आगरा स्थित ताजमहल दुनिया के सात अजूबों में से है, जिसे देखने हर दिन हजारों की तादाद में देशी और विदेशी पर्यटक पहुंचते हैं। लेकिन आज हम आपको बताने जा रहे हैं, भोपाल के ताजमहल के बारे में। जी हां बिल्कुल सही पढ़ा, भोपाल का ताजमहल जोकि मुगल वास्तुकला का एक अद्भुत नमूना है।
लेकिन आगरा के ताजमहल की तरह इस ताजमहल से कोई प्रेम की कहानी नहीं जुडी है और ना ही इस ताजमहल में कोई मकबरा है। आपको जानकर हैरानी होगी कि, सी ताजमहल का निर्माण किसी मुगल बादशाह ने नहीं बल्कि शाहजहां बेगम ने कराया था।
कौन थी शाहजहां बेगम?
शाहजहां बेगम भोपाल रियासत की बेगम रही थीं। उन्होंने ताजमहल का निर्माण अपने खुद के निवास के लिए कराया था। इस ताजमहल में सैकड़ों कमरों के अलावा आठ बड़े हॉल हैं। दावतें और बैठकें इन्हीं हॉल में हुआ करती थीं।Pc:Aditya Maurya
13 साल में बना में था बेगम का ताजमहल
इस ताजमहल को बनने में करीबन 3,00,000 लागत के साथ कुल तेरह साल लगे। इसका निर्माण कार्य 1871 में इसका निर्माण चालू हुआ था। 1884 में यह बनकर तैयार हुआ।Pc:Suyash Dwivedi
कैसे राजमहल बन गया ताजमहल
भोपाल की बेगम ने इस महल को राजमहल नाम दिया था, लेकिन इस किले की खूबसूरती इतनी ज्यादा दी थी, कि इसका नाम राजमहल से बदलकर ताजमहल कर दिया गया।Pc:Aditya Maurya
17 एकड़ में है फैला हुआ
यह ताजमहल करीबन 17 एकड़ में फैला हुआ है, जोकि बाहर से पांच मंजिला और अंदर से मंजिल है।Pc: Suyash Dwivedi
खूबियों से लबरेज हैं बेगम का ताजमहल
जी हां, बेगम के इस ताजमहल में काफी खूबियाँ है जैसे इसका गेट, इस दरवाजे का वजन करीबन एक टन है, जिसे कई हाथी मिलकर भी नहीं तोड़ सकते।Pc:Suyash Dwivedi
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दरवाजे की नक्काशी है कमाल
इस दरवाजे की नक्काशी में रंगीन कांच का प्रयोग किया गया है, इसलिए इसे शीश महल भी कहा जाता है। कांच पर पड़ने वाली सूरज की रोशनी से उत्पन्न होने वाली चमक लोगों की आंखों पर पड़ती थी। इसमें घुसने के लिए आपको इस दरवाजे से निकलने के लिए आपको सर झुकाना पड़ेगा।Pc:Suyash Dwivedi
अंग्रेज अफसर को नहीं था पसंद सिर झुकाना
एक बार एक अंग्रेज अफसर इसी दरवाजे से महल के भीतर जाना था, जिसके लिए उसे इस दरवाजे में सिर झुकाना था, लेकिन उसने ऐसा करने से मना कर दिया। उसने रानी से कहा कि वो इस दरवाजे में लगे शीशे को हटवा दे, तभी वह भीतर आयेगा, लेकिन बेगम ने अंग्रेज की बात मानने से इंकार कर दिया।Pc: Suyash Dwivedi
अंग्रेज को नागवार गुजरा बेगम का मना करना
रानी के मना करने के बाद गुस्साए अंग्रेज ने एक के बाद एक लगातार 100 फायर दाग दिए, लेकिन वह इस गेट को तोड़ने में सफल नहीं हो सका।Pc:Suyash Dwivedi
सावन-भादौ मंडप
इस ताजमहल में स्थित सावन-भादौ मंडपकश्मीर के शालीमार बाग की तरह है।यहां लगे कृत्रिम झरने के नीचे बैठककर बेगम शाहजहां सावन-भादौ के महीने में होने वाली बारिश का आनन्द उठाया करती थीं। पुरातत्व विभाग की देखरेख में भोपाली ताजमहल में एक सुरंग भी है, जोकि चलिद किमी दूर रायसेन में खुलती है।Pc:Suyash Dwivedi