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अद्भुत है मेघालय का यह गांव, सिर्फ सीटी बजाकर कर डालते हैं ये सारे काम

मेघालय का प्रसिद्ध व्हिसलिंग गांव कांगथांग । unique whistling village in meghalaya kongthong

भारत को आश्चर्यों का देश यूंही नहीं कहा जाता..यहां की हर दिशाएं अपने अलग-अलग रंग रूपों के लिए जानी जाती हैं, बोल-चाल, खान-पान औऱ कला संस्कृति यहां दूरी के साथ बदलती हैं। यूं तो किसी से संपर्क स्थापित करने के लिए आम भाषा का प्रयोग ही किया जाता है, लेकिन क्या ये संभव है दिन भर की सारी गतिविधियों के लिए मात्र 'सीटी' का प्रयोग किया जाए।

सामान्यता हम सीटी बजाकर किसी को इशारा कर सकते हैं, लेकिन भाषा के स्थान पर सिर्फ सीटी का प्रयोग सोचने में ही अजीब लगता है। आपको जानकर हैरानी होगी कि भारत में एक ऐसा भी एक गांव है जहां भाषा या किसी शब्दों का नहीं बल्कि सीटी बजाकर बातचीत की जाती है। आइए जानते हैं इस अजीबोगरीब गांव के बारे में।

मेघालय का व्हिसलिंग गांव

मेघालय का व्हिसलिंग गांव

PC-Vishma thapa

जिस अजीबोगरीब गांव की हम बात कर रहे हैं वो भारत के पूर्वोत्तर राज्य मेघालय में स्थित है, इस गांव का नाम कांगथांग है लेकिन अपनी सीटी बजाने वाली खासियत के कारण इस गांव को व्हिसलिंग विलेज कहा जाता है। ये राज्य की खासी जनजाति के लोग हैं, जो आम भाषा के स्थान पर सीटी का प्रयोग करते हैं। यह पंरपरा कोई नई नहीं है बल्कि यहां सीटी बजाकर बात करने की इस परंपरा लंबे समय से चली आ रही है।

जानकारी के अनुसार यहां हर इंसान के दो नाम हैं, एक सामान्य शब्दों वाला और दूसरा 'व्हिसलिंग नेम' यानी सीटी की किसी धुन पर रखा गया नाम। हर इंसान के 'व्हिसलिंग नेम' अलग-अलग होते हैं, और इन्हीं नाम से पूरा गांव हर इंसान को बुलाता है। धुन पहचानने की कला मां-बाप अपने बच्चों को बचपन से ही देना शुरू करते हैं।

इस तरह बनती है धुन

इस तरह बनती है धुन

PC-Vishma thapa

जानकारी के अनुसार इस गांव में 100 से ज्यादा परिवार हैं जिनके सदस्यों के नाम अलग-अलग धुन के हिसाब से रखे गए हैं। आपको जानकर हैरानी होगी कि इस गांव के लोग इस खास घुन को बनाने के लिए प्रकृति का सहारा लेते हैं। यानी पक्षियों की आवाज से नई-नई धुनों का निर्माण। यह गांव पहाड़ियों और जंगलों से घिरा है, जहां विभिन्न प्रकार के पक्षी निवास करते हैं, नईं धुन बनाने के लिए परिवार के सदस्यों को जंगल का भ्रमण करना होता है। जिसके बाद में किसी अलग धुन का निर्माण करते हैं। धुन बनाने का तरीका पूरी तरह से अलग है, जो शायद आपको कहीं ओर दिखाई देगा।

जुड़ी है रोचक कहानी

जुड़ी है रोचक कहानी

PC- Vishma thapa

जिस तरह से किसी खास काम के पीछे कोई कहानी या तथ्य जुड़ा होता है, ठीक उसी प्रकार यहां भी सीटी के प्रयोग करने के पीछे एक दिलचस्प कहानी जुड़ी है। माना जाता है कि सीटी बजाकर बात करने की परंपरा किसी पुरानी घटना से जुड़ी है। कहानी के अनुसार गांव का कभी कोई आदमी दुश्मनों के अपनी जान बचाकर भागता हुआ किसी पेड़ पर चढ़ गया था।

मदद के लिए अपने दोस्तों को बुलाने के लिए उसने किसी जंगली आवाज का प्रयोग किया ताकी उसकी आवाज दुश्मन न पहचान सकें। जिसके बाद उसके दोस्तों ने उसकी जान उन दुश्मनों से बचाई। इस घटना के बाद गांव में सीटी बजाकर बात करने की परंपरा शुरू हुई।

पर्यटक के लिए खास स्थल

पर्यटक के लिए खास स्थल

उपरोक्त खासियत के अलावा यह गांव अपनी प्राकृतिक सौंदर्यता के लिए भी काफी जाना जाता है। मेघालय का कांगथांग गांव हरियाली भरे नजारों से भरा है, यहां की पहाड़ियां और घाटियां बहुत हद तक सैलानियों को अपनी ओर आकर्षित करती हैं।

अगर आप अपनी यात्रा को एक शानदार मोड देना चाहते हैं तो मेघालय के खूबसूरत गांव में प्रवेश कर सकते हैं। यहां न आप कुदरती खूबसूरती का आनंद ले पाएंगे बल्कि आपको राज्य की कला-संस्कृति को करीब से समझने का मौका प्राप्त होगा।

कैसे करें प्रवेश

कैसे करें प्रवेश

चूंकि यह एक पहाड़ी गांव है इसलिए आपको मुख्य गंतव्य तक पहुंचने के लिए सड़क के स्थान पर ट्रेकिंग रास्ते का सहारा लेना होगा। यहां का नजदीकी हवाईअड्डा शिलांग एयरपोर्ट है। रेल मार्ग के लिए आप शिलांग रेलवे स्टेशन का सहारा ले सकते हैं। ट्रेकिंग के दौरान आप प्राकृतिक खूबसूरती का आनंद जी भरकर उठा सकते हैं।

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