उत्तर भारत में हिमाचल प्रदेश पर्यटकों का पसंदीदा टूरिस्ट डेस्टिनेशन है। लोग यहां सर्दी में बर्फ देखने पहुंचते हैं तो गर्मियों में उत्तर भारत की भीषण गर्मी से बचने के लिए। इसीलिए यहां हार साल लाखों की तादाद में देसी और विदेशी सैलानी छुट्टियाँ मानाने पहुंचते हैं।
हिमाचल प्रदेश मतलब कुल्लू-मनाली शिमला आदि।लेकिन बीते कुछ सालों से यहां पर्यटकों की बढती भीड़ ने लोगो का उत्साह काफी कम कर दिया है।इसीलिए आज हम आपके लिए हिमाचल प्रदेश की कुछ ऐसी जगहों की लिस्ट लेकर आयें है, जहां आप फरवरी मार्च में अपने दोस्तों और परिवार के साथ मस्ती कर सकते हैं। साथ ही आपको शिमला,कुल्लू मनाली से अच्छी जगहें देखने को मिलेगी , जहां होगा ढेर सारा एडवेंचर और मस्ती। तो बिना देर किये एक नजर डालिए स्लाइड्स पर
पालमपुर
धौलाधार पहाड़ियों से घिरा पालमपुर हिमाचल प्रदेश का एक छोटा सा हिल स्टेशन है। यहां शहर के विशाल चाय बागानों के कारण पालमपुर उत्तर पश्चिमी भारत की चाय राजधानी के रूप में जाना जाता है। पालमपुर की यात्रा करने वाले पर्यटकों के लिये चाय के बागान प्रमुख आकर्षण है। पालमपुर धर्मशाला से करीबन 30 किमी की दूरी पर स्थित है।पालमपुर समुद्र तल से 1205 मीटर की ऊंचाई पर स्थित है, यहां सर्दी हो या गर्मी, हर सैलानियों का हमेसा जमावड़ा लगा रहता है।
चिट्कुल
इंडिया तिब्बत बोर्डर का आखिरी गांव है जोकि बसपा घाटी में बसा हुआ है।सर्दियों के दौरान यह गांव पूरी तरह बर्फ की चादर से ढक जाता है। चिटकुल घूमने का बेस्ट टाइम गर्मियां हैं। पर्यटक यहां सुंदर मंदिरों को देखने के साथ साथ इस जगह के प्राकृतिक सौंदर्य का आनंद भी ले सकते हैं।
कुनिहार घाटी
अरकी में स्थित कुनिहार घाटी सोलन के प्रमुख पर्यटन स्थलों में से एक है। हटकोट और छोटी विलायत के नाम से भी प्रसिद्द इस स्थान का नाम कुनिहार भारत के पूर्व प्रधान मंत्री राजीव गाँधी ने रखा था क्योंकि इसका आकार एक माला के सामान है।
नारकंडा
नारकंडा शिमला जिले बसा हुआ छोटा सा हिल स्टेशन है जोकि शिमला से 65 किमी की दूरी पर स्थित है।3300 मीटर की ऊंचाई पर नारकंडा में स्थित हाटु चोटी शहर का उच्चतम बिंदु है और हिमालय रेंज के एक विहंगमदृश्य प्रदान करता है जिसमें इसके बर्फ के पहाड़, पाइन के घने जंगल, सेब के बगीचे, और हरे धान के खेत शामिल हैं।
रेवाल्सर
बर्फीली पहाड़ियां, हरे-भरे जंगल व मनमोहक झीलें यह पहचान है हिमाचल प्रदेश की। यहां के रेवाल्सर व पाराशर झीलें पर्यटन और धार्मिक आस्था के अनूठे संगम हैं। जैसे यहां आकर मन ठहर जाता है। यहां का ठंडक भरा शांत वातावरण किसी का भी मन मोह सकता है। शहरी भागदौड़ और व्यस्त जीवन में से सुकून के कुछ पल बिताना किसी को भी अच्छा लग सकता है।
स्पीती
हिमाचल के जिला लाहौल स्पीति में स्थित स्पीती घाटी किसी स्वर्ग से कम नहीं है। साल में कुछ ही महीने यह सैर सपाटे के लिए खुला रहता है। लेकिन इसके बावजूद कई सैलानियों की यह पहली पसंद है।यहां कई बड़ी झीलें भी हैं जो सर्दियों के दौरान जम जाती है। सैलानी गर्मियों के महीनों में यहां आ सकते हैं। सर्दियों में ज्यादातर दिन यह घाटी बाहरी दुनिया से कटी रहती है। यहां पर्यटकों के रुकने के लिए ज्यादा कुछ नहीं है, इसलिए यहां आने वाले पर्यटक काजा में रुक सकते हैं,वहां पर्यटकों को रुकने के लिए होटल और रिसोर्ट आसानी से उपलब्ध हो जाते है।
अरकी
अरकी शहर में स्थित अरकी किला जाने माने पर्यटन स्थलों में से एक है। इस किले का निर्माण राणा पृथ्वी सिंह ने 1695 से 1700 के दौरान किया था। गुरखा, जिन्होनें इस स्थान का उपयोग ब्रिटिशों पर हमले करने के लिये किया था, उन्होंने इस स्थान को 1815 तक अपने कब्ज़े में रखा। यह किला मुग़ल और राजपूत वास्तुकला की मिली जुली शैली को दर्शाता है। यहाँ पहाड़ी शैली के भित्तिचित्र हैं, जो पहाड़ी क्षेत्रों में रहने वाले लोगों की जीवनशैली प्रदर्शित करते हैं। इस किले के एक भाग को विरासत होटल के रूप में परिवर्तित कर दिया गया है।
तातापानी
तातापानी करसोग में एक बहुत ही खूबसूरत जगह है। यहाँ गर्म पानी के चश्मे है। आप यहाँ रिवर राफटिन्ग ,बोटिंग आदि का भी लुप्त ले सकते हैं।
चम्बा
चम्बा हिमाचल प्रदेश का एक पुराना शहर है जोकि रावी नदी के किनारे स्थित है। चम्बा में देखने के लिए काफी सारे मंदिर है। साथ ही यहां आने वाले पर्यटक यहां होने वाले लोक संगीत का आनन्द ले सकते हैं।चंबा का हैंडीक्राफ्ट्स दूर विदेशो में भी काफी लोकप्रिय है।
करोला टिब्बा
करोला टिब्बा सोलन जिले की सबसे ऊँची पहाड़ी है। यह पर्वत पर्यटकों के लिये ट्रेकिंग का ज़बरदस्त अवसर प्रदान करता है। सलोगरा रेलवे स्टेशन के बाहर स्थित इस स्थान तक आसानी से पहुँचा जा सकता है। आसपास के पहाड़ों का अदभुत दृश्य पर्यटन का एक अन्य आकर्षण है।
भरमौर
भरमौर का नाम पहले ब्रहमपुर हुआ करता था जोकि चम्बा की राजधानी थी।यहां पर्यटकों के देखने के लिए कई सारे पुराने मंदिर बने हुए है, कहा जाता है कि, इन सभी मन्दिरों का निर्माण दसवीं शताब्दी में हुआ था। यह जगह बेहद ही खूबसूरत है,सर्दियों में अक्सर यहां सभी तरफ बर्फ जमी हुई होती है।
नाको झील
नाको झील जिला किन्नौर में स्थित है जोकि समुद्री स्तर से 3,660 मीटर की ऊंचाई पर स्थित है । यह विदेशी पर्यटकों व बौद्ध भिक्षुओं को अपनी ओर आकर्षित करती है। गर्मियों में हजारों देशी व विदेशी पर्यटक इस झील तकपहुंच कर यहां की शांत आबोहवा में अपनी थकान मिटा कर सुकून महसूस करते हैं। पौराणिक कथाआें, मान्यताओं व दंत कथाओं के अनुसार नाको झील का इतिहास सातवीं शताब्दी के महान बौद्ध धर्मगुरु पद्मसंभव काल से बताया जाता है। धार्मिक दृष्टि से नाको झील की मान्यता हिमाचल प्रदेश के रिवालसर झील जैसी है।
त्रिलोक नाथ मंदिर
त्रिलोकनाथ मंदिर मंडी पठान कोट मार्ग पर स्थित है जो यहां का सबसे पुराना मंदिर है। इस मंदिर का निर्माण 1520 ई . में राजा अजवेर सेन की पत्नी, सुल्तान देवी ने करवाया था। यह मंदिर भगवान शिव को समर्पित है जिसमें बनी भगवान की मूर्ति में तीन चेहरे बने हुए है। मंदिर में अन्य देवता नारदा और शारदा की भी पूजा की जाती है।
किब्बर
किब्बर, लाहौल में एक छोटा सा गांव है, जो 4270 मीटर की ऊंचाई पर स्थित है। यह गांव चूना पत्थर की चट्टानों से बनी एक संकीर्ण घाटी है। यहां स्थित मठ सेरकांग रिमपोचे ने बनवाया था। यहां एक वन्यजीव अभयारण्य भी स्थित है जहां कई जानवर और पशु रहते हैं।यह गांव काजा से 16 किमी. की दूरी पर है, काजा से गर्मियों में बस सेवा शुरू की जाती है ताकि पर्यटक भ्रमण के लिए आ सकें।
झंझेली
झंझेली मंडी से 67 किमी की दूरी पर स्थित है। यहां आने वाले पर्यटक ट्रेकिंग का लुत्फ उठा सकते हैं।झंझेली में घूमने के लिए काफी मंदिर है, साथ ही यहां पर्यटकों के रुकने की भी उत्तम व्यवस्था है।
शाली टिब्बा
शाली टिब्बा एक ऊँचा पहाड़ है जोकि शिमला जिले में स्थित है। शाली टिब्बा पहुँचने वाले पर्यटक खंतोल गांव में बेस कैम्प लगाकर इस पहाड़ की चढ़ाई करते हैं। यहां से हिमालय का मनोरम दर्शय पर्यटकों को काफी भाता है।