जबसे फिल्म पद्मवत बनने का एलान संजय लीला भंसाली ने किया था, तब ही से यह फिल्म चर्चा में थी। फिर बाद में फिल्म का ट्रेलर आया, जिसके बाद इस फिल्म का विरोध इतना बढ़ गया कि, लोग फिल्म की एक्ट्रेस दीपिका पादुकोण और फिल्म निर्देशक संजय लीला भंसाली की जान लेने को आतुर हो गये।
आखिरकार, जीत फिल्म निर्देशक संजय लीला भंसाली की हुई और अब फिल्म 25 जनवरी को सिनेमाघरों में रिलीज होने को तैयार है। फिल्म में दीपिका पादुकोण रानी पद्मिन की भूमिका में हैं, तो अलुद्दीन खिलजी की भूमिका में रणवीर सिंह नजर आ रहे हैं। इस फिल्म को सबसे पहले राजस्थान में बैन किया गया था, जिसका फायदा राजस्थन पर्यटन को खूब मिला, पर्यटकों को इतहास में रूचि जाग्रत हुई , और फिल्म का विरोध शुरू होते चित्तोड़गढ़ किले में पर्यटकों का सैलाब आ गया, सब रानी पद्मिनी उनके जौहर को लेकर जानने के लिए उत्सुक हो गये।
पद्मावत कंट्रोवर्सी:भारी विरोध के चलते राजस्थान में हिट हुआ पद्मावत का किला
खैर ये कहानी थी, रानी पद्मिनी कि, लेकिन क्या आप जानते हैं, दिल्ली में अलाउद्दीन खिलजी का एक मकबरा है, जिसे कई दफा आपने देखा होगा, लेकिन शायद ही आपने उस जगह पर गौर फ़रमाया होगा। तो आइये जानते हैं कि, आखिर कहां स्थित है, अलुद्दीन खिलजी का मकबरा
अलाउद्दीन खिलजी का मकबरा
दक्षिणी दिल्ली में स्थित महरौली में क़ुतुब मीनार स्थित है, जिसे देखने हर साल लाखों देशी और विदेशी पर्यटक पहुंचते हैं, और यहीं दफन अलाउद्दीन खिलजी। ममलुक वंश के कुतुबुद्दीन ऐबक ने इस विशाल मीनार की आधारशिला रखी थी।Pc:Ronakshah1990
अलाउद्दीन खिलजी का मकबरा
खिलजी का मकबरा एक एतिहासिक रूप से सरंक्षित है, खिलजी के मकबरे के बगल में एक मदरसा है, जिसका निर्माण सुल्तान खिलजी ने वर्ष 1296-1316 के बीच कराया था, आज इस मदरसे की छतें और दीवारे ढह चुकी है । इन्ही ढही हुई दीवारों के बीच एक बोर्ड लगा है, जिसपर लिखा है कि, इस मदरसे का निर्माण सुल्तान खिलजी ने इस्लामिक तालीम को बढ़ावा देने के हित से कराया था।Pc:Varun Shiv Kapur
अलाउद्दीन खिलजी का मकबरा
खिलजी अपने समय का सबसे बलशाली शासक था, जिसका पूरे भारत में वर्चस्व था, लेकिन उसे अपने आखिरी दिनों में काफी दर्द से गुजराना पड़ा था, कहा जाता है कि, उसे कई लोगो की बददुया लगी हुई थी, जिसके चलते उसे अपने आखिरी दिनों में ऐसी बीमारी से ग्रस्त हो गया था, जिससे उसकी मौत बेहद दर्दनाक बन गयी थी।
Pc:Varun Shiv Kapur
कुतुब मीनार
यह परिसर की सबसे प्रसिद्ध संरचना है। यूनेस्को द्वारा विश्व धरोहर के रूप में यह देश की सबसे ऊँची मीनार है जिसकी ऊँचाई 72.5 मी है। कुतुब मीनार को 1193 से 1368 के बीच कुतुब-उ-दीन- ऐबक ने विजय स्तम्भ के रूप में बनवाया था। स्थापत्य कला की यह अद्भुत मिसाल अच्छी तरह से संरक्षित है और भारत की एक देखने वाली संरचना है।Pc:NID chick
लाल बलुआ पत्थर से बनी हुई ईमारत
क़ुतुब मीनार उन ईमारतों में गिनी जाती है जो कि लाल बलुआ पत्थरों से निर्मित है। इस पूरी ईमारत कि नक्काशियों में क़ुरान की आयतों का इस्तेमाल किया गया है।Pc:Sakeeb Sabakka
कुव्वत-उल-इस्लाम मस्जिद
यह परिसर के अन्दर स्थित दिल्ली की सबसे पुरानी मस्जिद है। हलाँकि ज्यादातर भाग अब खण्डहर है किन्तु कुछ भाग अभी भी जटिल हैं और इनपर सुन्दर सजावट और नक्काशी नजर आती है।
Pc:Shreejit Jadhav
लोहे का खंभा
क़ुतुब मीनार के परिसर में ही एक लोहे का ख़भा है, जो आज भी अपने जंगमुक्त धातुओं के कारण धातुविज्ञानियों को अचम्भित करता है और अभी भी मजबूती के साथ दिल्ली की कठोर जलवायु को सहता है।
Pc:e1ther
सीढ़ियों की संख्या
अगर क़ुतुब मीनार की सीढ़ियों को कायदे से गिना जाये तो मिलता है की आप 379 सीढ़ियों को पार करने के बाद ही मीनार की चोटी तक पहुंच सकते हैं।Pc:Hitendu Nath
मीनार के टॉप पर चढ़ना मना है
पर्यटकों का मीनार के टॉप पर चढ़ना मना है। 1981 में क़ुतुब मीनार पर हुए एक हादसे के बाद यहां सरकार ने पर्यटकों द्वारा मीनार के शिखर पर चढ़ने पर पाबंदी लगा दी गयी है।Pc:ABHINAV PANDEY
जरुर देखें खिलजी का मकबरा
तो अपनी अगली क़ुतुब मीनार की ट्रिप पर अलाउद्दीन खिलजी का मकबरा देखना कतई ना भूलें..Pc:Varun Shiv Kapur