वन क्षेत्र और हरियाली से भरे ओडिशा राज्य में पर्यटकों के लिए बहुत कुछ है। ओडिशा राज्य कोणार्क के सूर्य मंदिर और पुरी के जगन्नाथ मंदिर के लिए प्रसिद्ध है। इस राज्य की विरासत और आदिवासी संस्कृति बेहद अनूठी है।
ओडिशा के स्वादिष्ट व्यंजन आपको इस जगह से प्यार करने पर मजबूर कर देंगें। चट्टानों की नक्काशी, मंदिर, झीलें और बौद्ध धर्म से जुड़ी संरचनाएं इस स्थान का मुख्य आकर्षण हैं। हालांकि, ओडिशा में खानपान और स्थलों से ज्यादा और भी बहुत कुछ है। आइए जानते हैं ओडिशा राज्य के लोकप्रिय त्योहारों के बारे में -:
जगन्नाथ रथ यात्रा
पुरी में जून और जुलाई के महीने में बड़ी धूमधाम से जगन्नाथ रथ यात्रा निकाली जाती है। यह ओडिशा का वार्षिक उत्सव है। इस उत्सव में भगवान कृष्ण को भगवान जगन्नाथ के रूप में उनके भाई बलराम जी और बहन देवी सुभद्रा के साथ पूजा जाता है।
जगन्नाथ मंदिर के पास ही इन तीनों देवी-देवताओं के लिए अलग-अलग रथ सजाए जाते हैं। ये रथ यात्रा पुरी में जगन्नाथ मंदिर से गुंडिचा मंदिर तक निकलती है। इस उत्सव का मुख्य आकर्षण ये रथ ही होते हैं। 26 फीट ऊंचे रथों की बड़ी ही खूबसूरत सजावट की जाती है। इनमें 14 से 18 पहिए होते हैं।PC: Krupasindhu Muduli
छऊ उत्सव
हर साल अप्रैल के महीने में चैत्र पर्व छऊ उत्सव मनाया जाता है। इस तीन दिन के लंबे उत्सव को ओडिशा की भुईयां जनजाति मुख्य रूप से मनाती है। इस उत्सव का प्रमुख आकर्षण ओडिशा के लोगों द्वारा किए जाने वाला छऊ नृत्य है।
छऊ नृत्य एक अर्द्ध-शास्त्रीय रूप है जिसमें मार्शल आर्ट और लोक नृत्य की झलक होती है। इस नृत्य में लोग एक मुखौटा या छऊ पहनकर नृत्य करते हैं। छऊ शब्द छाया से बना है जिसका अर्थ परछाई होती है। नृत्य के अलावा इस उत्सव में संगीत, नृत्य, नाट्क आदि का आयोजन भी किया जाता है।PC: Skasish
कोणार्क नृत्य उत्सव
1986 में शुरु हुए कोणार्क नृत्य उत्सव में शास्त्रीय नृत्य के कई प्रकारों को कलाकारों द्वारा एक ही मंच पर प्रस्तुत किया जाता है। इस प्रकार, इन शास्त्रीय नृत्य रूपों को अंतरराष्ट्रीय पहचान मिली है।
हर साल इस उत्सव को 19 से 23 फरवरी के बीच मनाया जाता है। इस उत्सव में राष्ट्रीय के साथ-साथ अंर्तराष्ट्रीय कलाकारों द्वारा कई तरह के नृत्य जैसे मणिपुरी, भरतनाट्यम, कुचिपुड़ी, ऊडीसी आदि पेश किए जाते हैं।PC: Thejas Panarkandy
दुर्गा पूजा
सितंबर से अक्टूबर महीने के बीच मां दुर्गा का प्रसिद्ध पर्व दुर्गा पूजा पूरे भारत में बड़ी धूमधाम से मनाया जाता है। ओडिशा में इस उत्सव के आयोजन कि लिए पंडाल लगाए जाते हैं जहां मां दुर्गा की प्रतिमा की पूजा की जाती है। इस पूजा में मां दुर्गा की प्रतिमा के साथ-साथ मां सरस्वती और मां लक्ष्मी की भी पूजा की जाती है।
तीन से चार दिन चलने वाला यह त्योहार हिंदुओं का विशेष पर्व माना जाता है। इस उत्सव का मुख्य आकर्षण पंडाल की सजावट होती है। इस उत्सव को भुवनेश्वर और कट्टक में बड़ी धूमधाम से मनाया जाता है।
PC: PROMatthias Rosenkranz
लिंगा महोत्सव
युद्ध पर शांति की विजय के रूप में कलिंगा महोत्सव मनाया जाता है। इसमें भारत के मार्शल आर्ट्स द्वारा सम्राट अशोक के शासन में लड़े गए युद्ध में मारे गए सैनिकों को श्रद्धांजलि दी जाती है। ये उत्सव हर साल फरवरी के महीने में मनाया जाता है।
ये उत्सव भारत की संस्कृति को बढ़ावा देता है। देशभर में इस उत्सव को बड़ी धूमधाम से मनाया जाता है। यहां पर प्रस्तुत किए जाने वाले मार्शल आर्ट में ओडिशा के छो और पाइका, मणिपुर का थांग ता और केरल का कलारिपयाट्टु आदि हैं।PC: Elroy Serrao
मकर मेला
मकर मेले को मकर संक्रांति के रूप में मनाया जाता है। ये त्योहार देशभर में बड़ी धूमधाम से मनाया जाता है। हालांकि, देश के हर राज्य में इस त्योहार को अलग तरीके से मनाया जाता है। ओडिशा में भी इस त्योहार को बड़े ही अनोखे तरीके से मनाया जाता है।
इस उत्सव का मुख्य हिस्सा मकरा छौला है जोकि गुड़,, नए चावल और नारियल से बना अधपका व्यंजन है। इस उत्सव का आयोजन हर साल देशभर में जनवरी के महीने में मनाया जाता है।
PC:Subhashish Panigrahi
अंतर्राष्ट्रीय सैंड आर्ट फेस्टिवल
हज़ारों लोग ओडिशा के चंद्रभागा तट पर अंतर्राष्ट्रीय सैंड आर्ट फेस्टिवल का आयोजन किया जाता है। ये तट कोणार्क से 3 किमी दूर स्थित है। देश और विदेश से सैंड आर्टिस्ट इस उत्सव में हिस्सा लेने आते हैं।
इस उत्सव को अभी कुछ साल पहले ही साल 2015 में शुरु किया गया है। इस उत्सव को हर साल 1 से 5 दिसंबर के बीच मनाया जाता है।