ये भारत है साहब... यहां सब कुछ मिलता भी है और दिखता भी है। हाल ही में लोगों के सामने एक ऐसा महल आया, जिसने देखने के बाद सभी की आंखें खुली की खुली रह गई। कहा जा रहा है कि ये महल बकिंघम पैलेस से भी काफी बड़ा है, जो गुजरात के वडोदरा की शान बढ़ा रहा है। शहर के बीचों-बीच स्थित ये पैलेस अपनी वास्तुकला और भव्यता के लिए जाना जाता है। यह पैलेस महाराजा सयाजीराव गायकवाड़ का है, जो सुशासन के प्रतीक कहे जाते हैं।
सयाजीराव तृतीय ने बनवाया था लक्ष्मी विलास पैलेस
इस खूबसूरत पैलेस का निर्माण गायकवाड़ रियासत के महाराजा सयाजीराव तृतीय ने साल 1890 में करवाया था। सूत्रों की मानें तो इस पैलेस को बनवाने में उस समय 27 लाख रुपये का खर्च आया था। बताया जाता है कि इसका आकार बकिंघम पैलेस से चार गुना बड़ा है। जब इस महल का निर्माण हुआ था तब इस महल में उस समय की सबसे आधुनिक सुविधाएं (जैसे- एलीवेटर) उपलब्ध हुआ करती थी।
पैलेस में हुई है कई फिल्मों की शूट
इस पैलेस की खूबसूरती को बॉलीवुड की फिल्मों में भी दर्शाया जा चुका है। साल 1982 में आई फिल्म प्रेम रोग हो या फिर 1993 में आई दिल, 2013 में आई ग्रैंड मस्ती हो या फिर 2016 में आई सरदार गब्बर सिंह। इन सभी फिल्मों की शूटिंग इसी पैलेस में हुई है। अब तो आप इस पैलेस के बारे में समझ ही होंगे कि ये कितना खूबसूरत है। तो देर ना करिए एक बार आप भी इस पैलेस को घूम आइए। इस पैलेस में वर्तमान समय में वडोदरा की पूर्व राज परिवार रहता है। जबकि इसके दूसरे हिस्से को व्यवासायिक रूप से इस्तेमात किया जाता है।
500 एकड़ में फैला है लक्ष्मी विलास पैलेस
करीब 500 एकड़ में फैला हुआ यह शाही महल बेहद शानदार है। इसे बनाने में उस समय करीब 60 लाख रुपये का खर्च आया था। इसमें कुल 170 कमरे बनाए गए हैं, जो सिर्फ तत्कालीन महाराजा और महारानी के लिए बनाया गया था। इस महल के वास्तुकार के रूप में मेजर चार्ल्स मांट ने काम किया, लेकिन उनके आत्महत्या के बाद बाकी काम को रॉबर्ट फेलोस चिशोल्म ने पूरा किया।
लक्ष्मी विलास पैलेस की वास्तुकला
लक्ष्मी विलास पैलेस की वास्तुकला इंडो-सारासेनिक रिवाइवल शैली में बनाई गई है। इसमें उस समय युद्ध में इस्तेमाल होने वाले हथियारों का विशेष संग्रह भी रखा गया है। हाल ही में महल के मयूजियम में महाराजा रणजीत सिंह गायकवाड़ द्वारा एकत्र किए गए हेडगियर्स प्रदर्शित किए गए थे, जो गिने-चुने संग्रहालयों में ही किए जाते हैं। सभी महलों की भांति ही इसके भी प्रवेश द्वार के पहले एक आकर्षक फव्वारा है, जो पर्यटकों को आकर्षित करती है और महल के आखिरी हिस्से तक बांधे रखती है। यकीन मानिए इसकी सुंदरता आपको बोर नहीं होने देगी। इस महल में कई बगीचे भी आपको दिख जाएंगे, जो प्रसिद्ध बोटैनिस्ट सर विलियम गोल्डिंग द्वारा डिजाइन किया गया है। इन्होंने ने ही लंदन के प्रसिद्ध केव बॉटनिकल गार्डन को भी डिजाइन किया था। यहां बच्चों के लिए खेलने के लिए काफी सारे गेम्स मिल जाएंगे। इसके आलावा अगर आप राजस्थानी परम्परा से लगाव रखते हैं तो यहां का कठपुतली शो देखना बिल्कुल ना भूलें।
लक्ष्मी विलास पैलेस में प्रवेश करने का समय
लक्ष्मी विलास पैलेस में प्रवेश करने का समय सुबह 9:30 से शाम 5:00 बजे तक का है, जबकि दोपहर 1:00 बजे से लेकर 1:30 बजे तक पर्यटकों का प्रवेश वर्जित रखा जाता है। इसके पैलेस सोमवार के दिन पूर्णतया बंद रहता है।
लक्ष्मी विलास पैलेस का प्रवेश शुल्क
लक्ष्मी विलास पैलेस का प्रवेश शुल्क 150 रूपये प्रति व्यक्ति है। जबकि महल के अंदर मौजूद महाराजा फतेह सिंह संग्रहालय का प्रवेश शुल्क 60 रूपये प्रति व्यक्ति है। इसके अलावा बच्चों और विदेशी पर्यटकों के लिए प्रवेश शुल्क भिन्न है।
लक्ष्मी विलास पैलेस कब घूमने जाए
अगर आप लक्ष्मी विलास पैलेस घूमने की प्लानिंग कर रहे हैं तो आप अक्टूबर से मार्च के बीच जाएं। क्योंकि इस दरमियान यहां का मौसम काफी सुहावना होता है और सुहावने मौसम में घूमने का अलग ही मजा होता है।
लक्ष्मी विलास पैलेस कैसे पहुंचें
लक्ष्मी विलास पैलेस पहुंचने के लिए सबसे नजदीकी हवाई अड्डा वडोदरा में ही स्थित है, जो लगभग भारत के सभी शहरों से जुड़ा हुआ है। वहीं, यहां का नजदीकी रेलवे स्टेशन वडोदरा जंक्शन है। इसके अलावा देश के विभिन्न हिस्सों में यहां तक पहुंचने के लिए कई राजमार्ग है, जिससे आप वहां तक पहुंच सकते हैं।