हम भले किसी चीज में यकीन करें या ना करें, लेकिन भगवान में विश्वास जरुर करते हैं। भारत में आस्था इतनी है कि, आप यहां कदम कदम पर मंदिर आदि देख सकते हैं। भारत में आस्था का महत्व इतना है कि, लोग दूर देश विदेशो से आकर भारत के मन्दिरों में मत्था टेकते हैं।
कुछ मंदिर भारत में अनंतकाल से हैं। जी हां, कई ऐसे मंदिर भी यहां स्थित जिनका निर्माण त्रेता युग और द्वापुर युग में हुआ है ।
भाव-भक्ति में लीन उत्तरभारत के ये प्रसिद्ध मंदिर
अब इस बात कितना सच है ये तो हम नहीं जानते हैं, लेकिन इसी क्रम में आज हम आपको बताने जा रहे हैं, महाभारत काल के कुछ मन्दिरों के बारे में। बताया जाता है कि, इन मंदिरों का निर्माण पांडवों ने12 वर्ष के अज्ञातवास के दौरान किया था।
केदारनाथ ज्योतिर्लिंग
बारह ज्योतिर्लिंगों में से एक केदारनाथ उत्तराखण्ड में हिमालय पर्वत की गोद में स्थित है। यहां महाभारत के युद्ध के बाद पांडव रुठे महादेव को मनाने पहुंचे थे। भैस बने महादेव को जब भीम ने पकड़ लिाया तो भैंस के पीठ के आकार में यहां शिवलिंग प्रकट हो गया। बाद में शंकराचार्य ने केदारनाथ को प्रतिस्थापित किया।PC:Naresh Balakrishnan
महादेव मंदिर काँगड़ा
हिमाचल प्रदेश के कांगड़ा जिले में खनियारा स्थित प्राचीन ऐतिहासिक अघंजर महादेव मंदिर। पांडु पुत्र अर्जुन ने महाभारत युद्ध से पूर्व भगवान श्रीकृष्ण के मार्गदर्शन पर इस स्थान पर बाबा भोले की तपस्या कर उनसे एक अस्त्र प्राप्त किया था।
लोधेश्वर महादेव मंदिर
बाराबंकी में रामनगर तहसील में स्थित पांडव कालीन लोधेश्वर महादेव मंदिर की स्थापना पांडवो ने अज्ञातवास के दौरान की थी। पूरे देश से लाखो श्रद्धालू यहाँ कावर लेकर शिवरात्रि से पूर्व पहुंचकर शिवलिंग पर जल चढ़ाते हैं।
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मुक्तेश्वर शिव मंदिर
मुक्तेश्वर मंदिर यहां भगवान शिव के साथ ब्रह्मा, विष्णु, पार्वती, हनुमान और नंदी जी भी विराजमान हैं। भगवान शिव के इस मंदिर में ऐसा विश्वास है कि यहां देवी और राक्षस के बीच युद्ध हुआ था।
स्थासनेश्वर मंदिर
स्थासनेश्वर मंदिर भगवान शिव का मंदिर है। कुरुक्षेत्र में स्थित है। ऐसी मान्यता है कि इस मंदिर में पाण्डवों और भगवान कृष्ण नें युद्ध से पहले पूजा-अर्चना की थी। ऐसी मान्यता है कि स्वयं भगवान शिव यहाँ वास करते हैं और ‘महाशिवरात्रि' की रात को तांडव करते हैं।
केरल महादेव मंदिर
ऐसी मान्यता है कि जब पांडवों ने अपना राजपाट राजा परीक्षि त को सौंप दितया तीर्थयात्रा पर निरकले तो उस दौरान वह केरल आए थे। केरल के पंच पांडव मंदिरों के बारे में कथा है कि तीर्थयात्रा के दौरान पांडवों ने इन मंदिरों का निरर्माण किेया था।PC: Ssriram mt
गंगेश्वर महादेव मंदिर - दीव
यह मंदिर भारत के संघ शासित क्षेत्र दीव से लगभग 3 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है, जहां पांच शिवलिंग एक साथ स्थापित हैं।कहा जाता है पांडवो ने अपने वनवास और अज्ञातवास के दौरान यहां पर इन शिवलिंगों की स्थापना की थी।
कालीनाथ शिव मंदिर - हिमाचल प्रदेश
कालीनाथ शिव मंदिर हिमाचल प्रदेश की कांगड़ा घाटी में स्थित है. यहां स्थापित शिवलिंग को कालीनाथ महाकालेश्वर के नाम से पूजा जाता है।कहा जाता है कि पांडवों ने इसकी स्थापना लाक्षागृह से जीवित बचने के बाद की थी।
लाखामंडल मंदिर - उत्तराखंड
लाखामंडल के बारे में मान्यता है कि लाक्षागृह से बच निकलने के बाद पांडव बहुत समय तक यहां रुके थे। इसी दौरान उन्होंने यहां एक शिवलिंग की स्थापना की थी।