भारत का पौराणिक इतिहास और घटनाएं किसी रहस्य से कम नहीं है। भारत का लंबा इतिहास ऐसी असंख्य अद्भुत घटनाओं से भरा हआ है, जिसपर भले ही आधुनिक इंसान विश्वास न करें, पर यह बातें मस्तिष्क को सोचने पर जरूर मजबूर करती हैं। आज भी यहां कई ऐसे स्थल और मंदिर मौजूद हैं, जिन्हें पौराणिक काल से जोड़कर देखा जाता है, क्योंकि इनका इतिहास संख्याओं (सटीक दिनांक) से परे है। आज एक ऐसे ही घटना और स्थान से हम आपको रूबरू कराने जा रहे हैं, जिसे स्वर्ग की दूसरी सीढ़ी से जोड़ देखा जाता है।
माना जाता है कि रावण के द्वारा कभी स्वर्ग जाने की सीढ़ियां बनाई गईं थी, क्योंकि वो अमर होना चाहता था। आइए इस लेख के माध्यम से जानते हैं स्वर्ग की दूसरी सीढ़ी और रावण की तपस्या की गुत्थी को। जानिए यह स्थल आपको किस प्रकार रोमांचित कर सकता है।
स्वर्ग की सीढ़ी का राज
स्वर्ग की सीढ़ी बनने की कहानी शरु होती है, रावण अमरता प्राप्त करने की इच्छा। भले ही वो बहुत बड़ा ज्ञानी था, लेकिन वह बाहुबल पर अत्यधिक घमंड करता था, और अपनी शक्ति का निरंतर विस्तार करने की कोशिश में लगा रहता था। उसने अमर होने के लिए भगवान शिव की कठोर तपस्या की जिससे भगवान शिव प्रसन्न हुए। भोलेनाथ ने वर देते हुए एक शर्त रखी कि अगर रावण एक दिन में पांच पौड़ियां यानी सीढ़ियों बना लेता है तो उसे अमरता प्राप्त हो जाएगी।
शर्त के अनुसार रावण पौढ़ियां बनाने में लग लग गया लेकिन वो सिर्फ चार ही सीढ़ी बना पाया, क्योंकि सीढ़ी बनाते-बनाते उसकी नींद आ गई थी और वो पांचवी पौड़ी का निर्माण नहीं कर पाया था। इस तरह उसके उससे स्वर्ग जाने और अमरता प्राप्त करने का सपना अधूरा रह गया। मान्यता के अनुसार रावण ने दूसरी सीढ़ी का निर्माण निम्मलिखित स्थानों में किया था।
हर की पौड़ी
PC- Wolfgang Maehr
पौराणिक मान्यता के अनुसार रावण ने स्वर्ग जाने की पहली सीढ़ी हरिद्वार (उत्तराखंड) के 'हर की पौड़ी' नामक स्थान पर बनाई थी। इसलिए इस स्थल के नाम से साथ पौड़ी शब्द जुड़ा है। 'हर की पौड़ी' हरिद्वार का मुख्य धार्मिक आकर्षण है, जहां रोजाना सैकड़ो श्रद्धालुओं का आगमन होता है। खासकर सावन मास के दौरान यहां लाखों की तादाद में शिवभक्तों का आगमन होता है। यह एक पवित्र गंगा घाट के नाम से जाना जाता है, जहां स्नान के लिए देश-विदेश श्रद्धालु आते हैं। यहां की शाम की गंगा आरती बहुत प्रसिद्ध है।
पौड़ीवाला
पौराणिक मान्यता के अनुसार हिमाचल प्रदेश के सिरमौर में स्थित पौड़ीवाला वो स्थान है, जहां रावण ने स्वर्ग की दूसरी सीढी का निर्माण किया था। यहां भगवान शिव का एक प्रसिद्ध मंदिर भी है, जो पौड़ीवाला शिव मंदिर ने नाम से जाना जाता है। माना जाता है कि इसी प्रकार के एक मंदिर का उल्लेख रामायण काल के एक मदिर के रूप में किया गया है।
इसलिए इस स्थल को रावण द्वारा बनाई गई दूसरी सीढ़ी वाले स्थल के रूप में की जाती है। यह यहां का प्रसिद्ध मंदिर है, जहां दर्शन के लिए स्थानीय और दूर-दराज के श्रद्धालुओं का आवागमन लगा रहता है।
चुडेश्वर महादेव
पौराणिक मान्यता के अनुसार रावण ने स्वर्ग जाने की तीसरी सीढ़ी का निर्माण हिमाचल के चुडेश्वर महादेव में किया था। यह हिमाचल स्थित भगवान शिव का एक प्रसिद्ध मंदिर है, जो हिन्दू धर्म में आस्था रखने वालों के लिए काफी महत्व रखता है। यह मंदिर राज्य के सिरमौर जिले में स्थित है। यहां स्थानीय लोगों के साथ-साथ दूर-दराज के श्रद्धालुओं का आगमन होता है। धार्मिक यात्रा के लिए आप यहां आ सकते हैं।
किन्नर कैलाश
माना जाता है कि रावण ने स्वर्ग जाने की चौथी सीढ़ी का निर्माण किन्नर कैलाश में किया था। यह एक धार्मिक स्थल है, जहां भगवान शिव माता पार्वती के साथ रहा करते थे। किन्नर कैलाश श्रृंखला हिमाचल के किन्नौर जिले में स्थित है। हिन्दूओं के लिए यह स्थल काफी ज्यादा महत्व रखता है। यहां 79फीट ऊंचा शिवलिंग मौजूद है, जो हर पर अपना रंग बदलता है। शिवलिंग पार्वती कुंड के पास स्थित है। माना जाता है कि यह कुंड माता पार्वती द्वारा ही बनाया गया था।