भगवान का अपना देश कहा जाने वाला केरल पर्यटन की दृष्टि से हमेशा से ही ख़ास रहा है। आज केरल और पर्यटन लगभग एक दूसरे के पर्यायवाची हैं, भरपूर ट्रॉपिकल हरियाली, नारियल के पेड़, तटों पर दूर तक फैले पाम, गदगद कर देने वाली पानी पर तैरती हाउसबोट, कई मंदिर, आयुर्वेद की सुंगध,दुर्बल झीलें या समुद्री झीलें, नहर, द्वीप आदि। आज केरल में ऐसा बहुत कुछ है जो आपको मंत्र मुग्ध करने के लिए काफी है। OMG :
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कहा जाता है कि दक्षिण भारत का ये राज्य जहां देवता वास करते हैं अपने में ऐसा बहुत कुछ समेटे हुए है जो आज आधुनिक होते हुए भी प्राचीन है। ये शहर जितना खूबसूरत है यहां के लोग भी उतने सौम्य और मेहमान नवाज हैं। आपको बताते चलें कि आज केरल राज्य में कुल 14 जिले हैं जिनमें कासरगोड, कन्नूर,वायनाड, कोझीकोड,मालाप्पुरम, पलक्कड़, त्रिशुर, एर्नाकुलम, इडुकी, कोट्टयम, अलप्पुझा , पथानमथीट्टा, कोल्ल्म, तिरूवनंतपुरम सबसे ज्यादा प्रसिद्ध पर्यटन स्थलों में से हैं।
कुछ यूं है अपना ट्राइबल इंडिया
भ्रमण करने के शौकीन पर्यटकों के लिए केरल, पर्यटन के लिए क्षैतिज स्थल है यानि यहां आकर पर्यटक एक साथ कई स्थानों पर सैर करके दुनिया के सबसे सुंदर प्राकृतिक नजारों को देख सकते हैं। आज अपने इस लेख के माध्यम से हम आपको अवगत करेंगे केरल की उन दस खासियतों से जिनको केरल में रहते हुए आपको जरूर जानना चाहिए। तो आइये जानें उन दस चीजों के बारे में जो केरल को ख़ास बनाती हैं।
त्रिशूर पुरम
त्रिशूर पुरम केरल में हिन्दुओं का एक प्रमुख त्योहार है। त्रिशूर पुरम त्रिशूर नगर का वार्षिकोत्सव है। यह भव्य रंगीन मंदिर उत्सव केरल के सभी भाग से लोगों को आकर्षित करता है। यह उत्सव थेक्किनाडु मैदान पर्वत पर स्थित वडक्कुन्नाथन मंदिर में, नगर के बीचोंबीच आयोजित होता है।
जैव पर्यटन
केरल का पर्यटन आज राज्य की यूएसपी है। बात यहां के जैव पर्यटन की हो तो वो भी अपने आप में अनोखा है। आज केरल अपने जैव पर्यटन के कारण देश विदेश के लाखों पर्यटकों को अपनी तरफ आकर्षित कर रहा है।
अतुलनीय सुंदरता
आने वाले टूरिस्ट के लिए केरल में ऐसा बहुत कुछ है जो उसे दीवाना बना देगा। यहां की वादियों, झरनों, बैकवॉटर इतने खूबसूरत है कि इनकी सुंदरता को किसी भी तरह शब्दों के माध्यम से नहीं पिरोया जा सकता है। आज केरल में ऐसा बहुत कुछ है जो आने वाले पर्यटक को अपनी तरफ आकर्षित करेगा।
हाउसबोट
बात केरल की हो और ऐसे में हम यहां की सुन्दर हाउस बोट का वर्णन न करें तो कुछ हद तक बात अधूरी रह जाती है। यदि आप केरल में हों तो हाउसबोट की सैर करना न भूलें।
कथकली
आज अपने 300 साल पुराने प्राचीन शास्त्रीय नृत्य कथकली के कारण केरल दुनिया भर में जाना जाता है। कथकली नृत्य केरल के दक्षिण-पश्चिमी हिस्से का प्रमुख शास्त्रीय नृत्य शैली है जिसने हमेशा से ही देश विदेश के लोगों को अपनी तरफ आकर्षित किया है।
कलरीपायट्टु
कलरीपायट्टु दक्षिणी राज्य केरल से व्युत्पन्न भारत की एक युद्ध कला है। संभवतः सबसे पुरानी युद्ध पद्धतियों में से एक, ये केरल में और तमिलनाडु व कर्नाटक से सटे भागों में साथ ही पूर्वोत्तर श्रीलंका और मलेशिया के मलयाली समुदाय के बीच प्रचलित है।
तेय्यम
तेय्यम , केरल के उत्तर मलबार इलाके की एक प्रमुख पूजा अनुष्ठान है। यह अनुष्ठान, मुख्य रूप में कोलत -नाड इलाके मे और कर्णाटक के कोडगु और तुलु नाडु इलाके में एक जीते-जागते पंथ के रूप मे हज़ारों साल पुरानी रीति और विधिओं से निष्पादित किया जाता है।
बीच
यदि आपको प्रकृति को अपने सर्वोत्तम रूप में देखना है तो आप केरल के शांत बीचों पर आएं। यहां शोर तो होगा मगर ये शोर किसी गाडी या भीड़ भाड़ का न होकर के समुंद्र और यहां वास करने वाले पक्षियों का होगा। कोवलम, कपप्ड़ और वर्कला यहां के प्रसिद्ध बीच हैं।
अराणमुला शीशे
अराणमुला शीशे आज केरल की पहचान हैं जिन्हें हाथ से बनाया जाता है। इन शीशों का निर्माण यहां के अराणमुला गांव में किया जाता है। ज्ञात हो कि केरल के हर समारोह और पर्वों में इन शीशों का इस्तेमाल होता है और यहां के लोगों द्वारा इन्हें बहुत पवित्र माना जाता है। जिस धातु से इन शीशों का निर्माण होता है उस धातु को अभी तक यहां के लोगों द्वारा गुप्त रखा गया है।
केरल की क्यूज़ीन
यदि आप भारत में हैं तो अवश्य ही आपने गौर गिया होगा कि सम्पूर्ण भारत में ही भोजन अलग अलग है। जैसे जैसे आप भारत के अलग अलग राज्यों का भ्रमण करते हैं सभ्यता और संस्कृति के अलावा भोजन में भी विविधता आती है। ऐसी ही विविधता आपको केरल में भी देखने को मिलेगी। यदि आप केरल में हों तो यहां की प्रसिद्ध थालास्सेरी बिरयानी, मपललाह बिरयानी और कोच्चि के सी फ़ूड का लुत्फ़ लेना न भूलें।