आसमान से गिरता हुआ कोहरा, चारों ओर फैली धुंध और हाथ में मूंग फली का पैकेट। जाड़े में मूंगफलियों को खाने का अपना एक अलग ही मज़ा है। मूंगफली जिसे गरीबों का बादाम कहा जाता है, प्रोटीन से भरा हुआ फल है। जो आज खेतों से निकल कर मॉल में बिकते हुए ज़रा ख़ास और ग्लोबल हो गया है। अब अगर हम आपसे ये कहें कि भारत में लोग मूंगफली को भी पूजते हैं तो शायद आपको यकीन न हो लेकिन ये सच है।
यदि आपको मूंगफली की पूजा देखनी है तो आप कर्नाटक की राजधानी बैंगलोर आइये। बैंगलोर में इन दोनों कडलेकाई परिशे या मूंगफली मेले की धूम है। इस मेले का आयोजन बैंगलोर के बसवनगुड़ी के बुल टेम्पल परिसर में किया जाता है। यहां आपको तरह तरह की मूंगफलियों के दर्शन होंगे जिन्हें आपने पहले कभी नहीं देखा होगा।
आखिर क्यों मनाया जाता है ये मेला
इस मेले को मनाने की कहानी बड़ी दिलचस्प है, लेकिन उससे पहले आपको ये बता दें कि मूँगफली सदियों से बैंगलोर और उसके आसपास की मुख्य फसल है, जिसका यहां से उत्पादन और निर्यात हो रहा है। आज से पाँच सौ साल पहले ऐसा नहीं था। यहां तब भी मूंगफली बोई जाती थी मगर फसल का उत्पादन नहीं होता था, कारण था एक बैल। किवदंतियों की माने तो बैंगलोर के पास बसे और मूंगफली के प्रमुख उत्पादक गांव गुट्टहल्ली, मावल्ली और दसराहल्ली में आज से पांच सौ साल पहले इस बैल का आतंक था।
ये बैल तब पूरी फसल को नष्ट कर देता था जब आकाश में पूरा चाँद होता था। उस समय इस बैल से बसवनगुड़ी के लोग बड़े परेशान थे। तब एक दिन क्षेत्र के सभी किसान उस बैल के पास गए और उन्होंने उससे विनती करी और कहा कि "कृप्या आप हमारी फसलों को नुक्सान न करें, साथ ही क्षेत्र के लोगों ने बैल के सामने ये भी पेशकश रखी कि यदि नुक्सान न हुआ तो फसल की पहली मूंगफली आपको चढ़ाई जायगी।
बैल किसानों की इस शर्त को मान गया और तब से लेके आज तक इस मूंग फली मेले का आयोजन किया जाता है। बताया जाता है कि लोगों की प्रार्थना के बाद ये बैल वहां से गायब हो गया और कुछ दिनों बाद वहां एक मूर्ति मिली जिसे बाद में एक स्थाई मंदिर में रख दिया गया। इस मूर्ति के बारे में एक दिलचस्प बात ये है कि इस मूर्ति के माथे पर एक त्रिशूल गाड़ के इसके विकास को रोका गया है क्योंकि तब से हर साल इस मूर्ति का आकार बढ़ रहा था। आज आप ये मूर्ति बैंगलोर के बसवनगुड़ी में मौजूद "बुल टेम्पल" में देख सकते हैं।
क्या करने जाएं इस मेले में
अगर आपको बैंगलोर जैसे शहर में ग्रामीण जीवन का आनंद लेना है तो आप अवश्य ही इस मेले में आइये और कर्नाटक की सभ्यता और संस्कृति को करीब से महसूस कीजिए। जैसा कि हमने आपको पहले बताया यहां की मूंगफली अपने में लाजवाब है तो आपको अगर कुछ अलग किस्म की मूंगफली खाने और देखने का शौक हो तो आप यहां ज़रूर आइये। मूंगफली और बुल टेम्पल के अलावा यहां बहुत कुछ है यहां आकर के आपको रोजमर्रा की चीजें मार्किट से कहीं सस्ते दामों पर मिल सकती हैं।
नीचे स्लाइड्स में देखें, इस खूबसूरत मेले को बयां करती कुछ तस्वीरें :
मेले में बिकती मूंगफली
मूंगफली इस मेले का मुख्य आकर्षण हैं जिन्हें आप बहुतायत में यहां बिकते हुए देखेंगे।
मेले में बिकती मूंगफली
मूंगफली इस मेले का मुख्य आकर्षण हैं जिन्हें आप बहुतायत में यहां बिकते हुए देखेंगे।
मेले में बिकती मूंगफली
मूंगफली इस मेले का मुख्य आकर्षण हैं जिन्हें आप बहुतायत में यहां बिकते हुए देखेंगे।
मूंगफलियों को समर्पित है बैंगलोर का ये मेला
ये मेला हर साल बुल टेम्पल के पास लगता है जिसमें राज्य के किसान आकर अपनी मूंगफली बेचते हैं।
बहुत कुछ बिकता है यहां
यहां मेले में आपको जगह जगह चाट पकौड़ी के स्टाल भी देखने को मिलेंगे।
बहुत कुछ बिकता है यहां
आप चाहें तो यहां से कई ऐसे सामान ले सकते हैं जो आपको बाहर महंगे दामों पर मिलेंगे।
मेले में बिकती मूंगफली
मूंगफलियां इस मेले का प्रमुख आकर्षण हैं।
मेले में बिकती मूंगफली
बाहर महंगे दाम में मिलने वाली मूंगफली यहां काफी सस्ते में बिकती है।
बहुत कुछ बिकता है यहां
अगर आप चाहें तो यहां आकर आप कई सारे रंग बिरंगे मिट्टी के बर्तन भी खरीद सकते हैं।
बुल टेम्पल में लगता है ये मेला
हर साल कार्तिक मास में इस मेले का आयोजन किया जाता है। इस दौरान यहां दर्शन करने वाले लोगों की काफी भीड़ रहती है।