राजस्थान का उदयपुर टूरिस्ट के बीच खासा पॉपुलर है। उदयपुर के दीवाने सिर्फ सैलानी ही नहीं बल्कि पूरा बॉलीवुड है तभी तो ना जाने यहां कितनी ही फिल्मो की शूटिंग हो चुकी है। हाल ही में मुझे भी उदयपुर जाने का मौका मिला।
दिल्ली से उदयपुर जाने के लिए हमने कैब बुक की।
दिल्ली से उदयपुर जाने के लिए दूसरे दिन मै सुबह जल्दी उठ गयी और करीबन 6 बजे मै और मेरे दोस्त उदयपुर के लिए चल पड़े।
दिल्ली-दरुहेरा-जयपुर बायपास-अजमेर-चित्तोड़गढ़-भीलवाड़ा-उदयपुर एयरपोर्ट-उदयपुर सिटी।अगर आप यह रूट इस्तेमाल करते हैं तो आप महज 9 घंटे में 687 किमी की दूरी तय करके पहुंच जायेंगे उदयपुर।
हम दिल्ली से उदयपुर जाने के लिए सुबह 6 बजे निकले। दिल्ली से जयपुर पहुँचने के बाद हमने पूजा टी स्टाल पर चाय नाश्ता किया, और निकल पड़े अपनी मंजिल की ओर। भीलवाड़ा के आगे जाकर हम सभी ने प्रजापति रेस्तरां में लंच किया। वहां से निकलने के बाद करीबन 3 बजे उदयपुर पहुंचे।
फ़तेह सागर झील पहुंचे ।यह झील इतनी खूबसूरत है कि आप इस झील के किनारे बैठ आप घंटों इसके नज़ारे देख के बिता सकते हैं। यह झील बेहद खूबसूरत है। झील के नजारे देखने के बाद हम सभी होटल वापस आ गये। और रात का डिनर करके सो गये।
दूसरे दिन
दूसरे दिन सुबह जल्दी उठकर हमने उदयपुर घूमने की योजना बनाई, मेरा एक भाई यहां पहले आ चुका था। इसलिए हमें उदयपुर घूमने में कोई खासा दिक्कत नहीं हुई। सुबह होटल में नाश्ता करने के बाद हम सभी लैक पैलेस देखने पहुंचे।
लेक पैलेस जो पिछोला झील के एक टापू पर बना हुआ है। यह पैलेस दुनिया के सबसे खूबसूरत महलों में से एक है। हालांकि इस महल में अब एक आलीशान होटल बना दिया गया है। इस आलीशान महल तक पहुँचने के लिए आपको बोटिंग की सवारी करनी होती है, हमने भी बोटिंग कर इस होटल के अंदर के नजारों का आनंद लिया ।
लेक पैलेस देखने के बाद हम सहेलियों की बाड़ी पहुंचे। सहेलियों की बाड़ी को महाराजा उदयसिंह ने अपने परिवार की महिलाओं के मनोरंजन को ध्यान में रखते हुए बनवाया था। यहाँ हरेभरे पेड़ पौधे, संगीतमय फव्वारे और आकर्षक
दृश्य किसी भी पर्यटक को अपनी और आकर्षित करते हैं।
सहेलियों की बाड़ी में मौज मस्ती कर हम सभी हम सिटी पैलेस पहुंचे।सफ़ेद संगमरमर से बना यह राजमहल (सिटी पैलेस) पुरातन स्थापत्य कला का जीता जागता उदाहरण है। यह महल न सिर्फ उदयपुर बल्कि राजस्थान के सबसे
आलीशान और विशाल महलों में से एक है।
यहां मौज मस्ती करने के बाद हम पहुंचे राजस्थानी
खाने का लुत्फ उठाने । लंच करने के लिए हम पहुंचे 1559 A.D रेस्तरां।इस रेस्तरां में आप बेज्त्रिन और लजीज खाने का लित्फ़ उठा सकते है। और यह रेस्तरां ज्यादा महंगा भी नहीं है।
पेट पूजा करने के बाद हम पहुंचे दूध तलाई पार्क दूध तलाई पार्क उदयपुर के दर्शनीय स्थलों में से एक हैं हालांकि यह पार्क हाल ही में बनाई गई है। परन्तु यहाँ का अद्भुत आकर्षक दृश्य देखने लायक होता है।हमने यहां सर्दी की गुनगुनी धूप ला मजा लिया है साथ ही वहां आये बच्चो के साथ खेल भी खेला।
करीबन 4 बजे हम सभी शिल्प ग्राम पहुंचे। यह कोई गांव नहीं है लेकिन जब आप इसके अंदर जायेंगे तो आपको लगेगा की आप किसी गांव में आ गये हैं।यहाँ की झोपड़ियां, घास-फूस के छप्पर तथा चबूतरों को देखने का अपना अलग ही मज़ा है।हमने यहां जमकर तस्वीरें क्लिक की।
शिल्पग्राम में मजे करने के बाद हम पहुंचे सज्जनगढ़ पैलेस (मानसून पैलेस) सज्जनगढ़ पैलेस उदयपुर के ऐतिहासिक इमारतों में से एक है। इस पैलेस को 'पैलेस ऑफ मानसून' के नाम से भी जाना जाता है।यहाँ से उदयपुर का आकर्षक दृश्यबेहद लुभावना लगता है। वाकई मै यह पैलेस काफी खूबसूरत था, कुछ वक्त यहां गुजारने के बाद हमने बाहर ही डिनर करने का प्लान बनाया।
हम डिनर करने के लिए पिछोला झील स्थित अम्बारी पहुंचे। यहां से आप झील को काफी अच्छे से देख सकते हैं।यहां आप खिंचड़ी, मेवाड़ी स्टाइल में खाना, और गोविन्द गट्टे की सब्जी ट्राई करना बिल्कुल भी ना भूले। अम्बारी के अलावा
आप डिनर के लिए उपेर भी जा सकते है।यह रेस्तरां सिटी पैलेस के पास स्थित है।
शाम का डिनर खत्म करने के बाद हमने उदयपुर में जमकर वेल्लापनती की खूब सारी तस्वीरें क्लिक की। उसके बाद हम सभी वापस होटल आ गये।
तीसरा दिन
तीसरे दिन हम वहां पहुंचे ये जवानी है दीवानी के शूटिंग लोकेशन पर। जी हां इस जगह का नाम है द ओबरॉय उदयविलास। इसी जगह पर कल्कि कोचलीन की शादी का सीन फिल्माया गया था। इस पैलेस पर हमने कुछ एक तस्वीरें भी क्लिक की।
इसके बाद हम पहुंचे जगदीश मंदिर उदयपुर के प्राचीन मंदिरों में जगदीश मंदिरका भी नाम सम्मिलित है। इस मंदिर की नक्काशी, कला, व शिल्पकला पत्थरों को तराशकर बनाई गई है। यहाँ पत्थरों को तराशकर बनाई गई मूर्तियां देखने
लायक हैं।
मंदिर में घूमने के बाद हम सभी नेहरू द्वीप उधान पहुंचे।यह द्वीप उधान फतेहसागर झील के बीच एक टापू बना हुआ है उस टापू पर नेहरू पार्क बनी हुई है। यह पार्क यूँ तो अपने आपमें बेहद आकर्षक है लेकिन इसकी खूबसूरती में चार
चाँद यह झील लगा देती है। इस पार्क तक बोट के ज़रिये पहुंचा जा सकता है।
इस झील में बोटिंग का मजा लेने के बाद हमें फिर से जोरो की भूख लग चुकी थी, इसलिए हम पहुंचे पालकी खाना।यहां आप कन्च के साथ स्नैक्स का भी मजा ले सकते हैं। यहां खाने का लुत्फ उठाने के बाद हम सभी वापस होटल पहुंचे वंहा थोड़ा आराम करने के बाद हम सभी वापस दिल्ली के लिए रवाना हो गये।