यूं तो कई बार में वैष्णो देवी गयी हूं लेकिन कभी श्रीनगर जाने का समय नहीं मिला। इस बार जब सपरिवार हम सभी माता वैष्णो के दर्शन करने पहुंचे तो सोचा क्योंना इस बार श्रीनगर की खूबसूरती को भी निहार लिया जाए।
वैष्णो देवी के दर्शन करने के बाद हम कटरा पहुंचे और हमने वहां से श्रीनगर जाने के लिए एक गाड़ी बुक कर ली। पहली बार श्रीनगर को देखने के लिए मै काफी खुश थी। मैंने अपना फोन भी पूरा चार्ज कर लिया ताकि वहां जमकर तस्वीरें क्लिक कर सकूं।
कटरा से श्रीनगर की दूरी 265 किलोमीटर की है।कटरा जाने के दो रास्ते हैं-
पहला रास्ता
कटरा-उधमपुर-पटनीटॉप-बनिहाल-अनंतनाग-पैम्पोर-श्रीनगर। अगर आप इस रास्ते का इस्तेमाल करते हैं तो आप 6 घंटे 12 मिनट में कटरा से श्रीनगर पहुंच जायेंगे।
दूसरा रास्ता
कटरा-सुंदरबनी-रजौरी-अज्मताबाद-शोपियां-पुलावमा-बडगाम-श्रीनगर। अगर आप इस रास्ते का इस्तेमाल करते हैं तो आप 7 घंटे 9 मिनट में 321 किमी की दूरी तय करके कटरा से श्रीनगर पहुंच जायेंगे।
हमने श्रीनगर जाने के लिए पहला रास्ता लिया। एक तो पहले रास्ते से हम जल्दी श्रीनगर पहुंचते साथ ही हम रास्ते में पटनी टॉप भी घूम लेंगे। कटरा से पटनी टॉप की दूरी 81 किलोमीटर है। पटनी टॉप पहुँचने के बाद हमने वहां थोड़ी देर रुकने और घूमने की योजना बनाई । बता दें, पटनी टॉप समुद्र सतह से 2024 मीटर की ऊँचाई पर एक पठार पर स्थित है।
पटनी टॉप पिकनिक मनाने के लिए आदर्श स्थान है। यहां की घुमावदार पहाड़ियां, लुभावने दृश्य और शांत वातावरण आपका मन मोह लेगा । हमारे ड्राइवर ने हमें बताया कि यहां तीन मीठे पानी के झरने हैं। हम वहां भी गये और तस्वीरें भी क्लिक की।पटनी टॉप में पर्यटक ठंड के मौसम के दौरान स्कीइंग और ट्रैकिंग का भी भरपूर लुत्फ उठा सकते हैं।
पटनी टॉप में करीबन तीन घंटे एन्जॉय करने के बाद हम फिर से श्रीनगर की ओर चल पड़े। पटनी टॉप से श्रीनगर की दूरी 185 किमी है जिसे हमने 4:30 घंटे में पूरा किया। शाम होने से पहले हम श्रीनगर की खूबसूरत वादियों में पहुंच चुके थे।
श्रीनगर पहुंचते पहुंचते हम सभी बुरी तरह थक चुके थे इसीलिए हमने होटल में जाकर आराम करना उचित समझा।
दूसरा दिन
दूसरे दिन सुबह पहली अजान के साथ ही हम सब की नींद खुल गयी। सुबह उठने के बाद हम सभी ने होटल में अच्छा सा नाश्ता किया और फिर डिसाइड किया कि पहले शालीमार व निशात बाग देखा जाएं। सबकी सहमती से हम सभी शालीमार देखने निकल पड़ें।
शालीमार का रास्ता डल झील के किनारे से गुजरता है। पहली नजर में डल झील के शिकारे और हाउसबोट के पीछे दूर नीली सिलेटी धुंध से झांकती पहाडि़यों ने हमारा मन मोह लिया। शालीमार बाग़ में घुसते ही ही लाल रंग के फूलों ने बहुत आकर्षित किया। ऊंची दीवारों से लटकती हरी बेलें और लाल रंग के फूलों को देखकर लगा कि बनाने वाले ने जन्नत की खूबसूरती में चार चांद लगाने की कोशिश की होगी।
शालीमार बाद घूमने के बाद हम निशातबाग़ पहुंचे यहां भी सब कुछ शालीमार बाग जैसा ही था बस छोटे स्तर पर और पीछे पहाड़ भी नहीं थे।
अब बारी थी डल झील घूमने की, मैंने तो पहले से ही मन बना लिया था की हम एक दिन हाउस बोट में रहेंगे काफी ना नुकुर के बाद मम्मा और पापा हाउसबोट में रुकने को राजी हुए। पानी पर संपन्न घर के ठाठ की कल्पना कभी आपने की हो तो यहां आइएगा। लंदन व एम्सटरडम में भी लोग नाव पर रहते हैं लेकिन हाउसबोट की बात ही कुछ और है। डल झील में हमने पानी सर्फिंग , हाउसबोट और शिकारा सवारी , कायाकिंग भी आनन्द लिया। सर्दियों के दौरान, तापमान इतनी कम हो जाती है कि झील के पानी को जमा देती है।
यकीन मानिये मेरा तो हाउस बोट छोड़ने का बिल्कुल मन नहीं हो रहा था लेकिन हमे हाउस बोट तो छोड़नी ही थी क्योंकि हमे अभी आगे और भी घूमना था।
तीसरे दिन
डल झील में रात बिताने के बाद हम पहुंचे नागिन झील जोकि डल झील की पृष्ठभूमि में स्थित है। एक संकीर्ण सेतु दो झीलों को अलग करती है। पर्यटकों के लिए कई शिकारे और हाउसबोट हाजिर किये जा सकते हैं। पानी स्कीइंग, नाव नौकायन की सुविधा इस झील में उपलब्ध है। नागिन झील डल झील की तुलना में थोड़ा अलग और बहुत क्लीन है।
नागिन झील में बोटिंग का मजा लेने के बाद हम इंदिरा गांधी ट्यूलिप गार्डन पहुंचे। यह गार्डन डल झील के पास ज़ाबारवन पर्वत की तलहटी में स्थित है। यह बगीचा अपने वार्षिक ट्यूलिप महोत्सव के लिए बहुत प्रसिद्ध है। लगभग 73 हेक्टेय ज़मीन पर 17 लाख ट्यूलिप बल्ब से इन शानदार फूलों के पेड़ों को उगाया गया है।इस समय श्रीनगर के ट्यूलिप गार्डन को पर्यटकों के लिए खोल भी दिया गया है। इस गार्डन से जुड़ी Latest जानकारियों के लिए हमारा ये आर्टिकल जरूर पढ़ें :
खुल चुका है श्रीनगर का ट्यूलिप गार्डन, क्या है Timing और टिकट की कीमत?
अपने आसपास के क्षेत्र के अलावा निशात गार्डन , शालीमार गार्डन, अचाबल बाग, चश्मा शाही गार्डन, परी महल और अन्य मुगल गार्डन की तरह यह उद्यान है।
ट्यूलिप गार्डन देखने के बाद हमने हजरतबल मस्जिद भी देखी। यह मस्जिद डल झील के किनारे पर स्थित है, मस्जिद सफेद मार्बल और कश्मीरी और मुगल शैलियों की एक संलयन से बनाया गया है। मस्जिद को दरगाह शरीफ असर -ए- शरीफ और मदीना -अमेरिका - शनि भी कहा जाता है। इस्लामी पैगंबर मुहम्मद की चीज़ - एक बाल को रोकने के लिए माना जाता है कि मस्जिद में एक मंदिर है।
हम यहां के शंकराचार्य मंदिर भी देखने पहुंचे। यह मंदिर शंकराचार्य हिल के शीर्ष पर है जो लगभग 1,100 फुट की ऊंचाई पर स्थित है। अगर आप श्रीनगर में हैं तो यहां की कहवा चाय पीना बिल्कुल भी ना भूले । साथ ही यहां पर आपको खाने के लिए वेज और नॉन वेज दोनों ही तरह के लजीज खाने वाजिब दामों पर मिल जायेंगे।
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श्रीनगर में खरीददारी के लिए काफी कुछ है जैसे पश्मीना शाल, सेब, केसर आदि। वाकई में कटरा श्रीनगर की हमारी यात्रा काफी रोमांचकारी रही हम सबने यहां जमकर मस्ती और तस्वीरें क्लिक दुबारा वापस आने की उम्मीद में हमने श्रीनगर को अलविदा कह दिया ओ निकल पड़े लखनऊ ।