भीमताल से लगभग 29 किमी की दूरी पर स्थित धनाचुली भारत के उत्तराखंड राज्य का एक खूबसूरत पर्यटन गंतव्य है। यह एक प्राचीन गांव है, जो चारों ओर से खूबसूरत पहाड़ियों से घिरा है। सैलानियों को यहां प्राकृतिक नजारों से साथ समय बिताना बहुत ही ज्यादा भाता है। नदी-तालों और पर्वतीय घाटियों से सजा यह स्थल प्रकृति के किसी अनमोल तोहफे की भांति नजर आता है। परिवार और दोस्तों के साथ यहां एक शानदार अवकाश बिताया जा सकता है।
यह उत्तराखंड के बाकी भीड़भाड़ वाले स्थानों से बहुत ही अलग है। अगर आप किसी खूबसूरत एकांत स्थल की खोज में हैं तो यहां का प्लान बना सकते हैं। इस लेख के माध्यम से जानिए पर्यटन के लिहाज से धनाचुली आपको किस प्रकार आनंदित कर सकता है, जानिए यहां के शानदार दर्शनीय स्थलों के बारे में।
चौली की जाली
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धनाचुली भ्रमण की शुरूआत आप यहां के चुनिंदा खूबसूरत स्थलों में शामिल 'चौली की जाली' से कर सकते हैं। चौली की जाली प्रसिद्ध मुक्तेश्वर मंदिर से पीछे ही स्थित है। यह यहां के मुख्य आकर्षणों में गिना जाता है। पौराणिक मान्यता के अनुसार चौली का मतलब पत्थर होता है और जाली शब्द का अर्थ कोई सुराग। ऐसा माना जाता है कि यहां कभी देवताओं और राक्षसो के बीच युद्ध हुआ था।
साक्ष्य के रूप में यहां से बहुत ही चीजों प्राप्त की गई हैं,जैसे हाथी का दांत, तलवार की छाप आदि। यह स्थल खूबसूरत पहाड़ियों से भरा है, जहां का प्राकृतिक नजारा सैलानियों को बहुत ही ज्यादा पसंद आता है।
भालू गाद जलप्रपात
चौली की जाली के बाद आप यहां के प्राकृति स्थलों में भालू गाद जलप्रपात की सैर का आनंद ले सकते हैं। यह खूबसूरत झरना धनाचुली से मात्र चार किमी की दूरी पर स्थित है। उत्तराखंड की मनमोहक आबोहवा को महसूस करने के लिए आप यहां का भ्रमण कर सकते हैं।
अकसर पर्यटक यहां अपने छुट्टियों को यादगार बनाने के लिए यहां आते हैं। जलप्रपात की मधुर आवाज और चारों तरफ फैली कुदरती खूबसूरती सैलानियों को काफी ज्यादा प्रभावित करती है। भालू गाद जलप्रपात स्थल धनाचुली से एक शानदार पिकनिक स्पॉर्ट भी माना जाता है।
मुक्तेश्वर धाम
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प्राकृतिक स्थलों के अलावा आप यहां के धार्मिक स्थलों के दर्शन का भी प्लान बना सकते हैं। भगवान शिव को समर्पित यह पवित्र धार्मिक स्थल यहां के पहाड़ों पर बसा है,जो श्रद्धालुओं के साथ-साथ दूर-दराज से पर्यटकों को भी बहुत ही ज्यादा प्रभावित करता है। जिन लोगों साहसिक ट्रेकिंग का शौक है वो यहां आ सकते हैं। पहाड़ी के ऊपर बने मंदिर तक पहुंचने के लिए सीढ़िया भी बनी हैं।
पौरामिक किवदंती के अनुसार इस स्थल पर भगवान शिव ने किसी दानव का वध किया था, जिसे बाद में भोलेनाथ द्वारा ही मोक्ष प्राप्त हुआ। मोक्ष यानी मुक्ति, इसलिए यहां श्रद्धालु मोक्ष की कामना करने के लिए इस पवित्र स्थल पर आते हैं। यहां का प्राकृतिक नजारा बेहद खूबसूरत है, जहां आप कुदरती आकर्षणों का आनंद ले सकते हैं।
घोड़ाखाल गोलू देवता मंदिर
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यहां के धार्मिक स्थलों में आप प्रसिद्ध घोड़ाखाल गोलू देवता के मंदिर के दर्शन कर सकते हैं। यह मंदिर यहां के पवित्र धार्मिक स्थलों में गिना जाता है जो यहां के स्थानीय गोलू देवता को समर्पित है। इस मंदिर को घंटियों का मंदिर भी कहा जाता है। धार्मिक मान्यता के अनुसार गोल देवता भगवान शिव का ही अवतार हैं। यह एक अद्बुत मंदिर है क्योंकि यहां एक अजीबगरीब रिवाज का अनुसरण किया जाता है।
यहां श्रद्धालु मनकामना पूर्ति के लिए स्टैप पेपर पर अपनी मन्नत लिखते हैं, मंदिर में रखते हैं। गोलू देवता को न्याय का देवता भी कहा जाता है। यह पवित्र मंदिर धनाचुली से लगभग 13 किमी की दूरी पर स्थित है।
विक्टोरिया बांध
उपरोक्त स्थानों के अलावा आप धनाचुली से लगभग 12 किमी की दूर पर स्थित विक्टोलिया बांध की सैर का प्लान बना सकते हैं। विक्टोरिया बांध मात्र डैम नहीं है बल्कि यह खूबसूरत पर्यटन स्थल है, जहां सैलानी आकर समय बितान बहुत ही ज्यादा पसंद करते हैं। बांध के आसपास आपको फूलों के कई बगीचे देखने को मिलेंगे।
इसके अलावा इस बांध के पास एक धार्मिक स्थल भिमेश्वर मंदिर भी स्थित है। यह बाध भीमताल के नजदीक स्थित है। यहां के जंगल और दूर-दूर तक फैली हरी-भरी वनस्पतियां सैलानियों को बहुत ही ज्यादा प्रभावित करती हैं।