भारत एक धार्मिक देश है। भारत के मंदिरों में अक्सर चमत्कार होते रहते हैं। लेकिन दुनिया में कई ऐसी चीजें हैं जिनका विज्ञान से कोई लेना-देना नहीं है। बहुत सी बातें मनुष्य के विचार और मनुष्य की समझ से दूर हैं।
यह बात आप सब को पता होगी की जहां कहीं भी हनुमान मंदिर या राम मंदिर होता है, वहां बंदरों का झुंड होता है। यह एक आम बात है लेकिन राजस्थान के अजमेर में बजरंगगढ़ के हनुमान मंदिर में कुछ ऐसा है जिस पर आप विश्वास नहीं कर पाएंगें।
यह मंदिर है इस बंदर का घर
बजरंगगढ़ के हनुमान मंदिर में कोई पुजारी नहीं है बल्कि एक बंदर हनुमानजी की पूजा करता है। यह बंदर सुबह मंदिर में हनुमानजी की पूजा करता है और शाम को इस मंदिर की देखभाल करता है। यह बंदर भी सच्चे हनुमान भक्त की तरह तिलक लगाता है और यहां दर्शन के लिए आने वाले भक्तों को आशीर्वाद भी देता है। यह बंदर आरती के दौरान मंदिर में घंटी भी बजाता है। इस बंदर का नाम रामू है। रामू आरती के दौरान मंदिर में रखी घंटियां और झांझ बजाता है और भजन होने पर नृत्य भी करता है। साथ ही जब मंदिर में हनुमान चालीसा का पाठ किया जाता है, तो रामू वहां चुपचाप बैठकर सुनता है।
मंदिर के चौकीदार से है बंदर का खास रिश्ता
बजरंगगढ़ के हनुमान मंदिर के रामू का मंदिर के चौकीदार ओमकार सिंह से काफी करीबी रिश्ता है। ओमकार सिंह का कहना है कि रामू मदारी को छोड़कर करीब 8 साल पहले यहां आया था। जब वह मंदिर में घूम रहा था, वह बहुत बीमार था। उस दौरान केवल ओमकार सिंह ने ही रामू की देखभाल की। तब से दोनों करीबी दोस्त हैं। मंदिर में आने वाले भक्तों का मानना है कि रामू इस मंदिर के लिए बहुत शुभ है क्योंकि रामू के यहां आने के बाद से यहां आने वाले भक्तों को काफी फायदा हुआ है। लोगों का यह भी कहना है कि रामू बालाजी के रूप में इस मंदिर की रक्षा करते हैं। दरअसल बजरंगगढ़ का यह हनुमान मंदिर अजमेर में स्थित है। इस प्राचीन मंदिर का यह नजारा वाकई बहुत ही दुर्लभ है। रामू को देखकर लोग दंग रह जाते हैं। अजमेर स्थित इस मंदिर में हनुमान जी की प्रतिमा का मुख खुला है। मान्यता है कि भक्तों द्वारा दिया गया प्रसाद सीधे बजरंगबली के मुख तक पहुंचता है।
कैसे पहुंचे बजरंगगढ़ हनुमान मंदिर
भारत के पर्यटक स्थल अजमेर जाने के लिए आप हवाई मार्ग, ट्रेन और सड़क मार्ग में से किसी का भी चुनाव कर सकते है। तो आप अपनी सुविधानुसार अपने लिए यात्रा के वाहन का चुनाव भी कर सकते हैं। अजमेर शहर से कई बसों और कैब की मदद से राज्य के विभिन्न हिस्सों से मंदिर तक पहुंचा जा सकता है।