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महाशिवरात्रि स्पेशल : केदारनाथ, जहां अपने पापों से मुक्त हुए थे पांडव

By Syedbelal

महादेव या भगवान शिव और धर्म, सिर्फ हमारी आस्था और विश्वास के प्रतीक नहीं है बल्कि ये हमें एक आदर्श जीवन जीने की भी प्रेरणा देते हैं। शिव एक तरफ जहां सौम्य रूप धरे और तप करते एक योगी हैं तो वहीँ दूसरी तरफ महाकाल भी उनका एक रूप है। सच में भोले की लीला अनूठी है, शिव में आपको कई अलग- अलग भावों का समागम दिखता है, कहीं शिव अपने मस्तक पर चंद्रमा को सजाए हुए हैं तो कहीं एक बेहद जहरीले वासुकी सांप को अपने गले की शोभा बनाते हुए उसे एक हार की तरह धारण किया। शिव ने जहां अर्धनारीश्वर बन महिलाओं के अधिकारों की बात करी वहीं उन्होंने निर्मल निष्काम प्रेम का भी पाठ पढ़ाया।

महाशिवरात्रि स्पेशल इस सीरीज में हम आज आपको जिस ज्योतिर्लिंग से अवगत कराने जा रहे हैं उसकी ये खासियत है कि यहां कुरूक्षेत्र के युद्ध के उपरान्त पाँण्डव अपने पापों के प्रायश्चित के लिये आये थे। जी हां हम बात कर रहे हैं केदारनाथ मन्दिर की जिसका शुमार हिन्दू धर्म के मुख्य तीर्थों में होता है।

केदारनाथ मन्दिर भारत के उत्तराखण्ड राज्य के रूद्रप्रयाग जिले में स्थित है। उत्तराखण्ड में हिमालय पर्वत की गोद में केदारनाथ मन्दिर बारह ज्योतिर्लिंग में सम्मिलित होने के साथ चार धाम और पंच केदार में से भी एक है। यहाँ की प्रतिकूल जलवायु के कारण यह मन्दिर अप्रैल से नवंबर माह के मध्‍य ही दर्शन के लिए खुलता है। पत्‍थरों से बने कत्यूरी शैली से बने इस मन्दिर के बारे में कहा जाता है कि इसका निर्माण पाण्डव वंश के जनमेजय ने कराया था। यहाँ स्थित स्वयम्भू शिवलिंग अति प्राचीन है। आदि शंकराचार्य ने इस मन्दिर का जीर्णोद्धार करवाया।

केदारनाथ केदारनाथ मंदिर

केदारनाथ केदारनाथ मंदिर

केदारनाथ मन्दिर भारत के उत्तराखण्ड राज्य के रूद्रप्रयाग जिले में स्थित है। उत्तराखण्ड में हिमालय पर्वत की गोद में केदारनाथ मन्दिर बारह ज्योतिर्लिंग में सम्मिलित होने के साथ चार धाम और पंच केदार में से भी एक है।

केदारनाथ मंदिर

केदारनाथ मंदिर

केदारनाथ के पास ही स्थित भैरवनाथ जी का एक मंदिर।

केदारनाथ मंदिर

केदारनाथ मंदिर

मंदिर की महिमा का वर्णन करता एक अन्य खूबसूरत फ़ोटो।

 केदारनाथ मंदिर

केदारनाथ मंदिर

मंदिर में दर्शन करने के लिए भक्तों कि भीड़ दर्शाता ये फ़ोटो।

केदारनाथ मंदिर

केदारनाथ मंदिर

केदारनाथ मंदिर का रात में लिए गया एक बेहद खूबसूरत फ़ोटो।

 केदारनाथ मंदिर

केदारनाथ मंदिर

अपार प्राकृतिक सुंदरता लिए हुए है भोले का केदारनाथ धाम।

केदारनाथ मंदिर

केदारनाथ मंदिर

मंदिर के पास में ही स्थित भोले शंकर के एक अन्य प्राचीन मंदिर के बचे हुए अवशेष।

 शिव केदारनाथ मंदिर

शिव केदारनाथ मंदिर

शिव केदारनाथ मंदिर का एक अन्य खूबसूरत फ़ोटो।

केदारनाथ मंदिर

केदारनाथ मंदिर

केदारनाथ धाम के पास में ही मौजूद एक अन्य मंदिर उखीमठ की तस्वीर।

व्यास गुहा, केदारनाथ

व्यास गुहा, केदारनाथ

केदारनाथ के पास ही मौजूद व्यास गुहा का एक चित्र।

मंदिर का आर्किटेक्चर

यह मन्दिर एक छह फीट ऊँचे चौकोर चबूतरे पर बना हुआ है। मन्दिर में मुख्य भाग मण्डप और गर्भगृह के चारों ओर प्रदक्षिणा पथ है। बाहर प्रांगण में नन्दी बैल वाहन के रूप में विराजमान हैं। मन्दिर का निर्माण किसने कराया, इसका कोई प्रामाणिक उल्लेख नहीं मिलता है, लेकिन हाँ ऐसा भी कहा जाता है कि इसकी स्थापना आदि गुरु शंकराचार्य ने की थी।

मन्दिर की पूजा श्री केदारनाथ द्वादश ज्योतिर्लिगों में से एक माना जाता है। प्रात:काल में शिव-पिण्ड को प्राकृतिक रूप से स्नान कराकर उस पर घी-लेपन किया जाता है। तत्पश्चात धूप-दीप जलाकर आरती उतारी जाती है। इस समय यात्री-गण मंदिर में प्रवेश कर पूजन कर सकते हैं, लेकिन संध्या के समय भगवान का श्रृंगार किया जाता है। उन्हें विविध प्रकार के चित्ताकर्षक ढंग से सजाया जाता है। भक्तगण दूर से केवल इसका दर्शन ही कर सकते हैं। केदारनाथ के पुजारी मैसूर के जंगम ब्राह्मण ही होते हैं।

मंदिर से जुडी कथा

पंचकेदार की कथा ऐसी मानी जाती है कि महाभारत के युद्ध में विजयी होने पर पांडव भ्रातृहत्या के पाप से मुक्ति पाना चाहते थे। इसके लिए वे भगवान शंकर का आशीर्वाद पाना चाहते थे, लेकिन वे उन लोगों से रुष्ट थे। भगवान शंकर के दर्शन के लिए पांडव काशी गए, पर वे उन्हें वहां नहीं मिले। वे लोग उन्हें खोजते हुए हिमालय तक आ पहुंचे। भगवान शंकर पांडवों को दर्शन नहीं देना चाहते थे, इसलिए वे वहां से अंतध्र्यान हो कर केदार में जा बसे।

दूसरी ओर, पांडव भी लगन के पक्के थे, वे उनका पीछा करते-करते केदार पहुंच ही गए। भगवान शंकर ने तब तक बैल का रूप धारण कर लिया और वे अन्य पशुओं में जा मिले। पांडवों को संदेह हो गया था। अत: भीम ने अपना विशाल रूप धारण कर दो पहाडों पर पैर फैला दिया। अन्य सब गाय-बैल तो निकल गए, पर शंकर जी रूपी बैल पैर के नीचे से जाने को तैयार नहीं हुए। भीम बलपूर्वक इस बैल पर झपटे, लेकिन बैल भूमि में अंतध्र्यान होने लगा।

तब भीम ने बैल की त्रिकोणात्मक पीठ का भाग पकड़ लिया। भगवान शंकर पांडवों की भक्ति, दृढ संकल्प देख कर प्रसन्न हो गए। उन्होंने तत्काल दर्शन देकर पांडवों को पाप मुक्त कर दिया।

दर्शन का समय

केदारनाथ जी का मन्दिर आम दर्शनार्थियों के लिए प्रात: 7:00 बजे खुलता है।
दोपहर एक से दो बजे तक विशेष पूजा होती है और उसके बाद विश्राम के लिए मन्दिर बन्द कर दिया जाता है।
पुन: शाम 5 बजे जनता के दर्शन हेतु मन्दिर खोला जाता है।
पाँच मुख वाली भगवान शिव की प्रतिमा का विधिवत श्रृंगार करके 7:30 बजे से 8:30 बजे तक नियमित आरती होती है।
रात्रि 8:30 बजे केदारेश्वर ज्योतिर्लिंग का मन्दिर बन्द कर दिया जाता है।

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