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संस्कृति नगरी के रूप में जानी जाती है वडोदरा, 1200 साल पुराना है इतिहास

गुजरात के सांस्कृतिक शहरों में से वडोदरा का इतिहास काफी पुराना है। इस शहर पर मराठों, मुगलों और कई अन्य शासकों का शासन रहा है। कुछ समय पहले तक इसे बड़ौदा नाम से जाना जाता था, जो काफी समय एक रियासत भी रहा था।

गुजरात के कई ऐसे जिले हैं, जो प्राचीन समय में एक रियासत के रूप में जाने जाते थे। उनमें से ही एक है, यहां का वडोदरा। वडोदरा को पहले बड़ौदा नाम से भी जाना जाता है और गुजरात के कई इलाकों में आज इसे बड़ौदा ही कहा जाता है। यह गांधीनगर से करीब 141 किलोमीटर दूर विश्वामित्री नदी के किनारे बसा हुआ है। राज्य के सम्पन्न नगरों में से एक यह शहर दिल्ली, मुंबई व देश के मुख्य शहरों से जुड़ा हुआ है। कहा जाता है कि इस शहर का नाम 'वड' (बरगद) के वृक्ष पर पड़ा है।

वडोदरा का प्राचीन इतिहास

वडोदरा का प्राचीन इतिहास

इस शहर का सबसे पहला उल्लेख 812 ईस्वी के एक राजपत्र से मिलता है, जिसमें इस शहर को 'वादपद्रक' नाम से संबोधित किया गया है। यह जैन लोगों को बोलबाला था, जिसे डोडिया राजपूत वंश के राजा चंदन ने छीन लिया था और फिर उन्हीं के नाम पर इसे चंदनवाटी कहा जाने लगा। थोड़ा और करीब से वडोदरा को जानने की कोशिश की जाए तो मालूम पड़ता है कि इस शहर पर गुप्त साम्राज्य और चालुक्य वंश का भी शासन रहा। इतिहास के पन्नों को पलटने पर मालूम पड़ता है कि इस शहर को वारावती कहकर भी पुकारा जाता था। 13वीं शाताब्ती के अंत तक यह शहर हिंदू शासन के अधीन रहा। फिर इस शहर पर सोलंकी राजपूतों ने अपना कब्जा जमा लिया था।

वडोदरा पर मराठों का कब्जा

वडोदरा पर मराठों का कब्जा

तत्कालीन समय में मुस्लिम शासन काफी तेजी से भारत में फैल रहा था और देखते ही देखते वडोदरा की सत्ता सोलंकी राजपूतों की हाथों से चली गई और इस पर दिल्ली के सुल्तानों का कब्जा हो गया। काफी लम्बे समय बाद इस गद्दी पर सत्ता करने मुगल आए। लेकिन उनकी सबसे बड़ी समस्या मराठा शासक थे, जिन्होंने धीरे-धीरे इस क्षेत्र पर अपना अधिकार कर लिया और यह मराठा वंश गायकवाड़ की राजधानी भी बनी। इस वंश के सबसे लोकप्रिय राजा के रूप में सर सयाजी राव गायकवाड़ तृतीय (1875-1939 ईस्वी) जाने गए, जो सबसे सक्षम और लोकप्रिय शासक थे। अपने शासन के दौरान उन्होंने काफी सुधार किए। इस बीच ब्रिटिश हुकूमत का भी वर्चस्व शहर पर देखा गया। यह राज्य आजादी तक एक एक रियासत बना रहा और आजादी के बाद 1947 में भारत का हिस्सा बन गया।

वडोदरा में घूमने लायक जगहें

वडोदरा में घूमने लायक जगहें

वडोदरा शहर ऐतिहासिक धरोहरों, मंदिरों व झीलों का शहर है, जो पर्यटन के लिहाज से बेहद ही खूबसूरत है। इस शहर में पर्यटकों को लुभाने के लिए काफी कुछ है। ऐसे में अगर आप भी इस शहर की सैर पर निकलना चाहते हैं तो आप यहां के वडोदरा म्यूजियम व पिक्चर गैलेरी, लक्ष्मी विलास पैलेस, सुरसागर झील, सयाजी गार्डन, ईएमई मंदिर, अरबिंदो आश्रम व जारवानी झरना इत्यादि जगहों पर घूम सकते हैं, जो आपको इस शहर की खूबसूरती का एहसास दिलाएगा।

वडोदरा के आसपास की जगहें

वडोदरा के आसपास की जगहें

वडोदरा के आसपास की जगहों पर अगर जाने की इच्छा रखते हैं तो आप खेड़ा, आनंद, भरूच, पंचमहल, छोटा उदयपुर, गांधीनगर, अहमदाबाद में घूमने के लिए जा सकते हैं। जहां आपको ऐतिहासिक इमारतों के साथ-साथ धार्मिक स्थल भी देखने को मिलता है। आसपास की इन जगहों पर जाकर आप गुजरात के इतिहास व सुंदरता के बारे में काफी करीब से जान सकते हैं और समझ सकते हैं।

कैसे पहुंचें वडोदरा?

कैसे पहुंचें वडोदरा?

वडोदरा जाने के लिए यहां का नजदीकी हवाई अड्डा वडोदरा में स्थित है, जो गुजरात का पहला ग्रीन एयरपोर्ट और भारत का दूसरा ग्रीन एयरपोर्ट है। (भारत का पहला ग्रीन एयरपोर्ट कोच्चि है)... यहां का नजदीकी रेलवे स्टेशन भी वडोदरा (वडोदरा रेलवे स्टेशन) में ही है। इसके अलावा आप यहां बस के जरिए भी पहुंच सकते हैं। यहां का बस स्टैण्ड रेलवे स्टेशन के पास में ही स्थित है।

वडोदरा से सम्बन्धित हमने सारी जानकारी आपके सामने रखी है, अगर कोई जानकारी हमसे छुट गई हो या हम न लिख पाए हो तो आप हमें अपने शहर के बारे में बता सकते हैं। हमसे जुड़ने के लिए आप हमारे Facebook और Instagram पेज से भी जुड़ सकते हैं...

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