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कहते हैं नार्थ ईस्ट के हाजो में मिला था भगवान गौतम बुद्ध को निर्वाण...

By Syedbelal

क्या आप एक ऐसे स्थान की कल्पना कर सकते हैं जो एक तरफ बेपनाह सुन्दर हो तो वहीँ दूसरी तरफ धर्म की दृष्टि से भी महत्त्वपूर्ण हो ? जी हां धर्म और प्रकृति का अगर मिला जुला समागम आपको देखना हो तो आज ही नार्थ ईस्ट के खूबसूरत राज्य असम के हाजो की यात्रा का प्लान करिये। हाजो, असम का एक महत्वपूर्ण धार्मिक स्थान है। हाजो में आपको दुनिया के तीन महत्वपूर्ण धर्म - हिंदू धर्म, बौद्ध धर्म और इस्लाम का एक अनूठा संगम देखने मिलेगा, जो हाजो पर्यटन का एक महत्वपूर्ण स्वरुप है।

<strong><span style=मंदिर जहां मंदिर की देवी को होता है "मासिक धर्म" " title="मंदिर जहां मंदिर की देवी को होता है "मासिक धर्म" " loading="lazy" width="100" height="56" />मंदिर जहां मंदिर की देवी को होता है "मासिक धर्म"

इस स्थान पर हिंदू देवी देवताओं को समर्पित कई सारे मंदिर हैं, तथा भगवान बुद्ध और विशिष्ट मुस्लिम संतों के पवित्र स्थान भी यहां मौजूद हैं। असम की राजधानी के निकट स्थित होने के कारण यहाँ तक पहुंचना बहुत आसान है साथ ही यह स्थान काफी लोकप्रिय है। यह छोटा सा शहर असम के कामरुप जिले में विशाल ब्रह्मपुत्र नदी के किनारे बसा है। हाजो शहर के इतिहास के बारे में कई अलग-अलग बातें कही जाती हैं। Read :

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माना जाता है कि यह छोटा सा शहर कोच राजवंश की राजधानी था, जो बाद में मुगलों के अधीन हो गया। सदियों से, हाजो अलग अलग नामों से जाना जाता रहा है। 11 वीं सदी में यह शहर अपूर्णाभाव और मणिकुटा के नाम से जाना जाता था, फिर 18 वीं सदी में यह मणिकुटग्राम के नाम से जाना जाने लगा। दूसरी ओर, बौद्धों का यह मानना है कि हाजो में ही भगवान बुद्ध को निर्वाण प्राप्त हुआ। तो आइये जानें हाजो की यात्रा पर वहां क्या क्या देख सकते हैं आप।

हयाग्रिवा माधव मंदिर

हयाग्रिवा माधव मंदिर केवल हाजो का ही नहीं बल्कि इस क्षेत्र का सबसे प्रसिद्ध मंदिर है और यहां अधिक संख्या में श्रद्धालू दर्शन करने आते हैं। यह मंदिर भगवान विष्णु को समर्पित है और माना जाता है कि हयाग्रिवा माधव मंदिर में स्थापित भगवान की प्रतिमा पुरी में स्थापित भगवान जगन्नाथ की प्रतिमा जैसी दिखती है। यह भी माना जाता है कि इसी स्थान पर भगवान बुद्ध को निर्वाण प्राप्त हुआ। अतः हर साल हिंदू श्रद्धालुओं के साथ-साथ बौद्ध श्रद्धालू भी हयाग्रिवा माधव मंदिर के दर्शन करने आते हैं।

पोवा मक्का

पोवा मक्का को मक्का जितना पवित्र माना जाता है। यह पूर्वात्तर क्षेत्र में मुसलमानों के लिए एक महत्वपूर्ण धार्मिक स्थान है, कहते हैं कि हाजो के पोवा मक्का का निर्माण मक्का से लाई गई मिट्टी से किया गया है। पोवा अर्थात एक चौथाई और इसी लिए इसका नाम पोवा मक्का इस बात का प्रतिक है कि इस मस्जिद में मक्का की एक चौथाई पवित्रता है, जो मुसलमानों के लिए एक पवित्र शहर है।

असम के हाजो में क्या - क्या देख सकते है

धोपारगुरी सत्रा

धोपारगुरी सत्रा का निर्माण संत माधवदेवा ने किया था, जो श्रीमंता शंकरदेवा के सबसे बड़े शिष्य थे। श्रीमंता शंकरदेवा ने ही असम में वैष्णव धर्म का प्रचार किया और इसे असमी संस्कृति के चेहरे के रुप में माना जाता है। धोपारगुरी सत्रा का निर्माण वर्ष 1587 में किया गया था।

केदारेश्वर मंदिर

केदारेश्वर मंदिर, हाजो में मदनाचला पहाड़ी के ऊपर स्थित है। यह मंदिर भगवान शिव को समर्पित है और इसे भारतीय उपमहाद्वीप के सबसे पुराने मंदिरों में से एक माना जाता है। इस मंदिर को 18 वीं सदी में राजा प्रमत्ता सिंघा के शासनकाल दौरान बनाया गया था। केदारेश्वर मंदिर की तलहटी पर प्रसिद्ध गणेश मंदिर बना है। केदारेश्वर मंदिर में पत्थर से बना एक बहुत बड़ा शिवलिंग स्थापित है। यह शिवलिंग स्वयांभू लिंग के नाम से जाना जाता है।

जॉय दुर्गा मंदिर

जोय दुर्गा मंदिर देवी दुर्गा को समर्पित हाजो का एक प्रसिद्ध मंदिर है। वर्ष 1774 में राजा लक्ष्मीनाथ सिंघा द्वारा बनाए गए इस मंदिर की वेदी पर देवी दुर्गा की एक सुंदर सी पत्थर की मूर्ति स्थापित है। राजा लक्ष्मीनाथ सिंघा अहोम साम्राज्य के तत्कालीन राजा थे।

 <strong><span style=न्नत के बाद चढ़ाई जाती है दीवार घड़ी" title=" न्नत के बाद चढ़ाई जाती है दीवार घड़ी" loading="lazy" width="100" height="56" /> न्नत के बाद चढ़ाई जाती है दीवार घड़ी

गणेश मंदिर

गणेश मंदिर, हाजो के महत्वपूर्ण आकर्षणों में से एक है। गणेश मंदिर को देवा भावना भी कहा जाता है। पौराणिक कथा के अनुसार, यह माना जाता है कि यह स्थान कभी सारे देवताओं की बैठक की जगह थी। इसलिए इसका नाम देवा भावना पड़ अर्थात देवी और देवताओं के मिलने का स्थान।

यह मंदिर एक विशाल और प्राकृतिक हाथी के आकार की शिला पर बनाया गया है। भगवान गणेश की एक विशाल मूर्ति इस हाथी के आकार की शिला को काट कर बनाई गई है। यह केवल एक पवित्र स्थान ही नहीं बल्कि प्रकृति सौंदर्य से भी समृद्ध है।

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