भारत में ऐसे कई किले हैं जो अपने अंदर कई ऐतिहासिक कहानियां व अपनी एक अलग चमक लिए आज भी शान से खड़े हैं। ऐसे ही किलों में सम्मिलित है पटियाला के बठिंडा क्षेत्र का प्राचीन किला, किला मुबारक। जहाँ कहा जाता है कि यहीं पर भारत की सबसे पहली महिला शासकज रज़िया सुल्तान को बंदी बना कैद किया गया था।
पंजाब के बठिंडा में स्थित किला मुबारक देश के ऐतिहासिक राष्ट्रीय स्मारकों में से एक है। यह ईंट का बना सबसे पुराना और ऊंचा स्मारक है। भाटी राजपूत राजा बीनपाल ने इस किले का निर्माण लगभग 1800 साल पहले करवाया था। इस किले का निर्माण लगभग 90-110 ई. में किया गया था। किले के ईंटों के अध्ययन से इसे कुषाण काल का बना माना जाता है। इसका इतिहास बड़ा ही अनोखा है।
किला मुबारक
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किले से जुड़ा इतिहास
माना जाता है कि इस किले का निर्माण उस समय हुआ था जब उत्तर भारत में सम्राट कनिष्क का शासन था। सम्राट कनिष्क और राजा देब ने मिलकर इस किले को 90-110 ई. में बनवाया था। 11वीं शताब्दी में किले पर महमूद गजनवी ने कब्जा कर लिया था। सन् 1754 में फुलकिया के राजा प्रमुख आला सिंह ने बठिंडा किला पर फतेह हासिल की थी। इसके बाद भारतीय संघ में विलय होने तक यह किला पटियाला शासकों के अधीन रहा।
पहली महिला शासक रज़िया सुल्तान से जुड़ा इतिहास
रजिया पुरुषों की तरह कपड़े पहनती थीं और खुले दरबार में बैठती थीं। उनके अंदर एक बेहतर शासिका के सारे गुण थे। एक समय ऐसा भी आया जब लग रहा था कि रजिया दिल्ली सल्तनत की सबसे ताकतवर मल्लिका बनेंगी, लेकिन गुलाम याकूत के साथ रिश्तों के कारण ऐसा नहीं हो पाया। याकूत रजिया सुल्तान को घोड़े की सवारी कराता था और उनका सबसे नज़दीकी विश्वासपात्र भी था। याकूत के तुर्की न होने की वजह से और रज़िया के उसके साथ सम्बन्ध नज़दीकी होने की वजह से, रज़िया को उनके ही बचपन के दोस्त अल्तुनिया द्वारा एक युद्ध की साज़िश कर इस किले में कैद कर लिया गया। जिसके बाद रज़िया ने मौत के डर से अल्तुनिया से विवाह कर लिया।
किला मुबारक
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भलाई और सुख के लिए प्रार्थना करने आए थे दसवें सिख गुरू
दसवें सिख गुरू, गुरू गोविन्द सिंह इस किले मे 1705 के जून माह में आए थे और इस जगह की भलाई और सुख के लिए प्रार्थना की थी। पटियाला राज्य के महाराजा आला सिंह ने इस किले को 1754 में अपने अधीन कर लिया था और इस किले का नाम गोविंदघर कर दिया गया, लेकिन जल्द ही इस जगह को बकरामघर के नाम से बुलाया जाने लगा।
इस किले के सबसे ऊपर गुरुद्वारे का निर्माण करवाया गया है। इस गुरुद्वारे का निर्माण पटियाला के महाराजा करम सिंह ने करवाया था। किले के अंदर का हिस्सा किला अंदरून कहलाता है। किला अंदरून के अंदर 13 शाही कक्ष हैं, जो हिन्दू पौराणिक कथाओं के दृश्यों से सजे हुए हैं। किले का परिसर, शहर के बीचोबीच यानि कि शहर के ह्रदय में लगभग 10 एकड़ की ज़मीन पर फैला हुआ है।
किला मुबारक
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किले के परिसर में किला अंदरून के किनारे रन बास( मेहमान घर), और दरबार हॉल भी स्थापित हैं। दरबार हॉल में कई अलग अलग तरह और आकार के आईने लगे हुए हैं। दरबार हॉल में कई खूबसूरत तस्वीर व चित्रकारी के नमूने भी लगे हुए हैं, जो सिक्ख शासकों की कला में गुणवत्ता को प्रदर्शित करते हैं। किले में भूमिगत सीवरेज प्रणाली भी मौजूद है।
हालाँकि कई सदियों पुराने इस किले की हालत अभी इतनी अच्छी नहीं है और यह क्षतिग्रस्त अवस्था में भी पहुँच चुकी है, जिसकी वजह से सन् 2004 में विश्व स्मारक कोष द्वारा 100 "सबसे लुप्तप्राय स्मारकों" की सूचि में इसे शामिल कर लिया गया था। पर अब भारतीय पुरातात्विक सर्वेक्षण द्वारा इसकी मरम्मत का काम शुरू कर दिया जा चूका है। विश्व स्मारक संरक्षण संस्थान ने भी इस स्मारक के संरक्षण के लिए वित्त पोषित किये हैं।
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