अगर मुंबईवासी जुहू बीच और मरीन बीच पर घूम-घूमकर थक चुके हैं, तो वीकेंड के दौरान आप हरनाई बीच पर छुट्टियाँ बिता सकते हैं। मुंबई से करीबन 240 किमी की दूरी पर स्थित हरनई समुद्रतट भारत के अन्य बीचों की तरह पर्यटकों से पटा हुआ नहीं है,बल्कि आप इस तट पर सिर्फ स्थानीय मछुआरे को ही देख सकते हैं।
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पर्यटकों की भीड़भाड़ ना होने के कारण यह यह बीच बेहद ही साफ़ सुथरा है, हालांकि धीरे धीरे यह बीच लोगो के बीच लोकप्रिय हो रहा है, जिसके चलते पर्यटक इस जगह अब वीकेंड के दौरान छुट्टियां मनाने पहुंचते हैं।इस बीच को महर्षि कारवे बीच के नाम से भी जाना जाता है।
पर्यटक इस बीच से सावनदुर्ग किले को भी देख सकते हैं। प्राचीन समय में हरनाई एक प्रसिद्ध बंदरगाह भी रह चुका है..हरनाई मछुआरों के बंदरगाह के रूप में भी लोकप्रिय है क्योंकि यहां पर मछलियों की नीलामी होती है। समुद्र से मछुआरों के आने के बाद शाम 6 बजे से यहां मछलियों की नीलामी शुरु हो जाती है।
हरनाई आने का सही समय
हरनाई आने का सही समय सर्दियों में नवंबर से फरवरी तक का है। गर्मी के मौसम में यहां का तापमान बहुत गर्म और उमस भरा रहता है। मॉनसून में कब बारिश हो जाए या उमस बढ़ जाए कुछ कह नहीं सकते हैं। इसलिए इस समुद्रतट पर सर्दी में आने का सबसे बेस्ट समय है।
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मुंबई से हरनाई कैसे पहुंचे
रेल मार्ग : हरनाई से खेड़ और कोंकण रेलवे स्टेशन निकटतम स्टेशन है। यहां से हरनई 41 किमी दूर है और यहां से आपको टैक्सी मिल जाएगी।
सड़क मार्ग : मुंबई से हरनाई पहुंचने के दो रूट हैं जो इस प्रकार हैं :
रूट 1 : मुंबई - रसायनी - मानगांव - पलगड़ - बैंगलोर से हरनई - मुंबई राजमार्ग / मुंबई हाइवे / मुंबई-पंढारपुर रोड़ / मुंबई-पुणे राजमार्ग। 240 घंटे की इस दूरी को तय करने में 5 घंटे 11 मिनट का समय लगेगा।
रूट 2 : मुंबई - लोनावाला- पिंपरी-चिंचवाड़ - मानगांव - दापोली - बैंगलोर से हरनई - मुंबई हाइवे / मुंबई हाइवे / मुंबई-पुणे राजमार्ग। कुल दूरी 334 कि.मी. है और इस मार्ग से आपको हरनाई पहुंचने में 7 घंटे 10 मिनट का समय लगेगा।
दूसरे रूट की सड़कें ज्यादा बेहतर हैं इसलिए आपको दूसरे रूट से जाना चाहिए।
ट्रैफिक से बचने के लिए वीकेंड पर सुबह जल्दी निकलें। मुंबई से लोनावला 82.7 किमी दूर है जिसमें 1 घंटे 45 मिनट का समय लगेगा।
लोनावला
लोनावाला महाराष्ट्र का एक लोकप्रिय हिल स्टेशन..जिसकी खोज भारत में गर्मी की मार से बचने के लिए ब्रिटिश लॉर्ड एल्फिनस्टोन ने की था। यह मौसम सिर्फ मनोरम नजारों के लिए ही नहीं बल्कि यहां की चिक्की के लिए भी काफी मशहूर है। यहां पर गुड़ से और मूंगफली से चिक्की बनाने की दुकानें हैं, जहां से आप चिक्की खरीद सकते हैं।
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बुशी बांध
लोनावला के बाद आपका अगला स्टॉप बुशी डैम है.. इस बांध की सीढ़ियां पानी की गहराई तक लेकर जाती हैं। हरियाली से भरी ये जगह छुट्टियां मनाने के लिए एकदम परफेक्ट है।PC:Vivek Shrivastava
राजमाची
राजमाची और कोंडना गुफाओं तक पहुंचने के लिए आप पहाड़ी पर ट्रैकिंग कर सकते हैं। छत्रपति शिवाजी द्वारा बनाए गए ये किले एडवेंचर लवर्स और ट्रैकिंग के लिए बहुत मशहूर है। लोनावला के पास शिरोटा झील भी है जहां पिकनिक और कैंपिंग की जा सकती है।PC:Kandoi.sid
पिंपरी-चिंचवाड़
लोनावला से 52 किमी दूर पिंपरी चिंचवाड़ पहुंचने में एक घंटे का समय लगता है। यहां बनेर और पाशान पर्वत की वनस्पति और जीवों के संरक्षण के लिए बनेर पाशान बायोडाइवर्सिटी पार्क बनाया गया है। पर्यटक यहां शाम को बोटिंग करने के लिए बर्ड वैली उद्यान भी जा सकते हैं।
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मनगांव
आपका अगला स्टॉप मनगांव हो सकता है जोकि,पिंपरी-चिंचवाड़ से 151 किमी दूर स्थित है..यहां पहुँचने में पिंपरी से करीबन 3 घंटे का वक्त लगता है। यहां श्री बल्लालेश्वर अष्टविनायक मंदिर और श्री वरद विनायक मंदिर जैसे भगवान गणेश के प्रसिद्ध मंदिर देख सकते हैं।
मनगांव में वरसोली और किहिम बीच काफी मशहूर हैं। यहां पर वॉटर स्पोर्ट्स का भी मज़ा लिया जा सकता है। कोंडेन गुफा तक पुहंचने के लिए छोटी सी चढ़ाई भी करनी पड़ती है। ये ट्रैक एक जंगल से होकर गुज़रता है, इस ट्रैकिंग के दौरान आप यहां सुंदर झरनों को देख सकते हैं..ट्रेक करते हुए गुफा तक पहुँचने में करीब 30 मिनट का वक्त लगता है।PC:Amit Jha
डपोली
मनगांव से डपोली 2 घंटे की दूरी पर है। इसके बीच की दूरी 83 किमी है। डपोली का उन्हावरे हॉट स्प्रिंग बहुत मशहूर है। इसमें सल्फर की मात्रा पाई जाती है जोकि त्वचा के लिए बहुत फायदेमंद होती है।
कदयावरछा गणपति मंदिर भगवान गणेश की दुर्लभ मूर्ति के लिए प्रसिद्ध है। यहां पर स्थापित गणेश जी की मूर्ति की सूंड सीधी तरफ है। घने जंगल से होते हुए पर्यटक पनहले काजी गुफाएं भी देख सकते हैं। यहां ट्रैकिंग भी की जा सकती है।
PC:Altafalvi
डेस्टिनेशन-हरनाई
अब आपका अगला डेस्टिनेशन है हरनाई जोकि डपोली से 30 मिनट की दूरी पर स्थित है। मुछआरों के इस छोटे से गांव में आकर आपके मन को सुकुन मिलेगा। प्राकृतिक बंदरगाह, सफेद रेत और साफ पानी के साथ-साथ समुद्रतट का खूबसूरत नज़ारा आपकी छुट्टियों को मज़ेदार बना देगा।हरनाई तट पर हर शाम मछलियों की नीलामी होती है। इस गांव का यही प्रमुख पेशा है। यहां पोमफ्रेट, किंगफिश, मैक्रेल जैसी कई मछिलयां मिल जाएंगीं। इनमें से कुछ निर्यात भी की जाती हैं।PC:Altaf Alvi
हरनाई के किले
हरनाई में 4 शानदार किले हैं। ये हैं सवानदुर्ग, कनकदुर्ग, गोवा किला और फतेगढ़। सवानदुर्ग किला चारों तरफ से पानी से घिरा हुआ है। 1660 में शिवाजी महाराज द्वारा इस पर विजय प्राप्त करने के बाद यह मराठा नौसेना के लिए जहाज निर्माण सुविधा का आधार बनाया गया था।
सवानदुर्ग का उप किला है कनकदुर्ग किला जिसे शाहु महाराज द्वारा बनवाया गया था। इस किले की ऊंचाई से मछुआरों की नावें, नीलामी और सवानदुर्ग को देखा जा सकता है।PC:AshLin
पनहले काज़ी
हरनाई के पास चट्टानों को काटकर बनाए गए बौद्ध मंदिरों को पनहले काजी कहा जाता है। इसमें बौद्ध काल की शिल्पकला में गुफाओं निर्माण किया गया है। इन गुफाओं को बनाने का कार्य नाथों को सौंपा गया था, जिन्होंने अपने धर्म से जुड़ी कला को भी इसमें जोड़ दिया था। सिल्हारा काल के दौरान इन गुफाओं में भगवान गणेश और भगवान शिव की पूजा की जाती थी।PC:Varun Shiv Kapur
विट्ठल रकुमई मंदिर
श्रीकृष्ण को समर्पित इस मंदिर में श्रीकृष्ण के साथ राधा और रुकमणीजी की मूर्तिंया स्थापित हैं। यह मंदिर चंद्रबाग नदी के तट पर स्थित है एवं माना जाता है कि इस नदी में डुबकी लगाने से मनुष्य के सारे पाप धुल जाते हैं। 2014 में इस मंदिर मं पिछड़ी जातियों और महिलाओं को पुजारी बनने के लिए निमंत्रण देने के कारण लोकप्रियता मिली थी।PC:Nagarick