शिर्डी, महाराष्ट्र के अहमदनगर जिले में स्थित एक गांव है जो कि नासिक से 76 किमी. की दूरी पर है। आज यह गांव एक रिलिजियस टूरिज्म हब में तब्दील हो गया है जहां महान संत साई बाबा की समाधी के दर्शन करने देश के अलावा विदेश से भी लोग आते हैं। बताया जाता है कि शिर्डी, 20 वीं शताब्दी के महान संत साई बाबा का घर था। बाबा ने अपने जीवन की आधे से ज्यादा सदी को शिरडी में बिताया अगर यहां के स्थानीय लोगों कि माने तो बाबा लगभग 50 रहे थे।
गौरतलब है कि साई बाबा की मूल उत्पत्ति के बारे में किसी को कुछ नहीं पता है, उनके जन्म का विवरण आज भी एक रहस्यमयी पहेली बना हुआ है। साई बाबा स्ंवय भगवान शिव के सार्वभौमिक रूप को मानते थे। साई बाबा ने अपना पूरा जीवन शिर्डी में सभी धर्मो और समुदायों के बीच शांति का संदेश और एकता का उपदेश देने में बिता दिया। एक छोटे से गांव शिरडी में भक्ति की ऐसी खुशबू है कि दुनिया भर से आध्यात्मिक झुकाव वाले भक्तों का तांता, यहाँ लगा रहता है। आध्यात्मिकता की नजर से शिरडी दुनिया के नक्शे पर सबसे नम्बर एक पर है। यहाँ अन्य देवी-देवता जैसे शनि, गणपति और शिव आदि की पूजा भी की जाती है।
इस पवित्र मंदिर में साल के किसी भी मौसम में दर्शन किऐ जा सकते है। लेकिन आमतौर पर मानसून के मौसम को ज्यादा पंसद किया जाता है क्योकि इस दौरान वहां की जलवायु उचित होती है। दर्शनार्थी अपनी यात्रा को अक्सर तीन मुख्य त्यौहारों- गुरू पूर्णिमा, दशहरा और रामनवमी पर प्लान करते है।
शिर्डी में इन स्थानों पर अवश्य जाएं
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श्री गुरुस्थान मंदिर
गुरूस्थान, शिर्डी की पावन धरती पर पवित्र स्थल है। जब बाबा 16 साल के थे तब वह पहली बार सभी को नीम के पेड़ के नीचे दिखाई पड़े। तब से इस पेड़ का नाम मारगोसा और इस स्थान का नाम गुरूस्थान पड़ गया। भक्तों का मानना है कि अगर यहाँ अगरबत्ती को जलाकर चिपका दिया जाऐ तो सभी रोगों से मुक्ति जाती है।
श्री साईं बाबा समाधि मंदिर
शिर्डी में समाधि मंदिर भक्तों के दर्शन करने के लिए दूसरा स्थल है। कहानियों के अनुसार, नागपुर का एक बड़ा धनी व्यक्ति समाधि मंदिर का स्वामी था। वह इस मंदिर में मुरलीधर की प्रतिमा को स्थापित करना चाहता था और वह साई बाबा का भी बहुत बड़ा भक्त था। किवदन्तियों के अनुसार, बाबा स्ंवय ही उस मंदिर में मुरलीधर बन गऐ और यह मंदिर, समाधि मंदिर बन गया।
लेंडी बाग
लेंडी बाग, शिर्डी- मनमाड़ वाले रास्ते पर स्थित एक खूबसुरत बगीचा है। बाबा ने अपने जीवन का बहुत सारा समय इस बगीचे में बिताया था। दन्तकथाओं के अनुसार, लेंड़ी बाग में बाबा एक बार एक पत्थर पर बैठे थे जिसे शिर्डी में कुछ लोग उठा लाऐ थे और वह उसका इस्तेमाल कपड़े धोने के लिए करते थे। वर्तमान में वह पत्थर शिरडी में द्धारकामें मस्जिद में रखा हुआ है।
मारुती मंदिर
बाबा के दिल में इस मंदिर के लिए आपार वो यहां अकसर आकर पूजा अर्चना करते थे।
कैसे पहुँचें शिर्डी
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