बैंगलोर से वीकएंड पर घूमने के लिए ये सबसे लोकप्रिय जगहों में से एक है। श्रावणबेलागोला बाहुबली की मूर्ति के लिए भी प्रसिद्ध है जोकि दुनिया में सबसे लंबी मोनोलिथिक स्टोन की मूर्ति है। इसकी लंबाई 57 फीट है और इसे ग्रेानाइट की एक ही चट्टान को काटकर बनाया गया है।
कूर्ग पर्यटन - पहाडि़यों और पेड़ों की नगरी
समुद्रतल से 3347 फीट की ऊंचाई पर पहाड़ी की चोटि पर बसा है गोमतेश्वर मंदिर। इस पर्वत को विंध्यागिरि पर्वत कहते हैं और इसे इंद्रागिरि के नाम से भी जाना जाता है। बाहुबली की ये नग्न मूर्ति काफी शानदार है।
श्रावणबेलगोला
शुरुआती बिंदु : बैंगलोर
गंतव्य : श्रावणबेलागोला, जिला हसन
आने का सही समय : सितंबर से मार्च
रूट मैप :
बैंगलोर से श्रावणबेलागोला की ट्रिप
वायु मार्ग द्वारा : बैंगलोर में स्थित केंपेगोवड़ा इंटरनेशनल एयरपोर्ट श्रावणबेलागोला से सबसे नज़दीक है। यहां से आप टैक्सी ले सकते हैं।
रेल मार्ग द्वारा : श्रावणबेलागोला से 50 किमी दूर है हसन रेलवे स्टेशन।
सड़क मार्ग द्वारा : बैंगलोर से श्रावणबेलागोला तक कई बसें चलती हैं। हसन तक बस लेकर आप फिर यहां से श्रावणबेालगोला के लिए बस ले सकते हैं।
अगर आप ड्राइव कर बैंगलोर से श्रावणबेलागोला जाना चाहते हैं तो इन रूट को देखें -:
पहला रूट : बैंगलोर - कुनिगल - यदीयूर - हिरिसवे - श्रावणबेलागोला, एनएच 75 के माध्यम से 2.5 घंटे में 143 किलोमीटर का सफर।
दूसरा रूट : बैंगलोर - मगदी - कुंनिगल - हिरिसवे - एसएच 94 और एनएच 75 के माध्यम से श्रावणबेलागोला। दूरी 172 किमी है और इसमें लगभग 3 घंटे 15 मिनट का समय लगेगा।
तीसरा रूट : बैंगलोर - रामनगर - चन्नापाटना - मंड्या - मेलुकोट - एनएच 275 और एसएच 47 के माध्यम से श्रावणबेलागोला, 3 घंटे 30 मिनट का समय और 173 किमी की दूरी।
बैंगलोर से श्रावणबेलगोला
बाकी दो रूटों के मुकाबले पहला रूट 30 किमी छोटा है। इसमें आपको श्रावणबेलागोला पहुंचने में कम समय लगेगा। हालांकि, ये वीकएंड ट्रिप है इसलिए आपको थोड़ा अधिक समय निकालकर तीसरे रूट से आना चाहिए ताकि रास्ते में पड़ने वाली कई खूबसूरत जगहों को भी आप देख सकें।
में कहीं भी धरशिनिस नाश्ता करने के बाद बैंगलोर से यात्रा शुरु करें। आप चाहें तो रामनगर में रूक कर रामदेवरा बेट्टा पर चढ़ाई या ट्रैकिंग कर सकते हैं।
इस जगह पर मशहूर फिल्म शोले की शूटिंग हुई थी।PC:Vibhorjain
बैंगलोर से श्रावणबेलगोला
पहाड़ी के ऊपर एक मंदिर है जहां लोग ट्रैकिंग से पहले मन्नत मांगते हैं। इसके बाद आता है चन्नापाटना जोकि लकड़ी के खिलौनों और बर्तनों के लिए मशहूर है। इसे टॉय टाउन भी कहा जाता है। कहा जाता है टीपू सुल्तान ने भारतीय कलाकारों को खिलौने बनाना सिखाने के लिए पर्शिया से कलाकारों को यहां बुलाया था।
खिलौनों का ये शहर भारत सरकार के अधीन है। आप यहां से कोई भी खिलौना खरीदकर स्थानीय कलाकारों की सहायता कर सकते है। इन खिलौने में नुकीलापन नहीं है और इन्हें पेंट करने के लिए वेजीटेबल डाई का प्रयोग किया जाता है ताकि बच्चों और नवजातों के लिए ये बिलकुल सुरक्षित रहें।PC:Maddy HC
बैंगलोर से श्रावणबेलगोला
हाइवे पर रूक कर मद्दुर वड़ा और कॉफी जरूर पीएं। इस क्षेत्र का वड़ा सबसे ज्यादा लोकप्रिय है। इसके बाद अगला स्टॉप है मंड्या जोकि चीनी के उत्पादन के लिए मशहूर है।
यहां पर गगनचक्की और भाराचक्की दो लोकप्रिय झरने भी हैं। इसके अलावा यहां पर स्थित दरिया दौलत बाग में टीपू सुल्तान का समर पैलेस है। इस महल पर आप टीपू सुल्तान के काल की झलक देख सकते हैं।
यहां पर टीपू सुल्तान से संबंधित कुछ चीज़ें भी रखी गईं हैं। दरिया दौलत बाग में फोटोग्राफी वर्जित है। अगर आपको पक्षियों को देखना अच्छा लगता है तो आप कोक्करेबेल्लू पक्षी अभ्यारण्य देख सकते हैं। दिसंबर से मार्च के बीच यहां आना सबसे बढिया रहता है क्योंकि इस दौरान यहां कई विदेशी पक्षी भी आते हैं।PC:Koshy Koshy
बैंगलोर से श्रावणबेलगोला
इसके बाद आता है मेलुकोटे। ये छोटा सा शहर चेलुवनारायणस्वामी मंदिर के लिए प्रसिद्ध है। इस मंदिर में चेलुवनारायणस्वामी की पूजा होती है। मान्यता है कि यहां पर भगवान राम और भगवान कृष्ण दोनों ने ही चेलुवनारायणस्वामी की पूजा की थी।
मेलुकोटे से श्रावणबेलागोला 35 किमी दूर है। एसएच 47 से पहुंचने में आपको लगभग 45 मिनट का समय लगेगा।
चंद्रागिरि और विंध्यागिरि नामक दो शानदार पर्वतों से घिरा है बेलागोला तालाब। इस पहाड़ी में अनेक इमारतें मौजूद हैं एवं शहर में कई बसदी यानि जैन मंदिर हैं। गोमतेश्वर का प्रमुख मंदिर विंध्यागिरि पर्वत पर ओदेगल बसदी, त्यागदा कांबा, सिद्धारा बसदी, चेन्नाना बसदी, अखंड हैं।PC:Jaseem Hamza
जैन तीर्थांकार आ
ओदेगल बसदी में जैन तीर्थांकार आदिनाथ, नेमिनाथ और संतिनाथ की मूर्तियां स्थापित हैं। ओदेगल बसदी से ही कुछ कदम की दूरी पर गोमतेश्वर मूर्ति स्थापित है।
गोमतेश्वर प्रथम जैन तीर्थंकार भगवान आदिनाथ के पुत्र थे। भगवान आदिनाथ के अन्य 99 पुत्र भी थे। राजपाट त्यागने पर आदिनाथ के दो पुत्रों बाहुबली और भरत के बीच सिंहासन को लेकर युद्ध छिड़ गया जिसमें बाहुबली की जीत हुई किंतु उन्हें इस जीत से कोई प्रसन्नता नहीं मिली। इसलिए उन्होंने पूरा राजपाट अपने भाई भरत को सौंप दिया और खुद केवलाग्नाना चले गए।
विंध्यागिरि पर्वत से नीचे उतरकर चंद्रागिरि पर्वत की चढ़ाई करें। यहां 14 मंदिर हैं जिनमें चामुंडराय बसदी, चंद्रगुप्त बसदी, चंद्रप्रभा बसदी, कट्टाले बसदी और पार्श्वनाथ बसदी प्रमुख हैं। जैन धर्म को अपनाने के बाद महान राजा चंद्रगुप्त मौर्य ने अपने अंतिम पल श्रावणबेलागोला में ही बिताए थे। उनके पोते अशोक ने उनके लिए चंद्रागिरि पर्वत पर तीसरी शताब्दी में एक बसदी का निर्माण करवाया था।
इस ट्रिप पर आपको इतिहास और संस्कृति को भी जानने का मौका मिलेगा।PC:Vibhorjain