कूच बिहार भारत के पश्चिम बंगाल प्रान्त का एक नगर और ज़िला है। यह भूटान के दक्षिण में पश्चिम बंगाल और बिहार की सीमा पर स्थित एक शहर है। कूच बिहार अपने सुन्दर पर्यटक स्थलों के लिए प्रसिद्ध है। कूच बिहार अपने सुन्दर पर्यटक स्थलों के लिए प्रसिद्ध है। पर्यटक स्थलों के अलावा यह अपने आकर्षक मन्दिरों के लिए भी पूरे विश्व में जाना जाता है। अपने बेहतरीन पर्यटक स्थलों और मन्दिरों के अतिरिक्त यह अपनी प्राकृतिक सौन्दर्यता के लिए भी बहुत प्रसिद्ध है। शहर की भाग-दौड़ से दूर कूच बिहार एक शांत इलाका है। यहां पर छुट्टियां बिताना पर्यटकों का बहुत पसंद आता है क्योंकि इसकी प्राकृतिक सुन्दरता उनमें नई स्फूर्ति और ऊर्जा का संचार कर देती है।
कूचबिहार, पश्चिम बंगाल के उत्तरी क्षेत्रों में सबसे योजनाबद्ध बनाएं गए शहरों में से एक है जहां वर्ग और विरासत को महत्वता दी जाती है। पुराने दिनों में, इस शहर को बिहार के रियासत राज्य के मुख्यालय के रूप में जाना जाता था और आज यह स्थान, दुनिया का सबसे प्रसिद्ध पर्यटन स्थल है जहां एक तरफ औपनिवेशिक शैली की इमारतें बनी हुई और दूसरी तरफ राजसी हिमालय की विराजमान है।
कूचबिहार पर्यटन, पर्यटकों के लिए काफी महत्वपूर्ण है जहां वह यात्रा कर सकते है। यहां के कुछ प्रमुख पर्यटन स्थलों में बानेश्वरा शिव मंदिर, बारादेबी बारी मंदिर, गोसनीमारी राजपूत यहां के प्रमुख स्थल है जिन्हे पर्यटक यहां आकर जरूर देखें।
कैसे नाम पड़ा कूच?
कूच तोरसा नदी के किनारे स्थित है और तिस्ता तथा संकोश नदियाँ ब्रह्मपुत्र में मिलने से पहले इस ज़िले से होकर गुज़रती हैं। इसका नाम कोच नामक क़बाइलियों के आधार पर पड़ा है, जिन्हें बाद को, ख़ासकर उनके राजाओं को क्षत्रिय समझा जाने लगा। कहा जाता है कि प्राचीन समय में यहां पर कोच राजाओं का शासन था और वह नियमित रूप से बिहार की यात्रा किया करते थे। इस कारण इसका नाम कूच बिहार पड़ा।PC: wikimedia.org
कूच बिहार का इतिहास
कूचबिहार ज़िला कामरूप (आसाम) के प्राचीन हिन्दू शासकों के राज्य का एक अंग था। भास्कर वर्मा (लगभग 600-650 ई.) के काल में यह राज्य करतोया तक फैला हुआ था।PC: wikimedia.org
कूचबिहार
कूचबिहार ज़िला कामरूप (आसाम) के प्राचीन हिन्दू शासकों के राज्य का एक अंग था। भास्कर वर्मा (लगभग 600-650 ई.) के काल में यह राज्य करतोया तक फैला हुआ था। लेकिन सोलहवीं शताब्दी के आरम्भ में वह कामरूप से अलग हो गया और स्थानीय कोच लोगों के मुखिया विश्वसिंह के द्वारा स्थापित नेय राज्य की राजधानी कूच बिहार बन गई।
कब बना कूच पश्चिम बंगाल का हिस्सा?
1950 ई. में कूच का विलय भारतीय गणतंत्र में हुआ और यह पश्चिमी बंगाल का एक ज़िला बन गया।
कूचबिहार राजबाड़ी
कूचबिहार राजबाड़ी कूच बिहार के प्रमुख पर्यटक स्थलों में से एक है। इसका निर्माण यूरोपियन शैली में किया गया है। इस पैलेस का निर्माण कोच सम्राट महाराजा नृपेन्द्र नारायण ने 1887 ई. में कराया था। यह दो मंजिला पैलेस है। इन दोनों मंजिलों का निर्मार्ण ईटों से किया गया है। पैलेस का कुल क्षेत्रफल 4768 वर्ग मी. और इसकी लंबाई व चौड़ाई क्रमश: 120 और 90 मी. है। पर्यटकों को यह पैलेस बहुत पसंद आता है और वह इसकी खूबसूरत तस्वीरों को अपने कैमरों में कैद करके ले जाते हैं।PC: wikimedia.org
कूचबिहार राजबाड़ी
इस महल में विभिन्न हॉल और कमरों में ड्रेसिंग रूम, बेड रूम, आरेखण कक्ष, डाइनिंग हॉल, बिलियर्ड हॉल, पुस्तकालय, तोशाखाना, देवियो गैलरी और वेस्टिबुल शामिल हैं। दुर्भाग्य से, इन कमरों और हॉलों में निहित सभी लेख और कीमती वस्तुओं को अब खो दिया गया है और पैलेस के शानदार गौरव और शानदार अभिव्यक्ति को कम कर दिया गया है।
बनेश्वर सिद्धांत शिव मन्दिर
धौलाबाड़ी में स्थित सिद्धांत शिव मन्दिर बहुत खूबसूरत है। यह मन्दिर टेरोकोटा शैली में बना हुआ है। इसका मुख्य आकर्षण 5 खूबसूरत गुम्बद है जो पर्यटकों को बहुत आकर्षित करते हैं। स्थानीय निवासियों में इस मन्दिर के प्रति बहुत श्रद्धा है और वह पूजा करने के लिए प्रतिदिन यहां आते हैं। कूच बिहार से पर्यटक आसानी से यहां तक पहुंच सकते हैं।
मदन मोहन बाड़ी
कूच बिहार के हृदय में स्थित मदन मोहन बाड़ी बहुत खूबसूरत है। इसका निर्माण महाराजा नृपेन्द्र नारायण ने 1885-1889 ई. में कराया था। मदन मोहन बाड़ी में पर्यटक मदन मोहन, मां काली, मां तारा और भवानी की मनोरम प्रतिमाओं को देख सकते हैं। यहां पर हर वर्ष रस पूजा आयोजित की जाती है। इस पूजा के मुख्य आकर्षण रस यात्रा और रस मेला होते हैं। यह यात्रा और मेला पर्यटकों को बहुत पसंद आता है और वह इनमें भाग लेने के लिए प्रतिवर्ष यहां आते हैं।
अर्धनारीश्वर मन्दिर
कूच बिहार की उत्तर दिशा में 10 कि॰मी॰ की दूरी पर अर्धनारीश्वर मन्दिर स्थित है। इस मन्दिर में पर्यटक 10 फीट लंबे शिवलिंग को देख सकते हैं, जो एक चौकोर शिला पर स्थित है। मन्दिर के दूसर भाग में गौरीपट है, जो बहुत आकर्षक है और पर्यटकों को बहुत पसंद आता है। अर्धनारीश्वर मन्दिर के प्रागंण में एक तालाब भी है, जिसमें पर्यटक अनेक प्रजातियों के कछुओं को देख सकते हैं। इनमें कई कछुए सामान्य से बड़े आकार के हैं। शिव चर्तुदशी के दिन यहां पर एक
हफ्ते के लिए भव्य मेले का आयोजन भी किया जाता है। इस मेले में स्थानीय निवासी और पर्यटक बड़े उत्साह से भाग लेते हैं।
रसिकबील वॉचटावर
दिन्हाता रेलवे स्टेशन के पास कामतेश्वरी मन्दिर स्थित है। इस मन्दिर का निर्माण महाराजा प्राण नारायण ने 1665 ई. में कराया था। हालांकि इस मन्दिर की असली इमारत का अधिकतर भाग ढह चुका है, लेकिन यह मन्दिर आज भी बहुत खूबसूरत है। इसके प्रांगण में 2 छोटे-छोटे मन्दिर भी हैं, जो बहुत खूबसूरत हैं और पर्यटकों को बहुत पसंद आते हैं। कामतेश्वरी मन्दिर के प्रवेश द्वार पर पर्यटक तारकेश्वर शिवलिंग के दर्शन भी कर सकते हैं।
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कैसे पहुंचे कूच बिहार
इस शहर में सुभाष चंद्र बोस अंर्तराष्ट्रीय हवाई अड्डा है जो देश - विदेश के कई शहरों से जुड़ा हुआ है।
रेल द्वारा
कूच बिहार रेलवे स्टेशन शहर से 5 किमी दूर है..यह रेलवे स्टेशन देश के सभी शहरों से जुड़ा हुआ है।PC: wikimedia.org
कैसे आयें
सड़क द्वारा
कूचबिहार, देश के अन्य शहरों से भली प्रकार से जुड़ा है। गुवाहाटी से भी सड़क मार्ग के द्वारा यहां आसानी से पहुंचा जा सकता है। कूच की मुख्य शहरों से दूरी
कूच बिहार से कोलकाता - 684 किलोमीटर
कूच बिहारसे गुवाहटी 326 किलोमीटर
कूच बिहार से दार्जलिंग 200 किलोमीटर
कूच बिहार से न्यू जलपाईगुड़ी 132 किलोमीटर
कूच बिहार से मिरिक-186 किलोमीटर
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कब आयें कूच बिहार
कूचबिहार की सैर का सबसे अच्छा समय सर्दियों के दौरान होता है जब यहां की यात्रा आसानी से की जा सकती है।
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क्या खाएं
कूचबिहार आने पर विभिन्न प्रकार के व्यंजनों का स्वाद चखा जा सकता है। भूना खिचड़ी और लाब्रा यहां के प्रमुख स्थानीय भोजन है।यहां आकर कुछ विशेष समुद्री भोजन का चखना कतई न भूलें। यहां की स्थानीय विशेषता घाटीगरम और जलमुरी है।
औद्योगिक साइड
पर्यटन के अलावा, कूचबिहार को एक औद्योगिक शहर के रूप में भी जाना जाता है। इस शहर में कई कंपनियां, सुविधाएं प्रदान करती है। इससे यहां रोजगार को भी बढ़ावा मिला है। कूचबिहार में सभी के लिए कुछ न कुछ अवश्य है, यहां बिजनेसमैन, जोड़े, परिवार सभी सैर के लिए आ सकते है। उत्तर बंगाल में प्रमुख शहरों से यहां आसानी से आया जा सकता है। यहां से सिलीगुडी, कुछ ही घंटे की दूरी पर स्थित है।PC: wikimedia.org