'सेवन-सिस्टर्स' के नाम से विश्व विख्यात भारतीय उत्तर-पूर्वी क्षेत्र के सात राज्य कई खूबसूरत पर्यटक स्थलों का गढ़ हैं। चाहे बात हिमालय से ढके अरुणाचल प्रदेश की हो या फिर ब्रह्मपुत्र नदी को अपने में समाए खूबसूरत राज्य असम की। 'नेटिव प्लानेट' के टूअर सफारी में आज हम आपको असम के एक ऐसे आइलैंड के बारे में बताने जा रहे हैं जिसे दुनिया के सबसे बड़े नदी द्वीप का दर्जा प्राप्त है। ब्रह्मपुत्र नदी के बीच में 875 वर्ग किमी के क्षेत्रफल में फैले इस गुमनाम द्वीप का नाम है 'माजुली'। 'गिनीज बुक ऑफ वर्ल्ड रिकॉर्ड्स' में अपना नाम दर्ज करा चुके इस एक मात्र नदी द्वीप को देखने के लिए देश-दुनिया से हजारों पर्यटक रोजाना असम तक का सफर तय करते हैं। आईए जानते हैं यह नदी द्वीप पर्यटन के लिहाज से आपको किस तरह रोमांचित और आनंदित कर सकता है।
असम का प्रमुख पर्यटन स्थल
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ब्रह्मपुत्र नदी की खूबसूरती पर चार-चांद लगाता माजुली द्वीप असम के प्रमुख पर्यटन स्थलों में से एक है। इस आइलैंड की विशेषताओं को देखते हुए इसे प्राकृतिक व सांस्कृतिक विरासत स्थल के रूप में चिन्हित किया गया है। असम की ऐतिहासिक संस्कृति को जीवंत रूप प्रदान करता यह द्वीप पर्यटकों के मध्य काफी लोकप्रिय होता जा रहा है। यहां सैलानी प्राकृतिक खूबसूरती के साथ-साथ हर साल यहां आने वाले प्रवासी पक्षियों को देखने के लिए खिंचे चले आते हैं। सुबह से लेकर देर शाम तक यहां सैलानियों का तांता बना रहता है। नेचर लवर्स और फोटोग्राफी के शौकिनों के लिए यह एक परफेक्ट प्लेस है। इसी के साथ ही पर्यटक यहां प्राचीन असमीया कलाकृतियों, अस्त्र-शस्त्र, वस्त्र-आभूषण और हस्तशिल्प के विशेष संकलन को आसानी से देख सकते हैं।
माजुली का तेंगापानिया स्थल
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कई वर्ग किमी में फैले इस विशाल नदी द्वीप पर कई दार्शनिक स्थल मौजूद हैं। माजुली की मनमोहक आबोहवा का लुफ्त उठाने के लिए आप यहां के विभिन्न स्थलों का भ्रमण कर सकते हैं। यहां मौजूद तेंगापानिया ब्रह्मपुत्र नदी के नजदीक स्थित है जिसे एक बहुत ही लोकप्रिय पिकनिक स्पॉट के रूप में जाना जाता है। तेंगापानिया की बनावट और यहां उकेरी गई वास्तुकला को स्वर्ण मंदिर की सरंचना से मिलता जुलता स्वरूप दिया गया है, जिसे 'अहोम वास्तुकला' का एक उल्लेखनीय उदाहरण माना जाता है। तेंगापानिया के चारों ओर स्थापित किए गए स्तंभ और मूर्तियां खास आकर्षण का केंद्र हैं। नदी के पास स्थित होने की वजह से यह स्थल काफी शांत और खूबसूरत हैं। यहां से ब्रह्मपुत्र नदी के मनोरम दृश्यों का लुफ्त आसानी से उठाया जा सकता है।
माजुली में स्थित अन्य दार्शनिक स्थल
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द्वीप पर स्थित 'कमलाबारी सत्र' संस्कृति, साहित्य, कला और संगीत से संबंधित सभी चीजों का केंद्र स्थल है। यहां दीवारों और छतों पर उकेरे गए जटिल डिजाइन आज भी उतने ही आकर्षक लगते हैं जितने ये कभी पहले थे। इसके अलावा यहां दखनपत सत्र के नाम से मशहूर एक स्मारक भी मौजूद है जिसे अपने धार्मिक और सांस्कृतिक महत्व के लिए जाना जाता है। इसके अलावा आप यहां मौजूद सामागुरी, गरमूढ़, आउनीआटी, बेंगनाआटी सत्रों का भ्रमण भी कर सकते हैं। अगर आप असमिया वास्तुकला, संस्कृति को करीब से जानना चाहते हैं तो इन स्थलों के दर्शन जरूर करें।
ऐतिहासिक महत्व
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अगर आप उत्तर-पूर्वी संस्कृति को गहराई से समझना चाहते हैं तो एक बार इस नदी द्वीप पर कुछ समय जरूर बिताकर आएं। जानकारी के लिए बता दें कि माजुली लंबे समय से विभिन्न जाति-जनजातियों का भरण-पोषण करते आ रहा है। यहां के स्थानीय लोगों के मध्य समय बिताकर आप यहां के लोक कलाओं, रहन-सहन को समझ सकते हैं। यह स्थान 'ऐन्थ्रपालजी' के छात्रों के लिए विशेष महत्व रखता है, पर्यटकों के अलावा यहां खासकर देश-विदेश के कई शोधकर्ता अपने बौद्धिक विस्तार के लिए आते रहते हैं। इस द्वीप को असम की सांस्कृतिक राजधानी भी कहा जाता है।
इस वक्त करें यात्रा
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जलवायु के लिहाज से आप इस नदी द्वीप की यात्रा अक्टूबर से मार्च के मध्य कर सकते हैं। उप-उष्णकटिबंधीय मानसून जलवायु को चलते यह स्थल ग्रीष्मकाल में अत्यधिक गर्म रहता है। वर्षा ऋतु में यहां आना जोखिम भरा हो सकता है क्योंकि इस दौरान ब्रह्मपुत्र नदी का बहाव तेज हो जाता है जिससे बाढ़ की संभावना ज्यादा बढ़ जाती है। सुविधाजनक और आनंदित यात्रा के लिए आप यहां सर्दियों के मौसम में आ सकते हैं। इस समय मौसम अत्यधिक शांत और सुहावना रहता है।
इसके साथ ही यहां जनजातीय त्योहारों का आयोजन भी किया जाता है।
कैसे पहुंचे
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असम की सांस्कृतिक राजधानी मंजोली गुवाहाटी शहर से लगभग 300 किमी की दूरी पर स्थित है। द्वीप का निकटतम शहर और एयरपोर्ट 'जोरहाट' है। माजुली तक पहुंचने के लिए आप गुवाहाटी से रास्ते जोरहाट आ सकते हैं जहां से माजुली का सफर महज 20 किमी की दूरी के साथ पूरा किया जा सकता है। जोरहाट से आप बस सा टैक्सी का सहारा ले सकते हैं। आप हवाई मार्ग से अलावा ट्रेन से भी पहुंच सकते हैं। गुवाहाटी रेल मार्ग कोलकाता शहर से जुड़ा हुआ है। माजुली द्वीप तक पहुंचने के लिए नदी के पास बोट-स्टीमर की व्यवस्था की गई है।