हरियाणा भारत का एक तेजी से विकसित होता राज्य है। यह पूर्व में उत्तर प्रदेश, पश्चिम में पंजाब, दक्षिण में राजस्थान और उत्तर में हिमाचल प्रदेश से घिरा हुआ है। दिल्ली के समीप होने के कारण यहां के प्रमुख टूरिस्ट डेस्टिनेशनों पर वीकेंड में काफी भीड़ भी देखी जाती है। दिल्ली से सटा हरियाणा पर्यटन की दृष्टि से काफी समृद्ध है। यहां देखने के लिए कई मनमोहक नजारे और कई महत्त्वपूर्ण स्थान हैं। ज्ञात हो कि कुरुक्षेत्र यहीं स्थित है, जहां महाभारत का युद्ध हुआ था।
इसके अलावा फरीदाबाद की बड़खल झील भी हरियाणा पर्यटन में खास स्थान रखता है। तो इसी क्रम में आज हम आपको अवगत कराएंगे हरियाणा स्थित झज्जर से, यदि आप पक्षियों में दिलचस्पी रखते हैं तो हमारी सलाह है कि आप इस स्थान की यात्रा अवश्य करें। झज्जर हरियाणा राज्य के 21 जिलों में से एक है। इसे 15 जुलाई 1997 में रोहतक जिले से अलग करा गया था।
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यहां के लोगों में मान्यता है कि झज्जर का नामकरण झरनाघर नामक एक प्राकृतिक झरने के आधार पर किया गया है। प्रकृतिप्रेमियों के लिए झज्जर में देखने के लिए बहुत कुछ है। इस जिले का एक प्रमुख आकर्षण भिंडावास पक्षी अभ्यारण्य है, जो कि दिल्ली से सिर्फ तीन घंटे की दूरी पर स्थित है।
1074 एकड़ में फैला यह अभ्यारण्य 35000 से ज्यादा प्रजाति के पानी के पक्षी को अपनी ओर आकर्षित करता है। तो आइये इस लेख के जरिये जानें कि वीकेंड में झज्जर की यात्रा पर क्या क्या देख सकते हैं आप।
गुरुकुल का पुरातात्त्विक संग्रहालय
इस संग्रहालय की स्थापना 1959 में इसके तत्कालीन निदेशक स्वामी ओमनंद ने किया था और आज यह हरियाणा का सबसे बड़ा संग्रहालय है। संग्रहालय के संस्थापक ने अपने अथक प्रयास से प्रदर्शनी के वस्तुओं का विशाल संकलन किया। यहां राजस्थान, हरियाणा, पंजाब, इलाहाबाद और बरेली सहित भारत के अन्य राज्यों से एकत्रित किए गए मूर्तियों और सिक्कों का विशाल संग्रह देखा जा सकता है।
इस संग्रहालय में भगवान राम के समय की छोटी-बड़ी ढेरों मूर्तियां भी हैं। इस संग्रहालय में आपको कई रोचक चीजें भी मिल जाएंगी। मसलन, ऊंट के खाल से बने नीलगिरि के ढोल, बिना जोड़ वाली जंजीर, बोतल में रखा गया खेती के उपकरण का लघुरूप और कलियान की पहाड़ी में पाए जाने वाले लचीले पत्थर को।
बेरी मंदिर
चूंकि यह मंदिर छज्जर जिले के बेरी कस्बे में है, इसलिए इसे बेरी मंदिर कहा जाता है। यहां भीमेश्वरी देवी की प्रतिमा रखी गई है। धर्मग्रंथ के मुताबिक भगवान कृष्ण ने भीम को कुरुक्षेत्र के युद्ध मैदान में कुलदेवी को लाने का आदेश दिया, ताकि वह विजय के लिए उनसे आशीर्वाद ले सकें। आदेश का पालन करते हुए भीम देवी के आवास किंगलय पर्वत पहुंचे और उनसे अपने साथ युद्ध के मैदान में चलने का आग्रह किया।
यहां जाने वाले बेरी के वृक्ष के कारण भी इसे बेरी मंदिर कहा जाता है। इस मंदिर की खास बात यह है कि यहां विवाहित जोड़े आकर अपने वैवाहिक जीवन में सुख-समृद्धि की कामना करते हैं।
भिंडावास पक्षी अभ्यारण्य
पक्षियों के लिए स्वर्ग भिंडावास पक्षी अभ्यारण्य झज्जर से 15 किमी दूर है और दिल्ली से यहां पहुंचने में करीब 3 घंटे का समय लगता है। यह करीब 1074 एकड़ भूभाग पर फैला हुआ है। यहां का खूबसूरत झील इसका प्रमुख आकर्षण है, जहां करीब 35000 प्रजाति के प्रवासी पक्षी आते हैं। इनमें से 250 प्रजातियां विश्व के अलग-अलग हिस्सों की होती हैं। 440 एकड़ में फैले झील पर 12 किमी का एक बांध बनाया गया है।
बांध का उद्देश्य झील के पानी को रोकना है। अभ्यारण्य में स्थित झील का दृश्य आंखों को सुकून पहुंचाने वाला होता है। झील में कई छोटे-छोट टापू हैं, जिस पर पक्षियों का झुंड आकर बैठता है। दूर तक फैले पानी की अगर आप अच्छी फोटोग्राफी करना चाहते हैं तो फिर इसके लिए आपको पॉवरफुल लैंस की जरूरत पड़ेगी।
बुआ वाला तालाब
बुआ वाला तालाब के निर्माण से 375 साल पुरानी सच्चे प्रेम की एक हृदय विदारक कहानी जुड़ी हुई है। यदि आप प्रकृति को करीब से देखना और एक शांत वातावरण में अपना दिन गुज़ारना चाहते हैं तो अवश्य ही आपको इस स्थान की यात्रा करनी चाहिए।
कैसे जाएं झज्जर
सड़क और रेल मार्ग के जरिए झज्जर देश के अन्य हिस्सों से अच्छे से जुड़ा हुआ है।
फ्लाइट द्वारा
झज्जर का सबसे नजदीकी एयरपोर्ट 62 किमी दूर नई दिल्ली में है। आप झज्जर पहुंचने के लिए लोकल या प्राइवेट बस का सहारा ले सकते हैं।
ट्रेन द्वारा
रोहतक जंक्शन यहां का सबसे जनदीकी रेलवे स्टेशन है, जो कि ट्रेन के जरिए दिल्ली और भारत के अन्य शहरों से अच्छे से जुड़ा हुआ है। रोहतक से झज्जर पहुंचने में सिर्फ 30 मिनट का समय लगता है।
सड़क मार्ग द्वारा
झज्जर की सीमा दिल्ली से लगती है और यह दिल्ली से 72 किमी दूर एनएच-71ए पर स्थित है। दिल्ली, उत्तरप्रदेश, हरियाणा के अलावा आसपास के राज्यों से भी झज्जर के लिए निजी और सरकारी बसें चलती हैं।