भारत का पूर्वी राज्य बिहार, अपने बृहद इतिहास के लिए जाना जाता है। ऐतिहासिक और सांस्कृतिक रूप से यह एक महत्वपूर्ण स्थल है, जहां आज भी अतीत से जुड़े कई प्राचीन अवशेषों को देखा जा सकता है। बिहार नालंदा जैसे प्राचीन शिक्षण संस्थानों और विष्णुगुप्त जैसे बुद्धिजीवियों के लिए हमेशा जाना जाता रहा है। इस राज्य का प्राचीन नाम मगध था, जिसने धर्म, अध्यात्म, शिक्षा, सभ्यता-संस्कृति जैसी खासियतों की वजह से पूरे विश्व को अपनी ओर आकर्षित किया।
प्राचीन से मध्यकाल और वर्तमान तक में लंबे सफर के बाद भी इस स्थल का ऐतिहासिक महत्व कम नहीं हुआ है। हर साल यहां भारी संख्या में विश्व भर से पर्यटकों और श्रद्धालुओं का आगमन होता है। पर्यटन के लिहाज से यहां घूमने-फिरने और देखने योग्य कई शानदार जगहें मौजूद हैं।
नालंदा, वैशाली, कैमूर, पटना, बोधगया, राजगीर आदि यहां के विश्व प्रसिद्ध प्रयटन स्थल है, लेकिन आज हम आपको इस स्थलों से अलग राज्य के चंपारण स्थित एक प्राचीन स्मारक के बारे में बताने जा रह हैं, जो विश्व के सबसे बड़े प्राचीन बौद्ध स्तूप के नाम से प्रसिद्ध है। जानिए हमारे साथ केसरिया स्तूप के विषय में, जानिए यह स्थल आपकी यात्रा को किस प्रकार खास बना सकता है।
बिहार का केसरिया स्तूप
बिहार के पूर्व चंपारण जिले के अतर्गत केसरिया नामक स्थल में मौजूद केसरिया स्तूप एक प्राचीन धरोहर है, जो विश्व के सबसे बड़े प्राचीन बौद्ध स्तूप के नाम से प्रसिद्ध है। जानकारी के अनुसार इस स्तूप को सम्राट अशोक ने बनवाया था। इतिहास और कला में दिलचस्पी रखने वालों के लिए यह एक महत्वपूर्ण स्थल है, जहां भारतीय इतिहास के कई अहम पहलुओं को समझा जा सकता है। रिकॉर्ड में दर्ज तारिख के अनुसार यह विशाल स्तूप तीसरी शताब्दी से संबंध रखता है। इस प्राचीन स्थल को पुरातात्विक सर्वेक्षण विभाग द्वारा 1958 में खोजा गया।
सर्वेक्षण का पुरा काम पुरातत्वविद् के. मुहम्मद के अतर्गत कियाा। सर्वेक्षण से पहले इस स्थल को प्राचीन शिव मंदिर माना जा रहा था। खुदाई के दौरान यहां प्राचीन काल की कई अन्य चीजों प्राप्त की गई हैं, जिनमें बद्ध की मूर्तियां, तांबे की वस्तुएं, इस्लामिक सिक्के आदि।
क्यों आएं केसरिया स्तूप
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केसरिया की यात्रा कई उद्देश्यों को पूरा करने के लिए की जा सकती है। अगर आप एक इतिहास प्रेमी हैं और प्राचीन स्थलों की सैर करना पसंद करते हैं, तो आपको यहां जरूर आना चाहिए। बौद्ध धर्म में रूची रखने वाले पर्यटक इस स्थल की सैर कर सकते हैं। यह आपके लिए एक खास मौका होगा जब आप विश्व के सबसे बड़े बौद्ध स्तूप को करीब से देख पाएंगे। केसरिया की यात्रा उन पर्यटकों के लिए भी खास है, जो बिहार के ऐतिहासिक और सांस्कृतिक महत्व को समझना चाहते हैं। कुछ नया जानने वाले जिज्ञासुओं के लिए भी यह एक शानदार जगह है। आप अपने बच्चों को इस स्थल की सैर करा सकते हैं, ताकि उन्हें अपने पाठ्यक्रम से हटकर नया ज्ञान मिले।
आसपास के आकर्षण
केसरिया स्तूप के अलावा आप यहां आसपास बसे पर्यटन स्थलों की सैर का आनंद ले सकते हैं। आप यहां से सीतामढ़ी स्थल की सैर कर सकते हैं, यह एक पौराणिक स्थल है, और माना जाता है कि यहां सीता का जन्म हुआ था। आप पूर्वी चंपारण के मोतिहरी का भ्रमण कर सकते हैं, जो एक ऐतिहासिक स्थल है, जिसकी भारतीय स्वतंत्रता संग्राम के दौरान अहम भूमिका निभाई। आप यहां से अरेराज स्थल की और रूख कर सकते हैं। यह स्थल अपने प्राचीन शिव मंदिर के लिए जाना जाता है, जहां रोजाना श्रद्धालुओं का आगमन लगा रहता है।
आप अरेराज के लौरिया गांव में स्थित 11.5 मीटर लंबे अशोक पत्थर स्तंभ को देख सकते हैं, जो 249 ईसा पूर्व में बनाया गया था। इसके अलावा आप यहां से सीताकुंड गांव की सैर का प्लान बना सकते हैं, जो सीता को समर्पित एक प्राचीन कुंड के लिए जाना जाता है।
आने का सही समय
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केसरिया स्तूप को देखने का सबसे आदर्श समय अक्टूबर से लेकर फरवरी तक का है, इस दौरान यहां का मौसम अनकून बना रहता है। हालांकि स्तूप को देखने के लिए सालभर इतिहास प्रेमियों और पर्यटकों का आगमन लगा रहता है।
कैसे करें प्रवेश
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केसरिया, बिहार के पूर्वी चंपारण जिले में स्थित है, जहां आप परिवहन के तीनों साधनों की मदद से पहुंच सकते हैं। यहां का निकटवर्ती हवाईअड्डा 120 कि.मी की दूरी पर स्थित पटना एयरपोर्ट है। रेल मार्ग के लिए आप पटना रेलवे स्टेशन का सहारा ले सकते हैं, जहां से आपको देश के अन्य स्थानों के लिए रेल सेवा मिल जाएगी। अगर आप चाहें तो यहां सड़क मार्ग के जरिए भी पहुंच सकते हैं, बेहतर सड़क मार्गों के द्वारा केसरिया राज्य के बड़े शहरों से अच्छी तरह जुड़ा हुआ है।