
बरेली उत्तर प्रेदश के राय बरेली जिले का एक बड़ा ऐतिहासिक शहर है। यह राज्य के 8वें सबसे बड़े शहरों में गिना जाता है। रामगंगा नदी तट पर बसा यह शहर कभी रोहिलखंड की राजधानी हुआ करता था। इतिहास पर नजर डालें तो पता चलता है कि इस शहर का निर्माण मुगल काल के दौरान मकरंद राय ने करवाया था। जिसके बाद यह शहर रोहिल्लाओं की राजधानी बना। ये शहर ब्रिटिश प्रभाव क्षेत्र के अंतर्गत भी रह चुका है।
मुगल काल के दौरान यह शहर फौजी नगर के नाम से जाना जाता था। बाद में यह शहर 1857 की क्रांति का मुख्य केंद्र भी बना। यह था इस शहर का संक्षिप्त इतिहास, आगे इस खास लेख में जानिए इस ऐतिहासिक शहर के चुनिंदा सबसे खास स्थानों के बारे में। जानिए पर्यटन के लिहाज से यह शहर आपके लिए कितना खास है।

प्रसिद्ध जगन्नाथ मंदिर
बरेली का यह प्रसिद्ध मंदिर शहर के प्रमुख देवता भगवान शिव को समर्पित है। जगन्नाथ मंदिर अपनी चित्रकला और मूर्तियों के साथ एक उत्कृष्ट वास्तुकला को प्रदर्शित करता है, जो करीब 200 साल पुरानी बताई जाती हैं। यहां की दीवारे भगवान शिव की गाथा गाते हैं। यहां बजने वाली घंटियां का आवाज किसी संगीत के समान लगती हैं।
यह मंदिर हिन्दू धर्म से जुड़े लोगों के लिए मुख्य आस्था का केंद्र माना जाता है। यहां सुबह शाम होने वाली पूजा स्थानीय लोगों को अपनी ओर आकर्षित करती है। बरेली घूमने आए पर्यटकों के मध्य ये मंदिर बहुत ही लोकप्रिय स्थान है। खास अवसरों के दौरान यहां भव्य आयोजन किए जाते हैं।

अलखनाथ मंदिर
जगन्नाथ मंदिर के अलावा शहर में अलखनाथ मंदिर भी एक प्रसिद्ध मंदिर है। यह मंदिर नागा साधुओं का बड़ा अड्डा माना जाता है। किसी भी समय अगर आप यहां दर्शन के लिए आएं तो नागा सन्यासियों को देख सकते हैं। बता दें कि नागा साधु भगवाव शिव के बड़े भक्त माने जाते हैं। सिर्फ यही एकमात्र स्थान नहीं आपको जहां-जहां भगवान शिव से जुड़े मंदिर दिखाई देंगे वहां आप नागाओं को जरूर पाओगे।
कहा जाता है नागा साधुओं का आशीर्वाद लेना काफी पुण्य का काम होता है। इसके अलावा आप मंदिर परिसर में पालतू जानवरों को भी देख पाएंगे। आपके यहां गाय जरूरू देखने को मिलेंगी। यहां स्थानीय भक्त गाय को भोजन कराने के लिए भी आते हैं। हिन्दू धर्म में गाय को गौमाता के रूप में पूजा जाता है। गाय के अलावा आप मंदिर परिसर में बकरी और ऊटों को भी देख सकते हैं।
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दरगाह-ए-आला हजरत
इसके अलावा आप बरेली में अहमद रजा खान की दरगाह के दर्शन भी कर सकते हैं। अहमद रजा खान ब्रिटिश काल के दौरान एक पहुंचे हुए विद्वान और न्यायवादी इंसान थे। दरगाह देखने में उतनी खास नहीं है, लेकिन इस स्थान का महत्व काफी ज्यादा है। यहा मुस्लिम धर्म से जुड़े लोग अहमद रजा खान की कब्र पर फूल और चादर चढ़ाने के लिए आते हैं। इतिहास के पन्ने उठाएं तो पता चलता है कि अहमद रजा ने अंग्रेजी काल के दौरान अपनी अलग पहचान बना रखी थी।
वे धर्म के ज्ञाता और काफी शिक्षित इंसान थे। इसके अलावा बरलेवी आंदोलन के दौरान वे एक मुख्य प्रचारक के रूप भी सामने आए। यह आंदोलन अलग-अलग बंटे मुस्लिम धर्मे के लोगों को एक करने के लिए उठाया बड़ा कदम था। अगर आप बरेली जाएं तो एक बार अहमद रजा खान की दरगाह पर माथा जरूर टेकें।

सेना संग्रहालय
बरेली में मंदिरों और मस्जिदों के अलावा सेना का एक संग्रहालय भी मौजूद है। जिसे आर्मी सर्विस कॉर्प्स मुस्लिम के नाम से जाना जाता है। यहां उन सेना के हथियारों को रखा गया है जिसका इस्तेमाल पुराने वक्त में किया जाता है। अगर आप इस संग्रहालय को देखने जाएं तो आपको आकर्षक आकार वाली बंदूकें दिखाई देंगी। इसके अलावा यह संग्रहालय सेना में तोपों की यात्रा और उनके विकास को भी भली भांति प्रदर्शित करता है। यहां उन लड़ाईयों को प्रदर्शनी के माध्यम से दिखाया गया है जो यहां के आसपास के इलाकों में घटी थीं।
इसके अलावा यहां उन पांडुलिपियों को भी रखा गया है जो क्षेत्र के गौरवाशाली इतिहास को दर्शाते हैं। इसके अलावा यह संग्रहालय यह भी बताता है कि हमने विकास तो बहुत किया पर सीखा बहुत कम। यह एक खास स्थान है आप यहां जरूर जाएं।

तुलसी मठ
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उपरोक्त स्थानों के अलावा यहां गोस्वामी तुलसीदास जी को समर्पित एक मठ भी स्थित है। तुलसीदास भारतीय पौराणिक काल के बहुत बड़े रचनाकार थे जिन्होने रामचरित्रमानस की रचना की थी। इन्होंने रामायण को सब के पढ़ने योग्य बनाया। दरअसल रामायण महर्षि वाल्मीकि द्वार लिखी गई थी, जिसका अनुवाद गोस्वामी तुलसीदास ने किया था। अपने मंदिरों के साथ बरेली धर्म-दर्शन की कई अनोखी जानकारी लेकर बैठा है।
पौराणिक काल से लेकर भारत के प्राचीन, मध्यकालीन और आधुनिक इतिहास को जानने के लिए आपको एक बार बरेली का भ्रमण अवश्य करना चाहिए। वैसे उत्तर-प्रदेश के हर शहर अपने साथ एक अलग अनोखा इतिहास लिए बैठे हैं। बरेली यूपी का एक प्रसिद्ध शहर है जहां आप रेल, सड़क और हवाई मार्गों का सहारा लेकर पहुंच सकते हैं।
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