फरीदाबाद हरियाणा का सबसे बड़ा शहर है, जोकि एनसीआर में आता है। सर्वे के मुताबिक, फरीदाबाद दुनिया आठवीं और भारत की तीसरी तेज से बढ़ते हुए शहरों में से एक है। फरीदाबाद की स्थापना वर्ष 1607 ई. में सूफी संत शेख फरीद ने की थी, और इस शहर का नाम भी उन्ही के नाम पर रखा गया। उन्होंने एक किले, मस्जिद और टंकी की निर्माण कराया था जिनके खण्डहर अभी भी देखे जा सकते हैं। हालांकि, धीरे-धीरे यह शहर हरियाणा का बड़ा शहर और हरियाणा का एक प्रमुख औद्योगिक केंद्र बन गया। हरियाणा में एकत्रित आयकर का 50% फरीदाबाद और गुड़गांव से है। फरीदाबाद कृषि क्षेत्र से हेन्ना उत्पादन के लिए प्रसिद्ध है, जबकि ट्रैक्टर, मोटरसाइकिल, स्विच गियर, रेफ्रीजरेटर, जूते, टायर और वस्त्र इसके प्राथमिक औद्योगिक उत्पादों का गठन करते हैं।
यदि बात इस शहर में पर्यटन की हो तो यहां ऐसा बहुत कुछ है जिस कारण अक्सर ही यहां पर्यटकों की भारी भीड़ देखी जाती है। आइये इस जाना जाये कि अपनी फरीदाबाद यात्रा पर ऐसा क्या है जिसे आपको अवश्य देखना चाहिए।
राजा नाहरसिंह पैलेस
अगर आप वीकेंड में फ्री हैं, तो फरीदाबाद में स्थित राजा नाहरसिंह पैलेस की सैर करें, जोकि दक्षिण दिल्ली से 15 किमी की दूरी पर स्थित है। बताया जाता है कि, यह महल करीबन 18वीं सदी में जाट नाहरसिंह के उत्तराधिकारियों द्वारा स्थापित किया गया था। इस सुन्दर महल का निर्माण कार्य 1850 में पूरा हुआ था। इसे बल्लभगढ़ किला महल के नाम से भी जाना जाता है, महल के मण्डप और आँगन सुन्दर हैं। झुकी हुई मेहराबें और सुन्दर रूप से सजे कमरे इतिहास के पन्ने में वापस ले जाते हैं। अब यह एक विरासत सम्पत्ति है। इस महल के चारों ओर कई शहरी केन्द्र हैं। यह राजसी महल भारी संख्या में पर्यटकों को आकर्षित करता है।
सूरजकुंड झील
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अगर आप फरीदाबाद के शोर से सेकुछ पल शांति के चाहते हैं, तो आपको फरीदाबाद स्थित सूरजकुंड झील अवश्य देखनी चाहिए, जोकि सूरजकुंड मेले के लिए भी जानी जाती है। इस झील का प्रतीकात्मक महत्व है और उगते सूरज का प्रतीक माना जाता है। यह एक प्रसिद्ध पिकनिक स्पॉट है और चट्टानों से काटी गई सीढियों से घिरा है। यह दक्षिण दिल्ली से 8 किमी की दूरी पर है। यहाँ पर एक सिद्ध कुण्ड है जिसके पानी में रोगों से मुक्त करने की शक्ति मानी जाती है। सूरजकुण्ड परिसर में सुन्दर राजहंस और बगीचा भी है।
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इस झीले के किनारे हर वर्ष सूरजकुण्ड अन्तर्राष्ट्रीय महोत्सव का आयोजन 1 से 15 फरवरी के बीच आयोजित किया जाता है। महोत्सव को दौरान लोकनृत्य, संगीत, हवाई करतब और जादू के शो का आयोजन किया जाता है। दुनिया भर से पर्यटक बड़ी संख्या में इस मेले में आते हैं। भारतीय पकवान मेले के महत्वपूर्ण अंग हैं।
फरीद खान का मकबरा
शेख फरीद या बाबा फरीद के मकबरे के संगमरमर से बने दो विशाल द्वार हैं। पूर्वी वाले दरवाजे को नूरी दरवाजा या प्रकाश का द्वार और उत्तरी दरवाजे बहिश्ती दरवाजा या स्वर्ग का द्वार कहा जाता है। मकबरे के अन्दर कपड़े या चद्दर से ढकी दो संगमरमर की गुफायें हैं। ये बाबा फरीद और उनके बड़े बेटे की कब्रें हैं। लोग यहाँ आते हैं और फूल चढ़ाते हैं। हलाँकि महिलाओं को अन्दर जाने की मनाही है।
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बड़खल झील
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बड़खल झील दिल्ली बॉर्डर से आठ किमी की दूरी पर स्थित बड़खल झील,बड़खल गांव में स्थित है। अरावली रेंज की पहाड़ियों में स्थित बड़खल झील एक मानव निर्मित तटबंध है, जहां पर्यटक वाटर स्पोर्टस का आनंद ले सकते हैं। बड़खल का शाब्दिक अर्थ है, बिना किसी रूकावट। झील में पानी की आपूर्ति बारिश के पानी और एक छोटी-सी जलधारा से होती है। पर्यटकों के ठहरने के लिए झील के पास रेस्ट हाऊस भी बने हुए हैं।
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