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पहाड़ों को नजदीक से देखना और बादलों को छूना भला कौन नहीं चाहता..अगर आपके भी कुछ ऐसे सपने हैं तो आप उत्तराखंड स्थित मसूरी हिल स्टेशन की सैर का प्लान बना सकते हैं। अंग्रेजों के वक्त अस्तित्व में आया यह ग्रीष्मकालीन गंतव्य आज पूरे विश्व में अपनी पहाड़ी खूबसूरती के लिए जाना जाता है, जहां की मनमोहक आबोहवा का लुत्फ उठाने के लिए न सिर्फ देश बल्कि दुनिया के कोने-कोने से सैलानी आते हैं।
मसूरी की पर्वतीय खूबसूरती का अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि इसे 'पहाड़ों की रानी' के नाम से भी संबोधित किया जाता है। यहां का हर एक नजारा किसी चित्रकार की कृति भांति प्रतीत होता है। फोटोग्राफी से शौकीनों के लिए यह स्थल किसी जन्नत से कम नहीं। इस लेख के माध्यम से जानिए मसूरी की उन खास बातों को जो उसे उसे बनाती हैं सबसे ज्यादा खास।
अंग्रेजों द्वारा खोजा गया
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मसूरी हिमालय की शिवालिक श्रेणी के मध्य समुद्रतल से 6600 फीट की ऊंचाई पर स्थित है। इस हिल स्टेशन की खोज का श्रेय ब्रिटिश अधिकारी कप्तान यंग को जाता है, जिन्होंने उत्तराखंड के इस पर्वतीय स्थल की खोज वर्ष 1825 में की थी। इतिहासकारों का मानना है कि कप्तान को मसूरी की जलवायु उनके मुल्क इंग्लैंड के जैसी ही लगी, इसलिए उन्होंने यहां कुछ समय रहने का फैसला किया।
यह ब्रिटिश काल में अंग्रेजों के लिए एक ग्रीष्मकालीन गंतव्य के रूप में काम करता था, गर्मियों के दिनों में गोरी सेना इन्हीं हिल स्टेशन पर डेरा डालती थी। माना जाता है कि यहां जनरल सर जॉर्ज एवरेस्ट ने भी अपना बंगला यहां बनाया था। बता दें कि इन्हीं के नाम पर विश्व की सबसे ऊंची चोटी माउंट एवरेस्ट का नाम रखा गया।
माल रोड का आकर्षण
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चूंकि यहां अंग्रेजों ने एक लंबा समय बिताया है तो आप यहां आज भी ब्रिटिश वास्तुकला की छाप देख सकते हैं। यहां अधिकांश इमारत अंग्रेजी वास्तुकला से प्रभावित है। आप मसूरी के सबसे खास स्थलों में से एक माल रोड की सैर कर सकते हैं। ब्रिटिश काल के दौरान विकसित हुए इस स्थल पर सिर्फ अंग्रेजी अफसरों को जाने की ही इजाजत थी, भारतीयों का यहां आना पूर्णता वर्जित था।
इतिहासकारों की मानें तो माल रोड पर भारतीय की सैर पर लगे प्रतिबंधों को तोड़ पूर्व प्रधानमंत्री जवाहर लाल नेहरू के पिता मोती लाल नेहरू ने यहां चहलकदमी की थी। आज भी यह स्थल पुरानी यादें ताजा करता है। खासकर रात के दौरान इस स्थल की रौनक देखने लायक होती है।
कलाकारों की पसंद
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मसूरी न सिर्फ सैलानियों बल्कि देश-विदेश के कलाकारों की पसंदीदा जगह रहा है। माना जाता है कि अभिनेता टॉम ऑल्टर ने यहीं से अपने थियेटर की शुरूआत की थी। यहां शुरू से ही साहित्यकारों का आना जाना लगा रहा है।
एक लेखक एक कवि को जो शांत माहौल चाहिए अपन रचना के लिए वो मसूरी प्रदान करता है। बॉलिवुड की कई फिल्मों में यहां के प्राकृतिक दृश्यों को फिल्माया जा चुका है। गर्मियों की छुट्टी बिताने के लिए भी कई देशी-विदेशी कलाकार यहां पहुंचते हैं।
ऐतिहासिक इमारतें
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मसूरी अपनी ऐतिहासिक इमारतों के लिए भी काफी जाना जाता है, जिसका निर्माण ब्रिटिश काल के दौरान ही हुआ था। खासकर उस दौरान बनाए गए स्कूल इस हिल स्टेशन के मुख्य आकर्षण माने जाते हैं। आप यहां के सेंट जॉर्ज स्कूल को देख सकते हैं, जिसका निर्माण रोमन कैथोलिक शैली में किया गया था।
इसके अलावा आप यहां वुडस्टॉक को भी देख सकते हैं। मसूरी में अंग्रेजी काल के कई शानदार इमारते मौजूद हैं जिन्हे भारत यहां की यात्रा के दौरान देख सकते हैं।
आसपास के आकर्षण
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मसूरी अपनी पहाड़ी सौंदर्यता के साथ-साथ आसपास के प्राकृतिक आकर्षणों के लिए भी जाना जाता है। अगर आप अपनी मसूरी यात्रा को यादगार बनाना चाहते हैं तो नजदीकी स्थलों का भ्रमण कर सकते हैं। आप यहां के प्रसिद्ध कैंम्पटी और भट्टा जल प्रपात की सैर कर सकते हैं। मसूरी से 15 किमी के रेंज में आप कई अन्य छोट जलप्रपातों को देख सकते हैं। आप मसूरी से 30 किमी की दूरी तय कर धनोल्टी हिल स्टेशन का भ्रमण कर सकते हैं।
खूबसूरत हिमलय पहाड़ी और वनस्पतियों से घिरा यह पर्वतीय गंतव्य सैलानियों के मध्य काफी ज्यादा प्रसिद्ध है। इसके अलावा आप यहां कानाताल कैंप साइट और सुरकंडा देवी मंदिर के दर्शन कर सकते हैं।