भारत अपनी संस्कृत, परम्पराओं व इतिहास के लिए पुरे विश्व में लोकप्रिय तो है ही, पर साथ ही साथ एक चीज़ और ऐसी है जिसकी वजह से यह देश-विदेश के पर्यटकों की सबसे पहली पसंद है। आपको पता है, वो चीज़ क्या है? नहीं! कोई बात नहीं हम आपको बता देते हैं, वो है यहाँ का खाना,भारतीय व्यंजन। भारतीय व्यंजन की महक दूर-दूर के विदेशी पर्यटकों को भी अपनी ओर लुभाती है।
ऐसा नहीं है कि, आप भारतीय खाने को सिर्फ बाहर किसी भारतीय होटल या गलियों, घरों में ही खा सकते हैं। भारत में खाने को अाध्यात्म से भी जोड़ा गया है। भारत के लगभग हर मंदिर में अलग-अलग तरह के प्रसाद मिलते हैं, जो भगवान जी के आशीर्वाद के रूप में भक्तगण ग्रहण करते व अपनी आत्मा को तृप्त करते हैं। अब जब बात शुरू हो ही गई भारतीय मंदिरों में खाने या प्रसाद की तो, चलिए वहां के महा रसोईघर के दर्शन करके आते हैं, जहाँ हर रोज़ 10,000 से ज़्यादा श्रद्धालुओं के लिए प्रसाद बनाये जाते हैं।
गोल्डन टेम्पल
आपको भी पता होगा कि भारतीय संस्कृति में अन्नदान को सबसे बड़ा दान माना जाता है। कई कथाओं और महान हस्तियों द्वारा कहा भी गया है कि, भूखे को खिलाना सबसे पूण्य का काम होता है। तो चलिए, भारत के महा रसोईयों की सैर पर कबीर के इस दोहे को याद करते हुए, "साँई इतना दीजिये जामे कुटुंब समाये, मैं भी भूखा ना रहूँ, साधू भी भूख न जाए।"
1. गोल्डन टेम्पल, अमृतसर
अमृतसर भारत का सबसे प्राचीन व पवित्र शहर, गोल्डन टेम्पल के लिए पुरे विश्व में प्रसिद्द है। गोल्डन टेम्पल की सबसे दिलचस्प व मज़ेदार बात है, वहां बँटने वाला प्रसाद, जिसे लंगर कहते हैं। लंगर बाँटने की शुरआत सिक्खों के परमगुरु, गुरुनानक ने की थी और अब तक यह पूण्य काम उनके श्रद्धालुओं द्वारा आगे बढ़ाया जा रहा है। अगर आपने वहां पहुंचकर वहां मिलने वाले लंगर का स्वाद नहीं चखा तो मतलब अापने कुछ नहीं चखा। यहाँ रोज़ करीब 60,000 से ज़्यादा श्रद्धालुओं के लिए लंगर बनता है। पूरे दिन मिलने वाले हलवे का स्वाद तो ऐसा होता है, जिसे आप -आप बार खाने की इच्छा व्यक्त करेंगे। आधी रात से ही इसके रसोईघर में लंगर व प्रसाद के बनने की तैयारी शुरू हो जाती है। यहाँ मिलने वाले प्रसाद में दाल, चावल, रोटी, सब्ज़ी व खीर मुख्य व्यंजन होते हैं, जिनका स्वाद सीधे आपको आपके ईश्वर के करीब ले जाता है।
इस्कॉन मंदिर
2. इस्कॉन मंदिर, वृन्दावन
हिन्दू धर्म के अनुसार भगवान श्री कृष्ण की नगरी, वृन्दावन का इस्कॉन मंदिर हर रोज़ 10,000 से ज़्यादा श्रद्धालुओं को भोजन कराता है। आधी रात से ही यहाँ खाने की तैयारी शुरू होती है, जिसमें सुबह के नाश्ते से लेकर दिन के खाने की तैयारी की जाती है। यहाँ मिलने वाले सात्विक भोजन के लिए माना जाता है कि, यह हमारे भगवान से हमारा सम्बन्ध मजबूत कराती है। यहाँ केवल देश के ही श्रद्धालु नहीं, विदेशों से भी आए श्रद्धालु इस नेक काम में अपना हाथ बंटाते व भगावन जी का आशीर्वाद पाते हैं।
3. श्री साईं संस्थान प्रसादालय, शिरडी
पश्चिमी भारत के राज्य महाराष्ट्र में अहमदनगर जिले के शिरडी साईं बाबा में सूर्य ऊर्जा की मदद से भारत के सबसे बड़े रसोईघर को चलाया जाता है। इस रसोईघर की शुरआत 19 वीं सदी के प्रख्यात चमत्कारी महापुरुष साईं बाबा जिन्हें फ़क़ीर भी कहा जाता था, की वजह से हुई जिसे अब आधुनिक तकनीक से बढ़ाया जा रहा है। हर रोज़ यहाँ 60,000 से ज़्यादा श्रद्धालु अपनी भूख मिटाते हैं और यह भारत के सबसे बड़े सूर्य ऊर्जा से चलने वाले रसोईघरों में से एक है। यहाँ बात केवल आध्यात्म या पूजा की नहीं है, बल्कि पेट पूजा की भी है।
श्री साईं संस्थान प्रसादालय
4. धर्मस्थल मंजुनाथ मंदिर, उडुपी
दक्षिण भारत के कर्नाटक राज्य में दक्षिण कर्नाटक, उडुपी का सबसे लोकप्रिय मंदिर, धर्मस्थल मंजुनाथ मंदिर भगवान शिव जी को समर्पित है। माना जाता है कि यह पवित्र स्थल 800 साल पुराने इतिहास से जुड़ा हुआ है। यहाँ रोज़ाना लगभग 10,000 से ज़्यादा श्रद्धालु दर्शन को आते हैं। मुफ्त में रोज़ाना हज़ारों की संख्या में भक्तों को भोजन कराया जाता है, जिसे "अन्न दान" कहते हैं। बिना किसी भेदभाव के अमीर गरीब सभी लोग एक साथ बैठ कर यहाँ मिलने वाले प्रसाद, भोजन का मज़ा लेते हैं और अपने ईश्वर का शुक्रिया अदा करते हैं।
धर्मस्थल मंजुनाथ मंदिर
5. जगन्नाथ मंदिर, पुरी
भारत के ओडिशा राज्य में स्थित प्रसिद्द जगन्नाथ मंदिर हिंदुओं के प्रमुख तीर्थस्थलों में से एक है। पुरी बंगाल की खाड़ी के किनारे बसा एक समुद्र तटीय क्षेत्र है। पुरे साल यहाँ भक्तों का ताँता अपने भगवान जी के दर्शन के लिए लगा रहता है। भगवान जगन्नाथ जी की भूमि में पूरे साल लोग अपनी-अपनी मनोकामनाएं ले दर्शन को आते हैं। यहाँ की सबसे मज़ेदार चीज़, यहाँ मिलने वाला प्रसाद, भक्तों को दूर-दूर से अपनी ओर खींच कर ले आते हैं। खाने में अलग-अलग तरह के पकवान भक्तों को हर बार अपनी और आकर्षित करते हैं।
तो, अब भी आप सोचिये मत और निकल पड़िये अपने भगवान जी के दर्शन कर लज़ीज़ प्रासादों के मज़े लेने के लिए।
अपने महत्वपूर्ण सुझाव व अनुभव नीचे व्यक्त करें।
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