पुराने ज़माने में, राजाओं के लिए अपने चित्रकला और आर्किटेक्चर के प्रति प्यार को दर्शाना बहुत ही गर्व की बात होती थी। मंदिरों का निर्माण भी उनकी इन्हीं कलाओं में से एक है, अपनी प्रतिभा को बढ़ावा देने का। इसी चीज़ को सत्य करते हुए, देश के हर कोनों और नुक्कड़ों में कई मंदिरों की कृत्यां स्थापित हैं। सिर्फ़ मंदिर ही नहीं, कई किले और महल भी राजाओं की शान को चित्रित करते हैं। इसी तरह से मैसूर भी उच्च स्तर का राज्य बन गया जब वाड़ियारों ने यहाँ राज करना आरंभ किया। तब महलों के पास ही मंदिर बनाने की परंपरा थी। इसी वजह से हम मैसूर महल के आसपास भी कई मंदिर देख सकते हैं।
चलिए हम आपको लिए चलते है मैसूर के पुराने किले के क्षेत्र में।
लक्ष्मीरमण स्वामी मंदिर
Image Courtesy: Dineshkannambadi
लक्ष्मीरमण स्वामी मंदिर:
लक्ष्मीरमण मंदिर, प्रसिद्ध मंदिरों में से एक होने के साथ साथ मैसूर का सबसे पुराना मंदिर भी है। लक्षिमरमण का मतलब है देवी लक्ष्मी के प्यारे, भगवान विष्णु जी वहाँ विराजमान हैं। कहा जाता है की इसी मंदिर में कृष्ण राजा वाड़ियार III का राजतिलक हुआ था।
मैसूर महल के बारे में आपको पसंद आने वाली अन्य दिलचस्प बातें।
कोड़ी भैरव मंदिर:
इस मंदिर से जुड़ी दो राजकुमारों की कहानी प्रसिद्ध है कि, उन्होंने इसी मंदिर में आश्रय लिया था। संयोंगवश कृष्णराय और यदुराय ने मैसूर के राज को बढ़ाने में मदद की। वे वहाँ की ही अमीर घराने की राजकुमारियों से शादी कर वाड़ियार राज का हिस्सा बन गये। अंततः इस शिव मंदिर का यहाँ पर बहुत महत्व है।
श्वेता वराहस्वामी मंदिर
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श्वेता वराहस्वामी मंदिर:
श्वेता वराहस्वामी मंदिर का दीवान पूर्णियाह में उल्लेख किया गया है जिसमें मैसूर के दीवान के बारे में सारी जानकारियाँ उल्लेखित हैं। इस मंदिर के मुख्य अलंकृत खंभे और भित्तिचित्र देखने योग्य हैं। श्वेता वराहस्वामी मंदिर होयसाला आर्किटेक्चर के रूप में बनाया गया है। दिलचस्प बात यह है कि, कई अभिलेखों में बताया गया है, इस मंदिर का निर्माण शिमोगा के होयसाला मंदिर के खंडहरों से किया गया है।
गायत्री मंदिर:
गायत्री मंदिर मैसूर के अंतिम महाराजा जयचामराजा वाड़ियार द्वारा बनवाया गया था। महाराजा का गायत्री माता के प्रति अथाह भक्ति भाव ही इस मंदिर के निर्माण का कारण है। इसी मंदिर में दो मंदिर और हैं जो देवी सावित्री और देवी लक्ष्मी को समर्पित हैं।
गायत्री मंदिर
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त्रिनयनेश्वरा मंदिर:
त्रिनयनेश्वरा मंदिर मैसूर महल के आसपास के प्राचीन मंदिरों में से एक है। इसका निर्माण राजा वाड़ियार के राज में हुआ था। जब महल के आसपास के क्षेत्र का विस्तार हुआ, यह मंदिर महल की ज़मीन के अधीन ही हो गया।
प्रसन्ना कृष्णास्वामी मंदिर:
प्रसन्ना कृष्णास्वामी मंदिर वाड़ियार और यदु वंश के बीच के संबंध को दर्शाता है। इस मंदिर में भगवान श्रीकृष्णा जी को पूजा जाता है।
त्रिनयनेश्वरा मंदिर
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कुछ मत्वपूर्ण बातें:
- अगर आप मैसूर महल के अंदर के 14 मंदिरों के दर्शन करना चाहते हैं तो कर सकते हैं। यहाँ हमने आपको महल के आसपास के कुछ प्रमुख मंदिरों के बारे में जानकारी दी है।
- ये मंदिर वाड़ियारों के ना सिर्फ़ धार्मिक भावनाओं को दर्शाता है, बल्कि उनकी कला और आर्किटेक्चर के प्रति प्रेम भाव को भी दर्शाता है।
- आज मैसूर के महल को मैसूर के महाराज के विवाह के उपलक्ष्य में दुल्हन की तरह सजाया गया है। आप जब भी मैसूर की यात्रा पर जाएँ, मैसूर महल के आसपास के इन मंदिरों की यात्रा करना ना भूलें।
- 24 जून से 30जून तक महल में महाराज यधुवीर और त्रिशिका कुमारी के विवाह के उपलक्ष्य में यात्रियों का प्रवेश वर्जित है।