जन्माष्टमी के उपलक्ष में हमारी तरफ से आप सभी को मुबारकबाद। यूं तो जन्माष्टमी बेहद हर्षोउल्लास के साथ मनाई जाती हैं, लेकिन उत्तर भारत में कृष्ण जन्माष्टमी की एक अलग ही धूम होती है। तो आज मैं आपको जन्माष्टमी के उपलक्ष में उत्तर भारत के उन मंदिरों के बारे में बताने जा रहीं हूँ जहां जन्माष्टमी बेहद धूमधाम से मनाई जातीं है।
श्री कृष्ण जन्मभूमि,मथुरा
श्री कृष्ण जन्मभूमि, पूरे भारत में ही नहीं बल्कि पूरी दुनिया में श्रीकृष्ण जन्माष्टमी की धूम के लिए शुमार हैं। जन्माष्टमी के अवसर पर इस मंदिर की रौनक तो बस देखते ही बनती है। इस दिन कृष्ण के दीवाने उनकी एक झलक पानें के लिए दूर दूर से दर्शन करने आते हैं। पूरे मंदिर को इस पर्व पर दुल्हन की तरह सजा दिया जाता है, जिसे देख मन प्रफुल्लित हो उठता है। बारह बजते ही इस मंदिर यंहा श्री कृष्ण जन्मोत्शव की धूम तो ही बनती है।
जहाँ एक और भक्त कृष्ण को दर्शन को आतुर दिखते तो व्हीं एक दूसरे को हाथी घोडा पालकी, जय कन्हैया लाल की, नन्द के घर आनदं भयो बोलकर अपनी बधाई और ख़ुशी जाहिर करते हैं।
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इस्कॉन टेम्पल वृन्दावन
इस्कॉन मंदिर इसे अंग्रेज मंदिर के नाम से भी जाना जाता हैं। इस मंदिर की खास बात यह है कि यहाँ जन्माष्टमी सारी पूजा भारतीय पंडितों द्वारा नहीं बल्कि अंग्रेजी पंडितों के द्वारा की जाती हैं। वाकई देखते ही बनती हैं।
बांके बिहारी मंदिर
वृंदावन में स्थित बांके बिहारी जी का एक भव्य मंदिर है जिस,की छटा कृष्ण जन्मोत्शव पर तो बस देखते ही बनती है। इस मंदिर में बिहारी जी की काले रंग की एक प्रतिमा है। इस प्रतिमा के विषय में मान्यता है कि इस प्रतिमा में साक्षात् श्री कृष्ण और राधा समाए हुए हैं। इसलिए इनके दर्शन मात्र से राधा कृष्ण के दर्शन का फल मिल जाता है। इस मंदिर का निर्माण स्वामी हरिदास जी ने 1864 सदी में करवाया था।
द्वारका धीश मंदिर
गुजरात के पश्चिम में बसी द्वारका का निर्माण कृष्ण ने गोकुल को छोड़ने के बाद किया था। द्वारकाधीश मंदिर लगभग 2,500 साल पुराना है और इसे जगत मंदिर भी कहा जाता है।यहां आप कृष्णा की पत्नी रुकमणी के भी दर्शन कर सकते हैं।