दुनिया में ऐसी कई घटनाएं घटती है, जो लोगों को ये यकीन दिला देती है कि वहां नकारात्मक ऊर्जा मौजूद है। ऐसी कई सारी जगहें भारत में भी है, जो बेहद सुंदर है और पर्यटन स्थल के रूप में भी जाना जाता है। दरअसल, आज हम भारत के उन बावड़ियों के बारे में बात करेंगे जो अपने डरावनेपन के लिए जानी जाती है।
यहां उन बावड़ियों के नाम दिए गए हैं, जो बेहद डरावनें और खतरनाक है। हालांकि, ये महज एक कहानी है या फिर सच! इसके बारे में आज तक कोई नहीं बता पाया। लेकिन अगर आप चाहे तो इन बावड़ियों की खूबसूरती निहारने के लिए आप यहां जा सकते हैं। ये सभी अपनी वास्तुकला के लिए भी खासा प्रसिद्ध है।
तूरजी का झालरा, जोधपुर
तूरजी का झालरा, जोधपुर के महाराजा अभयसिंह की पत्नी तंवर (तूर रानी) ने 1740 ईस्वी में बनवाया था और उन्हीं के नाम पर इसका नाम तूरजी का झालरा रखा गया था। यह जोधपुर के घाटू लाल पत्थरों से बनाई गई है। इसका मुख्य आकर्षण नृत्य करते हाथियों की लुभावनी नक्काशी, पानी के मध्यकालीन शेर और गाय वाले मुख्य स्रोत नल हैं।
गौस अली शाह बावड़ी, हरियाणा
हरियाणा के फरुखनगर में स्थित गौस अली शाह बावड़ी भारत की सबसे प्रसिद्ध बावड़ियों में से एक है। इसे 18वीं शाताब्दी में गौस अली शाह द्वारा बनवाया गया था। यह बावड़ी अष्टकोणीय है। इसे महिलाओं के स्नान करने के लिए बनाया गया था, जिसमें एक चैम्बर या कक्ष भी बनाया गया था, जहां वे आराम कर सकती थी। यह भारत की सबसे डरावनी और खतरनाक बावड़ियों में से एक है।
पुष्पकरणी बावली, हम्पी
हम्पी में स्थित पुष्पकरणी बावली विजयनगर साम्राज्य के शासकों द्वारा बनवाया गया था। प्राचीन समय में यहां वार्षिक जल महोत्सव का आयोजन किया जाता था। लेकिन आज यहां की अधिकांश बावड़ियां खंडहर में तब्दील हो चुकी है। फिर भी ये पर्यटकों को खूब पसंद आता है।
सूर्या कुंड, गुजरात
गुजरात में स्थित सूर्या कुंड, सूर्य मंदिर के परिसर में स्थित है, जो भगवान सूर्य को समर्पित है, जिसे 11वीं शाताब्दी में चालुक्य वंश के शासक भीम ने बनवाया था। आयताकार में बने इस कुंड में 180 छोटे-छोटे मंदिर है। इसकी वास्तुकला इतनी शानदार है कि इसे आप देखते रह जाएंगे।
दादा हरी बावड़ी, अहमदाबाद
दादा हरी बावड़ी, अहमदाबाद शहर से 15 किमी. दूर स्थित है, जिसे शुरुआत में बाल हरिर स्टेपवेल के नाम से जाना जाता था। इसका निर्माण 1499 ईस्वी में सुल्तान बेगरा के हरम की एक महिला द्वारा कराया गया था। इसे वास्तुकला बीगोन युग की तरह दिखाई देती है। सात मंजिला बना यह बावड़ी पर्यटकों को अपनी खूबसूरती से दीवाना बना लेता है।
शाही बावड़ी, लखनऊ
नवाबों के शहर लखनऊ में स्थित शाही बावड़ी, भारत के सबसे सुंदर बावड़ियों में से एक है और यह इस्लामिक वास्तुकला का भी बेहतरीन नमूना है। इसकी डिजाइन किफायत उल्लाह ने तैयार की थी। इसका निर्माण अवध के नवाब आसफ-उद-दौला ने करवाया था। कुछ लोगों का कहना है कि बावड़ी में स्थित कुएं का जुड़ाव गोमदी नदी से है, इसीलिए इसमें हमेशा पानी भरा रहता है।
अग्रसेन की बावड़ी, दिल्ली
दिल्ली में स्थित अग्रसेन की बावड़ी का निर्माण 14वीं शाताब्दी में महाराजा अग्रसेन ने कराया था, जिसमें 105 सीढ़ियां है। इस बावड़ी का निर्माण लाल बलुआ पत्थर से किया गया है। इसकी वास्तुकला को देखकर ऐसा लगता है कि ये बावड़ी तुगलक वंश और लोदी वंश के दौरान की गई हो।
इसे लेकर पौराणिक मान्यता भी है कि यह बावड़ी महाभारत काल में बनाई गई है, जो आज भी अपनी खूबसूरती से पर्यटकों को दीवाना कर देता है। गर्मी के दिनों में यहां काफी लोग आते हैं और यहां समय बिताते हैं। कहा जाता है कि यह दिल्ली के डरावने स्थानों में से एक है।
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