श्रीवर्धन महाराष्ट्र के रायगढ़ जिले में स्थित छोटा सा शहर है। जोकि अपने सुंदर तटों और लक्ष्मीनारायण मंदिर के लिए लोकप्रिय है। इस शहर को पेशावाओं की भूमि भी कहा जाता है क्योंकि यहां पर सबसे पहले पेशवा बालाजी विश्वनाथ का अभिवादन हुआ था।
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ये शहर ऐतिहासिक के साथ-साथ धार्मिक महत्व भी रखता है। किवदंती है कि पांडव पुत्रों में से एक अर्जुन अपनी तीर्थयात्रा के दौरान इस जगह आए थे। यूरोपीय यात्रियों के लिए भी ये जगह खास महत्व रखती है।
कैसे पहुंचे श्रीवर्धन
वायु मार्ग : यहां से 195 किमी दूर है छत्रपति शिवाजी इंटरनेशनल एयरपोर्ट जोकि श्रीवर्धन का निकटतम हवाई अड्डा है। ये एयरपोर्ट देश के प्रमुख शहरों जैसे दिल्ली, बैंगलोर, चेन्नई और हैदराबाद आदि से जुड़ा हुआ है।
रेल मार्ग : यहां से 47 किमी दूर स्थित मानगांच निकटतम रेलवे स्टेशन है जोकि महाराष्ट्र के प्रमुख शहरों से जुड़ा हुआ है। ये नई दिल्ली, बैंगलोर, तिरुवतंनपुरम और चेन्नई जैसे शहरों से भी जुड़ा हुआ है।
सड़क मार्ग : श्रीवर्धन आने का सबसे सही साधन है सड़क मार्ग। ये शहर सड़क द्वारा सभी प्रमुख शहरों से जुड़ा हुआ है और श्रीवर्द्धन के लिए मुख्य शहरों से नियमित बसें चलती हैं। मुंबइ र्से श्रीवर्धन 187 किमी दूर है।
आने का सही समय : आप सालभर में कभी भी श्रीवर्धन आ सकते हैं। अक्टूबर से मार्च के बीच इस तटीय शहर में आना ज्यादा बेहतर रहता है।
किस रूट से आएं
मुंबई - नवी मुंबई - रसायनी - दूरशेत - कोलाड - मंगांव - म्हसला - श्रीवर्धन तक मुंबई-पुणे हाइवे
मुंबई से श्रीवर्धन तक पहुंचने में 4 घंटे का समय लगता है। मुंबई से श्रीवर्धन की सड़कें काफी अच्छी हैं और 187 किमी के इस रास्ते के बीच में कोलाड भी पड़ेगा।
कोलाड में रूकें
पसंद करने वाले लोगों के लिए कोलाड किसी जन्नत से कम नहीं है। व्हाइट वॉटर राफ्टिंग" loading="lazy" width="100" height="56" />एडवेंचर स्पोर्ट्स पसंद करने वाले लोगों के लिए कोलाड किसी जन्नत से कम नहीं है। व्हाइट वॉटर राफ्टिंग
तमहिनी झरना यहां के प्रमुख आकर्षणों में से एक है। इससे पूरी घाटी का सुंदर नज़ारा दिखाई देता है। यहां पर कई पक्षियों के साथ साथ दुनियाभर के प्रवासी पक्षी भी देखे जा सकते हैं।
श्रीवर्धन
श्रीवर्धन समुद्रतट, इतिहास और अध्यात्म का मिश्रण है। यहां का सबसे प्रमुख आकर्षण श्रीवर्धन तट है, यह बीच अन्य बीचों के मुकाबले काफी साफ़ है, साथ ही यहां पर्यटकों की भीड़ भी काफी देखने को मिलती है।
यहां से दीवेएगर और हरिहरेश्वर भी काफी नज़दीक हैं।
लक्ष्मी नारायण मंदिर
इतिहास के साथ अध्यात्म का मिश्रण देखना चाहते हैं तो लक्ष्मी नारायण मंदिर आएं। 700 साल प्राचीन लक्ष्मी नारायण मंदिर होयसला शैली का उत्कृष्ट उदाहरण है। इसके अलावा यहां पर कुश्मेश्वर मंदिर भी बहुत लोकप्रिय है। कुश्मेश्वर पर्वत के मध्य में स्थित ये मंदिर पत्थरों की नक्काशी के लिए प्रसिद्ध है।
पेशवा स्मारक
1750 में निर्मित तीसरे पेशवा बालाजी बाजी राव की मूर्ति को भी यहां देख सकते हैं। हाल ही में इसे रेनोवेट किया गया है। इसेक अलावा 1999 में पेशवा मराठा राजवंश के सम्मान में पेशवा बालाजी विश्वनाथ की मूर्ति की भी स्थापना की गई थी।