मा, भगवान अय्यप्पा, नागराजा, भगवान सुब्रमनियन, ब्रम्ह राक्षस और राक्षसों की मूर्तियां हैं। नवंबर और दिसंबर के महीनों के दौरान इस मंदिर में 10 दिन का एक उत्सव मनाया जाता है।
पार्थसारथी मंदिर
पार्थसारथी मंदिर केरल के प्राचीन कृष्ण मंदिरों में से एक है जिसके कारण यात्री अडूर की यात्रा करने आते हैं। भगवान पार्थसारथी जो भगवान विष्णु के एक अवतार हैं उनकी पूजा इस मंदिर में की जाती है। पार्थसारथी मंदिर में इसके अलावा भगवान गणेश और भगवान शिव की भी पूजा की जाती है। इस मंदिर में प्रतिवर्ष 10 दिनों तक एक त्यौहार मनाया जाता है जिस दौरान संपूर्ण केरल से लोग यहाँ आते हैं। इस त्यौहार का प्रमुख आकर्षण गजमेला है जो उत्सव के अंतिम दिन मंदिर के परिसर में मनाया जाता है। मंदिर के सामने नौ सुसज्जित हाथी लाए जाते हैं जो दर्शकों के लिए एक मनोरम दृश्य प्रस्तुत करते हैं और जुलूस में हिस्सा लेते हैं।
श्रीनारायणपुरम महाविष्णु मंदिर
श्रीनारायणपुरम महाविष्णु मंदिर अदूर का एक धार्मिक स्थान है जिसका महान धार्मिक महत्व हैं। यह मंदिर अदूर शहर से 5 किमी. की दूरी पर स्थित एक छोटे परंतु सुंदर गाँव मानकला में स्थित है। श्रीनारायणपुरम महाविष्णु मंदिर एक प्राचीन मंदिर है जिसके प्रमुख देवता भगवान विष्णु हैं। त्योहारों के मौसम के दौरान यह मंदिर संपूर्ण केरल से लोगों को अपनी ओर आकर्षित करता है। इस मंदिर में मुख्य रूप से मनाया जाने वाला त्यौहार दसावताराचरतु त्यौहार है। यह त्यौहार 10 दिन तक चलता है और प्रतिवर्ष मनाया जाता है।
त्रिचेंदे मंगलम महादेव मंदिर
त्रिचेंदे मंगलम महादेव मंदिर पेरिंगानद नाम के छोटे से गाँव में स्थित है। यह अडूर का प्रमुख आकर्षण है और शहर से 5 किमी. की दूरी पर स्थित है। इस मंदिर के इष्ट देव भगवान शिव हैं। त्योहारों के मौसम के दौरान अनेक यात्री और भक्त हजारों भक्त यहाँ की यात्रा करते हैं। त्रिचेंदे मंगलम महादेव मंदिर का प्रमुख त्योहार केट्टूकज्ह्चा है। यह त्योहार वर्ष में एक बार मनाया जाता है और मंदिर के आस पास का क्षेत्र विभिन्न उत्सवों और प्रार्थनाओं से जीवंत हो जाता है। केट्टूकज्ह्चा रंगों और उत्साहों से भरा होता है और दर्शकों के लिए एक सुखद अनुभव प्रस्तुत करता है।
सेंट जॉर्ज ऑर्थोडॉक्स चर्च
सेंट जॉर्ज ऑर्थोडॉक्स चर्च चंदनपल्ली गाँव में स्थित है जो अदूर शहर से लगभग 13 किमी. की दूरी पर है। मूल रूप से 1810 में बना यह चर्च दक्षिण भारत के बड़े चर्चों में से एक है। इस चर्च का नाम सेंट जॉर्ज के नाम पर पड़ा जो इंग्लैंड के संरक्षक संत थे। इस चर्च के मूल निर्माण के बाद से इसका कई बार जीर्णोद्धार किया गया है। नवीनतम नवीकरण में भारतीय - अरबी मूर्तियों का उपयोग किया गया है। इस चर्च की वास्तुकला अदभुत है क्योंकि यह ईसाई, मुस्लिम और हिंदू संरचनाओं का अनुकरण करती है। इसकी मीनारें गॉथिक शैली में बनी हैं और छतें पारसी पैटर्न का अनुसरण करती हैं। इस चर्च का प्रमुख आकर्षण पत्थर का एक क्रॉस (कल्कूरिश) है जिस पर संतों और देवदूतों के चित्रों की नक्काशी की गई है।
सेंट मैरी ऑर्थोडॉक्स सीरियन कैथेड्रल
सेंट मैरी ऑर्थोडॉक्स सीरियन कैथेड्रल अडूर से 15 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है। ज्ञात हो कि ये स्थान अडूर में रहने वाले इसाई समुदाय की आस्था का प्रमुख प्रतीक है। इस चर्च को स्थानीय लोगों के बीच थुम्पमोन वलियापल्ली के नाम से जाना जाता है। इतिहासकारों के अनुसार ये चर्च 717 ईस्वी में बना है। यदि आप अडूर में हों तो इस चर्च की यात्रा अवश्य करें।
कैसे जाने अडूर
फ्लाइट द्वारा - अडूर का निकटतम हवाई अड्डा कोच्चि अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डा है, जो लगभग 140 किमी. की दूरी पर स्थित है। कोच्चि का हवाई अड्डा भारत के सभी प्रमुख हवाई अड्डों जैसे चेन्नई, बैंगलोर, दिल्ली और हैदराबाद से अच्छी तरह से जुड़ा हुआ है। वे लोग जो हवाई मार्ग द्वारा पहुँचते हैं उनके लिए हवाई अड्डे से टैक्सी सुविधा उपलब्ध है।
रेल द्वारा - अडूर का निकटतम रेलवे स्टेशन एर्नाकुलम (125 किमी.) है। एर्नाकुलम प्रमुख रेल मुख्यालय है और यहाँ से देश के सभी प्रमुख भागों के लिए रेल सुविधा उपलब्ध है। वे लोग जो रेल द्वारा यहाँ पहुँचते हैं उनके लिए रेलवे स्टेशन से टैक्सी सेवा उपलब्ध है। पर्यटक एर्नाकुलम से अडूर के लिए बस सुविधा का लाभ उठा सकते हैं।
सड़क मार्ग द्वारा - अडूर विभिन्न प्रमुख शहरों जैसे एर्नाकुलम, तिरुवनंतपुरम और कोच्चि से रास्ते और बसों द्वारा अच्छी तरह से जुड़ा हुआ है। कायमकुलम, पुनलूर, पथानामथिट्टा, कोट्टारक्करा, गुरुवायूर, चवर, कोल्लम और करुनागपल्ली भी रास्ते द्वारा अडूर से जुड़े हुए हैं। बैंगलोर से अडूर तक लक्ज़री बस सुविधा भी उपलब्ध है।