कभी आपने कोई ममी(एक परिरक्षित शव) देखी है? आप सोच रहे होंगे ये कैसा प्रश्न है! है ना? क्युंकी ममी की तस्वीर देखने पर ही लोग डर जाते हैं, तो सोचिए असली में किसी ममी को देखना कैसा होता होगा? पर गुए गाँव के निवासी हैं जो इन ममीयों से डरते नहीं। बल्कि वे इन ममीयों को भगवान की तरह मानते हैं और उनके अनुसार ये उनकी रक्षा करते हैं।
यह गाँव हिमालय के बाकी दूरदराज गाँवों की तरह ही हुआ करता था, जब तक यहाँ पर भूकंप नहीं आया था। सन् 1975 में जब यहाँ भूकंप आया तब यहाँ ममी के उत्खनन की बात उजागर हुई और सिर्फ़ दो फोटोग्राफर्स जिन्होंने यहाँ के इन ममीयों की तस्वीर ली, उनके द्वारा इसके बारे में हर जगह बात फैल गयी। तब से 'गुए गाँव में ममी मिली है', इस खबर ने इस अंजान जगह को लोकप्रिय कर दिया।
स्पिति
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यहाँ की ममी को क्या चीज़ खास बनाती है?
सबसे पहली बात यह कि ममी का जो कॉन्सेप्ट है, यह विदेशी है। ऐसा इसलिए शायद क्युंकी हम यहाँ शवों का या तो दाह संस्कार कर देते हैं या उन्हे दफ़ना देते हैं। यह बहुत ही दुर्लभ होगा की भारत में आपको कोई संरक्षित शव देखने को मिले, सिवाय किसी संग्रहालय के। हमेशा जब भी ममीयों की बात होती है हमें हमेशा मिश्र या फिर एशिया के बाकी देश ध्यान में आते हैं।
इसी वजह से जब स्पिति की खाड़ी के गुए गाँव में ममी की खोज हुई तो यह बहुत बड़ी खबर बन गयी। पाई गयी ममी बैठी हुई मुद्रा में है और इसे अच्छी तरह से संरक्षित रखा गया है।
गुए गाँव की ममी
कथाओं के अनुसार, यह ममी संघ तेनज़ीन(लामा और साधु) की है जिन्होंने पूरे गांव को बिच्छू की महामारी से बचाया था। ऐसा माना जाता है की जब उनकी आत्मा ने उनके शरीर को त्याग दिया तब आसमान में इंद्रधनुष दिखाई दिया जिसने सारे बिच्छुओं को उस गाँव से ख़त्म कर दिया।
प्राकृतिक ममीकरण क्या है?
कार्बन निर्धारण के अनुसार, यह ममी 500 से 600 साल पुरानी है। और आश्चर्य की बात यह है की इसे संरक्षित रखने के लिए किसी भी रसायनिक पदार्थ का उपयोग नहीं किया गया है। शायद इसलिए भी यह अच्छी तरह से सुरक्षित है। दूसरी अचंभित बात यह है की किसी भी ममी का प्राकृतिक मामीकरण करना आसान नहीं होता। कहा जाता है की इन मौंक ने जिनकी यह ममी है, उन्होंने इस प्राकृतिक प्रक्रिया की शुरुआत तभी कर दी थी जब वे जीवित थे।
ताबो गाँव
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ज़ाहिर सी बात है की वहाँ का ठंडा मौसम भी इसे सुरक्षित रखने में एक मुख्य भूमिका निभा रहा है। यहाँ तक कि उनके बाल और दाँत भी अब तक बरकरार हैं।
प्राकृतिक ममीकरण करना बौद्धिक धर्म के न्इंगमा संप्रदाय के ज़ोग्चन परंपरा से संबंध रखता है। इसमें कोई शक नहीं है कि यह एक जटिल प्रक्रिया है।
यह भारत की एक मात्र ममी है जो प्राकृतिक ममीकरण की प्रक्रिया से गुज़री है।
इस ममी को कहाँ रखा गया है?
संघ तेनज़ीन की ममी को गुए नाला के पहाड़ की चोटी पर बसे बौद्धिक मठ में रखा गया है। वहाँ के निवासी उसे एक जीवित भगवान मानकर उसकी पूजा करते हैं। इस ममी के अलावा गुए गाँव में और कोई आकर्षक चीज़ नहीं है, सिवाय प्राचीन हिमालय के परिदृश्य के।
की बौद्ध मठ
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गुए गाँव पहुँचें कैसे?
गुए नाला या गाँव इंडो-चीन बॉर्डर के बिल्कुल पास में ही है और पर्यटकों को यहाँ यात्रा करने के लिए एक इनर लाइन पर्मिट की आवश्यकता होती है। पर्यटकों को यहाँ अपनी निजी गाड़ी बुक कराके ही जाना होगा क्युंकी इस गाँव तक के लिए बस की कोई भी सेवा उपलब्ध नहीं है। आपको इस गाँव तक पहुँचने के लिए काज़ा या फिर सुम्दो गाँव होकर जाना होगा।
और अगर आप नाको की यात्रा पर गये, और आपको ममी की झलक देखनी ही है तो आप इस दूरदराज के गाँव में जा सकते हैं, जहाँ पर आप संघ तेनज़ीन के इस प्रयास को सराह सकते हैं।
स्पिति की घाटी
स्पिति घाटी, रोमांचक यात्रा पसंद करने वालों के लिए हिमाचल प्रदेश का मनपसंद पर्यटक स्थान है। गुए काज़ा गाँव से लगभग 80 किलोमीटर की दूरी पर है।
अपने महत्वपूर्ण सुझाव और अनुभव नीचे व्यक्त करें।