महाराष्ट्र के प्राचीन शहर जालना का इतिहास बहुत पुराना है, जो हमें सीधे भगवान राम के समय में ले जाता है। यह शहर कई साम्राज्यों के विख्यात राज का गवाह रहा है, मुग़लों से लेकर शिंदे और निज़ाम शासकों तक का। कुंडलिका तट पर स्थित इस शहर में कई ऐतिहासिक आकर्षण भी हैं जो इस शहर को और खास बनाते हैं। अगर आप वाणिज्यिक पर्यटन केंद्र के हिसाब से देखेंगे तो जालना के ये आकर्षण उतने प्रसिद्ध नहीं हैं और आज भी पर्यटकों की नज़रों से दूर हैं। यहाँ विभिन्न धर्मों के मंदिर, कई ऐतिहासिक किले स्थित हैं और यहाँ बसी है प्राकृतिक खूबसूरती।
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आइये आज हम ऐसे ही एक ऐतिहासिक यात्रा में चलते हैं जालना के आकर्षणों के दर्शन करने !
Image Courtesy: Official Website
श्री महा गणपति संस्थान
शहर के उत्तर दिशा में लगभग 25 किलोमीटर दूर स्थित यह एक आकर्षक और दिलचस्प गणेश जी का मंदिर है। यहाँ के स्थानीय लोगों के हिसाब से यहाँ विराजमान मूर्ति अपने आप ही यहाँ उत्पन्न हो गई और तब से ही एक पूजनीय स्थल में परिवर्तित हो गया। दूर-दूर से लोग इस गणपति मूर्ति की पूजा कर आशीर्वाद पाने आते हैं। गणेश चतुर्थी के पावन अवसर पर यहाँ भक्तों की भारी भीड़ उमड़ती है।
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गुरु गणेश भवन
जैनधर्म के लोगों का पवित्र स्थल, गणेश भवन को कर्नाटक केसरी के नाम से भी जाना जाता है। भवन की देखभाल श्री वर्धमान स्थान्कवासी जैन श्रवक संघ ट्रस्ट द्वारा किया जाता है। यह स्कूल, पुस्तकालय और पशुओं का आश्रयस्थल होने के लिए भी जाना जाता है।
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जुम्मा मस्जिद
सन् 1557 ईसा बाद, जमशेद खान द्वारा बनवाया गया जुमा मस्जिद यहाँ के खास आकर्षणों में से एक है। यह मस्जिद आयताकार आकार में बना हुआ है, जिसके तीन पक्ष बंद ही रहते हैं और चौथा पक्ष आच्छादित मार्ग की तरह खुला होता है। इस रचना में मुग़ल स्थापत्य कला के अनुसार एक अलंकृत केंद्रीय गुम्बद है,धनुषाकार की खिड़कियां हैं और पूरी रचना में सुन्दर नक्काशियां की गई हैं।
Image Courtesy: Nefirious
जालना किला
सन् 1725 ईसवीं में बना जालना किला शहर के प्रमुख स्थलों में से एक है। यह किला चौकोर आकार में बना हुआ है जिसमें कई गलियारे और कक्ष बने हुए हैं। किले के परिसर में स्थापित फ़ारसी शिलालेख से किले के निर्माण का समय और उसके इतिहास का पता चलता है। किले के साथ ही बने एक कोट में अब नगर निगम का कार्यालय है।
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घनेवाड़ी तालाब
जालना में स्थित घनेवाड़ी तालाब उदारता का एक महान उदहारण है। सन् 1931 में इसे दयालु व्यक्तित्व, श्री बेजोंजी फरीदूनजी जालनावाला द्वारा बनवाया गया था, जिसमें आने वाला पूरा खर्च उन्होंने खुद अपनी जेब से भरा था। यह झील उन्होंने इसलिए बनवाया था ताकि वहां के लोगों को पानी की कोई समस्या ना हो। हालाँकि यह झील इस शहर के लिए पानी का प्राथमिक स्रोत रहा है, पर अब वर्तमान स्थिती ऐसी हो गई है कि यहाँ पानी के तत्काल संरक्षण के प्रयासों की खास ज़रूरत है।
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इसी तरह जालना के आसपास और कुछ ही दूरी पर कई पर्यटक स्थल स्थित हैं, जैसे लोनार लेक जो यहाँ से सिर्फ 100 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है। समान दूरी पर ही अजंता एल्लोरा की गुफाएं और औरंगाबाद स्थित है।
Image Courtesy: Satish-ansingkar
जालना पहुँचें कैसे?
सड़क यात्रा द्वारा: जालना महाराष्ट्र के अन्य मुख्य शहरों से अच्छी तरह जुड़ा हुआ है। कई बसों और टैक्सी की सुविधा यहाँ तक के लिए उपलब्ध हैं।
रेल यात्रा द्वारा: जालना का एक अपना रेलवे स्टेशन है, पर यहाँ पहुँचने के लिए आपको पहले औरंगाबाद रेलवे स्टेशन पहुंचना होगा जहाँ से जालना रेलवे स्टेशन तक के लिए आपको लोकल ट्रेन मिल जाएगी।
हवाई यात्रा द्वारा: जालना का सबसे नज़दीकी रेलवे स्टेशन है, औरंगाबाद का चिक्कलथाना हवाई अड्डा जो जालना से लगभग 62 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है। आप पूणे अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डे से भी यहाँ आ सकते हैं जो यहाँ से लगभग 257 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है।
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