जैन धर्म एक ऐसा धर्म है, जो सभी जीवित प्राणियों के प्रति शांतिवाद और अहिंसा का रास्ता बताता है। जैन धर्म के अनुसार, जीवन का उद्देश्य कर्मों के नकारात्मक प्रभावों को मानसिक और शारीरिक शुद्धिकरण के माध्यम से पूर्ववत करना है। माना जाता है कि इस प्रक्रिया में आंतरिक शांति के साथ मुक्ति मिलती है।
भारत में अन्य मन्दिरों की तरह कई सारे जैन मंदिर भी है, जिनकी खूबसूरत वस्तुकला पर्यटकों का मन अपनी ओर आकर्षित करती है। मन्दिरों के जरिये आप इस धर्म को अच्छे से जान और समझ सकते हैं। आइये इसी क्रम में जानते हैं भारत के प्रमुख जैन मंदिरों के बारे में, जिन्हें जीवन में एकबार आपको अवश्य देखना चाहिए
रणकपुर जैन मंदिर
अरावली पहाड़ियों के पश्चिमी ओर स्थित यह मंदिर भगवान आदिनाथ जी को समर्पित यह जैन मंदिर जैनियों के पांच महत्वपूर्ण तीर्थ स्थलों में गिना जाता है। हल्के रंग के संगमरमर का बना यह मन्दिर बहुत सुंदर लगता है। किंवदंतियों के अनुसार, एक जैन व्यापारी सेठ धरना शाह और मेवाड़ के शासक राणा खम्भा द्वारा इस मंदिर का निर्माण किया गया था। मन्दिर के मुख्य परिसर चमुखा में कई अन्य जैन मंदिर शामिल हैं। मंदिर का तहखाना 48,000 वर्ग फुट पर फैला है। उस युग के कारीगरों की स्थापत्य उत्कृष्टता यहाँ के 80 गुंबदों, 29 हॉलों और 1444 खंभों पर दिखती है।
खंभों की खास विशेषता यह है कि ये सभी अनोखे हैं। खंभों की नक्काशियाँ एक को दूसरे से अलग करती हैं। पार्शवनाथ और नेमिनाथ के मंदिर मुख्य मंदिर का सामने स्थित हैं। पर्यटक इन मंदिरों की सुंदर नक्काशी को देख सकते हैं जो उन्हें खजुराहो के मूर्तियों की याद दिलाते है।Pc:Nagarjun Kandukuru
पालिताना जैन मंदिर
पालिताना मंदिर जैनियों के सबसे पवित्र तीर्थ स्थान के रूप में माना जाता है। ये शत्रुंजय पहाड़ियों की चोटी पर स्थित 3000 से अधिक मंदिरों का एक समूह है, जो विशेष तौर पर संगमरमर में खुदे हुए हैं। पहाड़ी की चोटी पर मुख्य मंदिर 1 तीर्थंकर भगवान आदिनाथ (ऋषिदेवा) को समर्पित है। पहाड़ी के शीर्ष पर अन्य मंदिर 900 साल की अवधि में जैनियों की अलग-अलग पीढ़ियों के द्वारा बनाये गये हैं।
अन्य प्रमुख मंदिरों में से कुछ कुमारपाल, विमलशाह और सम्प्रीति राजा के हैं। इसकी मान्यता के कारण हर जैनी की मनोकामना होती है कि वह जीवन में कम से कम एक बार पहाड़ी चढ़कर मंदिर तक जाये। जैनी यह भी मानते हैं कि कई लोगां ने इस पहाड़ी से ही मोक्ष प्राप्त किया है।
Pc:Bernard Gagnon
दिलवाड़ा जैन मंदिर
दिलवाड़ा जैन मंदिर, भारत के प्रमुख जैन तीर्थस्थलों में से एक है। माउंट आबू के पास ही स्थित इस दिलवाड़ा मंदिर में पाँच जैन मंदिर शामिल हैं जो अपनी धार्मिक और वास्तुकला की महत्ता के लिए प्रमुख तौर पर जाने जाते हैं।
11 से 13 वीं शताब्दी में बने ये मंदिर उस समय के चालुक्य वंश के शासनकाल के सबसे अच्छे मंदिरों के खूबसूरत नमूने हैं। ये साधारण पर आकर्षक मंदिर अपने संगमरमर की रचना नक्काशीदार खम्भे, दरवाज़े, छत और पैनल के लिए जाने जाते हैं जो हर एक मंदिर को अलग और विशेष चमक प्रदान करते हैं। दिलवारा के जैन मंदिर माउंट आबू से ढाई किलोमीटर की दूरी पर स्थित हैं और यहाँ तक रास्ते द्वारा पहुँचा जा सकता है।Pc:Surohit
गोमतेश्वर मंदिर
श्रवणबेलगोला में स्थित 60 फीट लम्बी गोमतेश्वर की मूर्ति भारत के आश्चर्यों में से एक है। यह मूर्ति ग्रेनाइट के एक ब्लॉक से बनाई गई है और जिसे इस क्षेत्र में कदम रखते ही आप देख सकते हैं। यह जैनियों का धार्मिक स्थल है, जहां भलत भगवान के दर्शन प्राप्त करने को पहुंचते हैं।
आदिनाथ जैन मंदिर
आदिनाथ मंदिर खजुराहो में जैन मंदिर से संबंधित एक विशेष मंदिर है। यह पाश्र्वनाथ मंदिर के उ में स्थित है। 11वीं सदी में चंदेल शासकों ने यह मंदिर बनाकर जैन संत आदिनाथ को समर्पित किया था। इस मंदिर का निर्माण सप्त-रथ पर आधारित है।
राज दरबार के संगीतकारों की मुद्राओं की सुंदर नक्काशी मंदिर की दीवारों पर देखी जा सकती है। इसकी दीवारों पर आदिनाथ के दरबार में एक प्रसिद्ध नर्तकी नीलांजना की नृत्य शैली को बहुत बारीकी से दिखाया गया है। नायिकाओं, कामिनियों और बाह्मिनी जैसी महिलाओं के विभिन्न वर्गों की कई आकृतियाँ दीवारों पर खुदी हुई हैं। इस तरह की सुंदर नक्काशी आज भी पर्यटकों को उस समय के कारीगरों की शानदार शिल्पकला की ओर आकर्षित करती है।
Pc:Antoine Taveneaux
सोनागिरी जैन मंदिर
ग्वालियर से करीबन 60 किमी की दूरी पर स्थित सोनागिरी में छोटी पहाड़ियों पर 9 वीं और 10 वीं शताब्दी के जैन मंदिर हैं। यह पवित्र स्थान स्वयं-अनुशासन, तपस्या के लिए अभ्यास करने के लिए भक्तों और संन्यासी संतों में लोकप्रिय है। दूर दूर से श्रद्धालु इस मंदिर में भगवान के दर्शन करने को पहुंचते हैं।Pc:nkjain
दिगम्बर जैन मंदिर
दिल्ली में लाल किले के पार स्थित दिगंबर जैन मंदिर यहाँ का सबसे पुराना जैन मंदिर है। सुंदर लाल बलिया पत्थरों से बना यह मंदिर चाँदनी चौक और नेताजी सुभाष मार्ग के चौराहे पर स्थित है। ऐसा भी कहा जाता है कि यह दिल्ली का सबसे पुराना जैन मंदिर है जिसका निर्माण 1656 में किया गया। इस मंदिर में मुख्य देवता भगवान महावीर हैं - जो जैन धर्म के 24 वीं तीर्थंकर थे। इस मंदिर में भगवान आदिनाथ - जैन धर्म के प्रथम तीर्थंकर और भगवान पार्श्वनाथ - भगवान महावीर के पूर्ववर्ती की मूर्तियां भी हैं।
एक बहुत पवित्र स्थान होने के कारण यह अनेक भक्तों को आकर्षित करता है और इसका प्रमुख भक्ति क्षेत्र प्रथम मंजिल पर मौजूद है। वे लोग जो जैन धर्म के बारे में जानने के इच्छुक हैं उनके लिए यहाँ पुस्तकों की एक दुकान है जो जैन धर्म से संबंधित साहित्य बेचती हैं। इसके अलावा इस मंदिर में जैन धर्म से जुड़े हुए स्मृति चिन्ह और अलभ्य कलाकृतियाँ भी बेची जाती हैं। इस मंदिर की अलंकृत नक्काशी और सुंदर वास्तुकला पर्यटकों को हतप्रभ करती है।Pc:carol mitchell