एक अच्छे लोकतंत्र के लिए चुनाव बड़ा महत्त्वपूर्ण कारक है, ये चुनाव तब और भी अधिक महत्त्वपूर्ण हो जाता है जब बात भारत जैसे विशाल लोकतंत्र की हों। ज्ञात हो कि भारत में 16 वें लोकसभा चुनाव का दौर चल रहा है, इस इलेक्शन के बाद भारत को अपना अगला प्रधानमन्त्री मिलेगा। भारत के इस 16 वें लोकसभा चुनाव की अपनी कुछ खास विशेषताएं हैं। इस चुनाव में जहां कांग्रेस भाजपा और आप जैसी प्रमुख पार्टियों के भाग्य का फैसला देश कि जनता करेगी तो वहीँ इस चुनाव से तीसरा मोर्चा भी सत्ता की पारी खेल सकता है। यदि आप 17 अप्रैल को होने वाले चुनाव को ध्यान से देखें तो मिलता है कि ये चुनाव आपके लिए लंबी छुट्टी की सौगात लेके आया है, साथ ही ये चुनाव आपको एक लंबा वीकेंड भी दे रहा है।
अगर इसको पढ़ने के बाद आपको कन्फ्यूजन हो और आप ये सोच रहें हो कि चुनाव और वीकेंड में क्या समानता है तो आपको बता दें कि पांचवे चरण के चुनाव के मद्देनज़र देश के ज्यादातर सरकारी और गैर सरकारी ऑफिसों में छुट्टी है और इसके बाद गुड फ्राइडे, शनिवार और रविवार की भी छुट्टियां हैं। यानी घूमने के लिए चार दिन मतलब वोट का वोट और हॉलिडे की हॉलिडे। अब आप अपना कीमती वोट देकर सरकार चुनिए और घर आकर बैग पैक करिये टिकट उठाइये और निकल जाइए घूमने। क्या पता अगली सरकार इतनी महंगाई बढ़ा दे कि आप घूमने की कल्पना ही न कर पाएं।
तो इसी क्रम में आज हम आपको बताएंगे कि यदि आप कर्नाटक की राजधानी बैंगलोर या उसके आस पास हैं तो कैसे आप अपने इस लंबे वीकेंड को यादगार बनाते हुए उसे एन्जॉय कर सकते हैं। इस लंबे वीकेंड के उपलक्ष में हम आपको सलाह देंगे कि आप "स्कॉटलैंड" जाइए वो भी बिना पासपोर्ट और वीजे के। अरे, अरे घबराइये नहीं। हम आपको विदेश नहीं भेज रहे हमें भी पूरा ख्याल है आपके बजट का और हमें ये भी पता है कि आपको सोमवार को ऑफिस भी जाना है।
यहां हम बात भारत में बसे स्कॉटलैंड कि कर रहे हैं । आप इस वीकेंड "स्कॉटलैंड ऑफ इंडिया" के नाम से मशहूर कूर्ग की यात्रा करिये और भारत में रहते हुए विदेश का मज़ा लीजिये। होटल - कूर्ग में होटल की जानकारी के लिए यहां क्लिक करें
डे 1 - दूबारे फॉरेस्ट, बाइलाकुप्पे
अपना वोट देने के बाद आप किसी लोकल टूर ऑपरेटर से तीन दिन का पैकेज टूर बुक करा सकते हैं । आपको बता दें कि बैंगलोर से कूर्ग की दूरी 251 किलोमीटर है और आप रात के समय बस के माध्यम से 6 घंटे की यात्रा करके कूर्ग पहुँच सकते हैं। ध्यान रखिये कि यदि आपको कूर्ग और प्रकृति का असली आनंद लेना है तो आप होटल न करके किसी होमस्टे का चुनाव करें।
डे 1 - दूबारे फॉरेस्ट, बाइलाकुप्पे
होमस्टे में थोड़ा आराम करने के बाद आप पहले दिन की यात्रा के क्रम में दूबारे और बाइलाकुप्पे की यात्रा करें।
डे 1 - दूबारे फॉरेस्ट, बाइलाकुप्पे
कर्नाटक के कूर्ग क्षेत्र में कावेरी नदी के तट पर स्थित दूबारे जंगलों में बसा हुआ है। वास्तव में यह स्थान भी जंगल का एक हिस्सा ही है। माना जाता है कि मैसूर महाराजाओं के शासनकाल के दौरान यहां हाथियों को परंपरागत तरीकों से प्रशिक्षित किया जाता था और दशहरे के अवसर पर इनके बीच प्रतियोगिता करवाई जाती थी।
डे 1 - दूबारे फॉरेस्ट, बाइलाकुप्पे
दूबारे के जंगलों में कई वन्यजीव पाएं जाते है जैसे- सांभर, चीतल, बाघ और जंगली कुत्ते। पहले इस इलाके में जानवरों की देखरेख और सुरक्षा का कोई प्रबंध नहीं था लेकिन बाद में भारत सरकार ने एक अच्छा सा वन्य जीव हाउस बना दिया है ताकि पर्यटक और पशुओं दोनों को ही नुकसान न हों। इस जगह आप जीवों को देखने के अलावा इनके बारे में विस्तृत जानकारी भी प्राप्त कर सकते है।
डे 1 - दूबारे फॉरेस्ट, बाइलाकुप्पे
आपको बता दें कि यहां फॉरेस्ट कैम्प के पास ज्यादा दुकानें नहीं हैं तो जब आप आएं तो खाने के जरूरी सामान ले के आएं।
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ये स्थान हाथियों के अलावा अपनी स्टिल रिवर राफ्टिंग के लिए भी जाना जाता है तो अब जब आप यहां हैं तो इसका आनंद अवश्य लीजिये।
डे 1 - दूबारे फॉरेस्ट, बाइलाकुप्पे
हाथी की सवारी इस स्थान का प्रमुख आकर्षण है। यहां आप सौ रुपए देकर हाथी पर बैठ सकते हैं।
डे 1 - दूबारे फॉरेस्ट, बाइलाकुप्पे
यहां आने वाले पर्यटकों को ये बताया जाता है कि कैसे वो जीवों का संरक्षण कर सकते हैं। साथ ही यहां पर्यटकों को ये भी बताया जाता है कि यदि इस धरती से हाथी विलुप्त हो गए तो इसके क्या परिणाम होंगे।
डे 1 - दूबारे फॉरेस्ट, बाइलाकुप्पे
यहां आने वाले पर्यटक देख सकते हैं कि कैसे यहाँ हाथियों को प्रशिक्षित किया जाता है। कैसे उन्हें खिलाया पिलाया जाता है। यहां आने वाले पर्यटकों के लिए फॉरेस्ट डिपार्टमेंट एलीफैंट सफारी का भी आयोजन करता है।
डे 1 - दूबारे फॉरेस्ट, बाइलाकुप्पे
बाइलाकुप्पे, भारत में दूसरा सबसे बड़ा तिब्बती स्थल है जिसका स्थान धर्मशाला के बाद आता है। यह कुशलनगर से 6 किमी. की दूरी पर स्थित है।
डे 1 - दूबारे फॉरेस्ट, बाइलाकुप्पे
यहां दो तिब्बती स्थल है जिनहे लुग्सम सामदुप्लिंग और डिकई लाओरसे के नाम से जाना जाता है। यह कृषि हेतू क्षेत्र भी है। इस स्थान पर कई शरणार्थी तिब्बती निवास करते है।
डे 1 - दूबारे फॉरेस्ट, बाइलाकुप्पे
यहां तिब्बती मठ भी स्थित है। पर्यटक यहां आकर तिब्बत के सामान की खरीददारी भी कर सकते है।इस जगह का मुख्य आकर्षण, यहां स्थित गोल्डन मंदिर या नामोद्रोलिंग मठ है जिसे तिब्बती शैली में बनाया गया है, जो दक्षिण भारत में अनोखा लगता है।
डे 1 - दूबारे फॉरेस्ट, बाइलाकुप्पे
इस मठ में भगवान बुद्ध पद्मसंभव और अमितायुस की 40 फीट ऊंची मूर्ति रखी हुई है।
डे 1 - दूबारे फॉरेस्ट, बाइलाकुप्पे
यहां प्रार्थना ड्रम, प्रार्थना व्हील्स और दरवाजे भी बने है जो नक्काशीदार है। इस मठ की दीवारें पूरी तरह से तिब्बती शैली में बनी हुई है, यह तिब्बती थांगाका से भरी हुई है जो एक प्रकार की चित्रकारी होती है।
डे 1 - दूबारे फॉरेस्ट, बाइलाकुप्पे
इस मठ में भगवान बुद्ध के जीवन के कई दृश्यों को चित्रित किया गया है। इस स्थान पर बड़े शैक्षिक केंद्र सेरा, छोटे शैक्षिक केंद्र तासिलउनोपु मठ, सेरा मे और सेरा जे मठ आदि स्थित है। यहां कई बौद्ध यूनीवर्सिटी भी है जो तिब्बती बौद्ध धर्म की शिक्षा देते है।
डे 1 - दूबारे फॉरेस्ट, बाइलाकुप्पे
मठ के प्रवेश द्वारा को दर्शाता फोटो। ये फोटो अपने आप में ये बताने के लिए काफी है कि ये एक बहुत बड़ा मठ है।
डे 1 - दूबारे फॉरेस्ट, बाइलाकुप्पे
यहां आने के बाद आप एक बिलकुल नए कल्चर को महसूस करेंगे। मठ में बैठी एक तिब्बती वृद्धा का फोटो।
डे 1 - दूबारे फॉरेस्ट, बाइलाकुप्पे
इस खूबसूरत मठ में आने के बाद आप एक अलग तरह की शांति को महसूस करेंगे।
डे 1 - दूबारे फॉरेस्ट, बाइलाकुप्पे
इस मठ को पूर्णतः तिब्बती शैली में बनाया गया है जो आपको आश्चर्यचकित कर देगी।
डे 1 - दूबारे फॉरेस्ट, बाइलाकुप्पे
बौद्ध धर्म और भगवान गौतम बुद्ध के बारे में आये हुए पर्यटकों को बताता एक भिक्षु।
डे 1 - दूबारे फॉरेस्ट, बाइलाकुप्पे
इस मठ की दीवारें पूरी तरह से तिब्बती शैली में बनी हुई है, ड्रैगन को दर्शाती मठ की दीवारें।
डे 2 - अब्बे फॉल्स, राजा का मक़बरा और निसर्गधाम
बाइलाकुप्पे के बादअपने दूसरे दिन आप निसर्गधाम की यात्रा भी अवश्य करें।निसर्गधाम एक वन्यजीव अभयारण्य है जहां कूर्ग की सैर के दौरान अवश्य आना चाहिए। यह एक द्वीप है जो कावेरी नदी के बीच में स्थित है। इस अभयारण्य में हाथी, खरगोश, और मोर को आसानी से देखा जा सकता है। इन सभी के अलावा, यहां बेंत के बाग, चंदन के पेड़ और टीक के वृक्ष भी देखे जा सकते है।
डे 2 - अब्बे फॉल्स, राजा का मक़बरा और निसर्गधाम
एक वन्यजीव अभयारण्य है जहां कूर्ग की सैर के दौरान अवश्य आना चाहिए। यह एक द्वीप है जो कावेरी नदी के बीच में स्थित है। इस अभयारण्य में हाथी, खरगोश, और मोर को आसानी से देखा जा सकता है। इन सभी के अलावा, यहां बेंत के बाग, चंदन के पेड़ और टीक के वृक्ष भी देखे जा सकते है।
डे 2 - अब्बे फॉल्स, राजा का मक़बरा और निसर्गधाम
पर्यटक यहां आकर अन्य गतिविधियों में भी हिस्सा ले सकते है जैसे - बोटिंग और हाथी की सवारी आदि। पर्यटकों के लिए, यहां ठहरने के लिए कुटिया भी बनी है जहां वह आसानी से रूक सकते है। स्थानीय लोग यहां पिकनिक मनाने भी आते है।
डे 2 - अब्बे फॉल्स, राजा का मक़बरा और निसर्गधाम
अब्बे जल प्रपात कर्नाटक के कोडगु जिला के मुख्यालय मदिकेरी के निकट स्थित है। यह खूबसूरत जलप्रपात मदिकेरी से लगभग 5 किमी. की दूरी पर है। एक निजी कॉफी बागान के भीतर यह झरना स्थित है। पर्यटक बड़ी संख्या में इस स्थान पर आते हैं। मॉनसून के दिनों में यहां की सुंदरता देखते ही बनती है।
डे 2 - अब्बे फॉल्स, राजा का मक़बरा और निसर्गधाम
पहले इसे जेस्सी झरने के नाम से जाना जाता था, बाद में मादीकेरी के पहले अंग्रेज कप्तान की बेटी एब्बे के नाम पर इस झरने का नाम रख दिया गया। यह झरना, पश्चिमी घाट का एक हिस्सा है, एब्बे झरना, मुख्य रूप से ढ़लानदार चट्टानों से बहने वाला जल स्त्रोत है और यह लुभावना दृश्य प्रदान करता है।
डे 2 - अब्बे फॉल्स, राजा का मक़बरा और निसर्गधाम
यहां से पानी झरझर करता हुआ बहता है जो कूर्ग में सबसे मनोरम लगता है। यहां आकर पर्यटक देख सकते है कि जैसे - जैसे पानी ऊपर से नीचे की ओर बहता है वैसे - वैसे एक क्लाउडी लेयर बनकर तैयार हो जाती है जो पहाड़ों से गुजरती हुई नीचे तक आती है। मानसून के दिनों में यह झरना और भी सुंदर दिखता है।
डे 2 - अब्बे फॉल्स, राजा का मक़बरा और निसर्गधाम
राजा का मक़बरा कूर्ग का एक प्रमुख आकर्षण है। इसे गड्डीगे के नाम से भी जाना जाता है। ये स्थान कूर्ग के राजा का समाधी स्थल है।
डे 2 - अब्बे फॉल्स, राजा का मक़बरा और निसर्गधाम
इस स्थान पर आपको दो समान संरचनाएं मिलेंगी जो राजा और उनकी रानी की हैं। यह स्थान मडिकेरि से 1 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है।
डे 2 - अब्बे फॉल्स, राजा का मक़बरा और निसर्गधाम
ये स्थान अपने आप में बेहद खूबसूरत है यदि आप फोटोग्राफी के शौक़ीन हैं तो आपको यहां बहुत कुछ मिल सकता है।
डे 3 - भागमंडला, तालकावेरी, राजा सीट, किला और संग्रहालय ,ओमकारेश्वर मंदिर
अपने तीसरे दिन में आप भागमंडला, तालकावेरी, राजा सीट , किला और संग्रहालय ,ओमकारेश्वर मंदिर जैसे प्रमुख स्थानों का दौर कर सकते हैं।
डे 3 - भागमंडला, तालकावेरी, राजा सीट, किला और संग्रहालय ,ओमकारेश्वर मंदिर
भागमंडला, हिंदूओं का पवित्र तीर्थ स्थल है। यह कावेरी नदी के तट पर स्थित है और यह कान्नीके की सहायक नदी है। इसे पवित्र नदी के पावन प्रभाव का रूप माना जाता है और त्रिवेणी संगम के रूप में जाना जाता है।
डे 3 - भागमंडला, तालकावेरी, राजा सीट, किला और संग्रहालय ,ओमकारेश्वर मंदिर
तुला संक्रमण के दौरान, पर्यटक यहां आकर इसमें स्नान करते है और उसके बाद तालाकावेरी में दर्शन करते है।
डे 3 - भागमंडला, तालकावेरी, राजा सीट, किला और संग्रहालय ,ओमकारेश्वर मंदिर
यहां आपको कई छोटे छोटे शिवलिंग रखे मिलेंगे जो अपने आप में बेहद खूबसूरत है।
डे 3 - भागमंडला, तालकावेरी, राजा सीट, किला और संग्रहालय ,ओमकारेश्वर मंदिर
यहां से थोड़ी ही दूरी पर प्रसिद्ध मंदिर श्री भागदेश्वरा मंदिर स्थित है जहां भगवान भगदेश्वरा की आराधना की जाती है। इसके अलावा, इस मंदिर में सुब्रमण्यम, महाविष्णु और गणपति की पूजा भी की जाती है।
डे 3 - भागमंडला, तालकावेरी, राजा सीट, किला और संग्रहालय ,ओमकारेश्वर मंदिर
इस स्थान को भागंदेश्वरा क्षेत्र के नाम से भी जाना जाता है जिसकी उत्पत्ति भागमंडल के नाम से हुई है।
डे 3 - भागमंडला, तालकावेरी, राजा सीट, किला और संग्रहालय ,ओमकारेश्वर मंदिर
यह मंदिर केरल शैली में बना हुआ है। 1785 - 1790 के दौरान, टीपू सुल्तान ने इस मंदिर पर कब्जा कर लिया था। बाद में इस मंदिर का नाम अफसलाबाद से भागमंडला रख दिया गया था।
डे 3 - भागमंडला, तालकावेरी, राजा सीट, किला और संग्रहालय ,ओमकारेश्वर मंदिर
मंदिर में दर्शन के लिए जाते हुए लोगों का फोटो।
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मंदिर के बारे में जानकारी देता हुआ सूचना पट।
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यहां के गोपुरम दक्षिण भारत के और मंदिरों के गोपुरमों के मुकाबले थोड़ा अलग हैं।
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मंदिर में दर्शन के लिए जाते हुए भक्तों का फोटो।
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तालकावेरी हिंदुओ का पवित्र तीर्थ स्थल है। यह ब्रह्मगिरि पहाडियों पर स्थित है और इसे कावेरी नदी का उत्पत्ति स्थल माना जाता है।
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यह समुद्र स्तर से 1276 मीटर की ऊंचाई पर स्थित है। वर्तमान समय में यहां पर एक टैंक स्थित है जहां से कावेरी निकलती है। इस नदी के उत्पत्ति स्थल से एक झरना भी निकलता है। इस टैंक को हिंदू धर्म के अनुयायियों के बीच एक पवित्र टैंक माना जाता है।
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मडिकेरि किला कूर्ग में स्थित एक मिट्टी का किला है जिसे 17 वीं सदी में मुद्दाराजा के द्वारा बनवाया गया था। इस किले के अंदर एक महल भी है। इस किले को टीपू सुल्तान के द्वारा पुर्ननिर्मित करवाया गया था। 1790 में, दोड्डावीरा राजेन्द्र ने इस किले पर अपना अधिकार जमा लिया था।
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1834 के बाद, अंग्रेजों ने इस किले पर अधिकार जमा लिया था। 1812 - 1814 के बाद, एक बार फिर से इस किले का निर्माण लिंगाराजेन्द्र वोडियार द्वितीय द्वारा करवाया गया था। इस महल में एक कछुए की मूर्ति बनी हुई है और इस स्थान पर दो विशाल पत्थर रखे हुए है जहां राजा वीर राजा के द्वारा दो शाही हाथियों को मारा गया था।
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इस किले में साहस की कई कहानियां सुनाई जाती है। इस किले के अंदर, एक मंदिर भी है जिसे वीरभद्र मंदिर के नाम से जाना जाता है। इस मंदिर को 1855 में एक चर्च में बदलने के लिहाज से नष्ट किया गया था। बाद में इसे गोथिक शैली में सेंट मार्क्स चर्च ने ग्लास विंडो के रूप में निर्मित करवाया। इस संरचना को 1933 में तीसरी बार बनवाया गया, इसमें एक क्लॉक टॉवर भी लगवाया गया और एक पोर्टिको का निर्माण भी किया गया। इस स्थान पर दो मंजिला इमारत है जो 110 फीट ऊंची है।
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राजा की सीट, राजा की सीट, कुर्ग जिले में मडिकेरि में सबसे महत्वपूर्ण स्थल है। यह एक गार्डन है जहां मौसमी फूल खिलते है और यहां कई खूबसूरत झरने है। यह सभी झरने म्यूजिक से चलते है जो देखने में बेहद सुंदर लगते है। इस बगीचे का नाम कूर्ग राजा के नाम पर रखा गया।
डे 3 - भागमंडला, तालकावेरी, राजा सीट, किला और संग्रहालय ,ओमकारेश्वर मंदिर
राजा की सीट, अपने सुन्दर सूर्यास्त के लिए जाना जाता है तो यदि आप कूर्ग में हों तो इस स्थान की यात्रा करना न भूलें।
डे 3 - भागमंडला, तालकावेरी, राजा सीट, किला और संग्रहालय ,ओमकारेश्वर मंदिर
राजा की सीट, से लिया गया सूर्यास्त का एक खूबसूरत फोटो।
डे 3 - भागमंडला, तालकावेरी, राजा सीट, किला और संग्रहालय ,ओमकारेश्वर मंदिर
ओमकारेश्वर मंदिर, कूर्ग के मडिकेरि हिल स्टेशन के बीचोंबीच स्थित है। यह मंदिर भगवान शिव को समर्पित है और इसका निर्माण 1820 में राजा लिंगराजेन्द्र ने करवाया था।
डे 3 - भागमंडला, तालकावेरी, राजा सीट, किला और संग्रहालय ,ओमकारेश्वर मंदिर
इस मंदिर में मुस्लिम काल की वास्तुकला का प्रभाव देखने को मिलता है क्योंकि उस काल में इस क्षेत्र में हैदर अली और टीपू सुल्तान का शासन हुआ करता था। इस मंदिर के मध्य में एक गुंबद भी है और इसके चारों कोनों पर चार बुर्ज है।
डे 3 - भागमंडला, तालकावेरी, राजा सीट, किला और संग्रहालय ,ओमकारेश्वर मंदिर
इस मंदिर का लुक एक दरगाह जैसा लगता है। मंदिर के प्रवेश द्वार पर एक शिवलिंग है। इस मंदिर में एक पानी का टैंक भी है और बीचों - बीच में एक मंडप है जो पूरे मंदिर से जुड़ा हुआ है। इस मंदिर का नाम इसलिए ओमकारेश्वर पड़ा क्योंकि कुछ लोगों का मानना है कि राजा के द्वारा इस मंदिर की शिवलिंग को काशी से लाया गया था।
कुर्ग भारत के कर्नाटक प्रान्त का एक जिला है। जिसका मुख्यालय मडिकेरि में है। पश्चिमी घाट पर स्थित पहाड़ों और घाटियों का प्रदेश कुर्ग दक्षिण भारत का एक प्रमुख पर्यटक स्थल है। कर्नाटक का यह खूबसूरत पर्वतीय स्थल समुद्र तल से 1525 मीटर की ऊंचाई पर है। यहां की यात्रा एक न भूलने वाला अनुभव है। कुर्ग के पहाड़, हरे-भरे जंगल, चाय और कॉफी के बागान और यहां के लोग मन को लुभाते हैं।
कावेरी नदी का उदगम स्थान कुर्ग अपनी प्राकृतिक खूबसूरती के अलावा हाइकिंग, क्रॉस कंट्री और ट्रेल्स के लिए भी मशहूर है। यदि आप ये सोच रहे हैं कि कैसे लंबे वीकेंड में घूमा जाये तो हम भी तैयार हैं आपकी मदद के लिए नीचे दी गयी स्लाइड्स को देखें और जानें इन छुट्टियों में आप कैसे ले सकते हैं कूर्ग का मज़ा।