जम्मू कश्मीर की ददुर्गम वादियों में स्थित अमरनाथ धाम हिन्दू श्र्धलालुयों के लिए काफी महत्व रखता है। चार धाम की तरह भक्तगण इस पूजनीय यात्रा को जीवन में एक बार करने की इच्छा अवश्य रखते हैं। माना जाता है, कि भोले के दरबार में सब भोले की मर्जी से ही पहुंच पाते हैं।
हर साल अमरनाथ की यात्रा जून-जुलाई में प्रारम्भ होती है। अमरनाथ की यात्रा बेहद रोमांचक है, क्योंकि यह यात्रा धरती के स्वर्ग के एक ख़ास आनंद से जैसी है। हिमालय की गोदी में स्थित अमरनाथ हिंदुओं का सबसे ज़्यादा आस्था वाला पवित्र तीर्थस्थल है। अमरनाथ की ख़ासियत पवित्र गुफा में बर्फ़ से नैसर्गिक शिवलिंग का बनना है। प्राकृतिक हिम से बनने के कारण ही इसे स्वयंभू 'हिमानी शिवलिंग' या 'बर्फ़ानी बाबा' भी कहा जाता है।
इन कारणों से स्पष्ट होता है, जिन्दा है अंजनी पुत्र हनुमान
अमरनाथ हिन्दी के दो शब्द "अमर" अर्थात "अनश्वर" और "नाथ" अर्थात "भगवान" को जोडने से बनता है। एक पौराणिक कथा अनुसार, जब देवी पार्वती ने भगवान शिव से अमरत्व के रहस्य को प्रकट करने के लिए कहा, जो वे उनसे लंबे समय से छुपा रहे थे। तो, यह रहस्य बताने के लिए भगवान शिव, पार्वती को हिमालय की इस गुफा में ले गए, ताकि उनका यह रहस्य कोई भी ना सुन पाए, और यहीं भगवान शिव ने देवी पार्वती को अमरत्व का रहस्य बताया।
अगर इस साल अमरनाथ यात्रा करना चाहते हैं, तो बता दें, साल 2018 के लिए पंजीकरण की तारीख का एलन किया जा चुका है।हर साल की तरह इस साल भी अमरनाथ की यात्रा 60 दिन के लिए निर्धारित है, जोकि 28 जून से लेकर 26 अगस्त तक चलेगी।
कब शुरू होगा पंजीकरण
साल 2018 की अमरनाथ यात्रा का पंजीकरण 1 मार्च से शुरू हो जायेगा।Pc: Nittin sain
उम्र
अमरनाथ की यात्रा के लिए 13 वर्ष से 74वर्ष की उम्र के लोग अपना पंजीकरण करा सकते हैं।Pc: Rutujrox
अमरनाथ गुफा जाने के दो रास्ते
अमरनाथ की पवित्र गुफा तक पहुंचने के लिये वैसे तो दो रास्ते हैं पहला है पहलगाम। यह रास्ता थोड़ा लंबा तो है लेकिन सुरक्षा की दृष्टि से ठीक माना जाता है। सरकार भी इसी रास्ते से अमरनाथ जाने के लिये लोगों को प्रेरित करती है। इसी रस्ते से जाते हुए कई दर्शनीय स्थल भी आते हैं अनंतनाग, चंदनवाड़ी, पिस्सु घाटी, शेषनाग, पंचतरणी आदि। ऑक्सीजन की कमी और ठंड कई बार यात्रियों के लिये परेशानी भी बन जाती है इसलिये यात्री सुरक्षा के तमाम इंतजाम साथ लेकर चलते हैं।Pc:Gktambe
पंचतरणी
अगला पड़ाव पंचतरणी है। पंचतरणी शेषनाग से आठ मील की दूरी पर है। पंचतरणी व शेषनाग के बीच में वेबवेल टॉप व महागुनास दर्रा है। महागुनास की चोटी तक चढाई है इसके बाद उतार है। यहाँ पांच सरिताए है जिससे इसका नाम पंचतरणी है। यहाँ आमतौर पर ऑक्सीजन की कमी होती है। यहाँ ठण्ड भी ज्यादा होती है। इसके लिए सुरक्षा के इंतजाम करने पड़ते है।Pc:Rushi Mehta
शेषनाग
अगला स्थान शेषनाग है। यह चंदनबाड़ी से 15 किलोमीटर की दुरी पर है। तीर्थयात्री दूसरी रात यहाँ बिताते है। यहाँ से पिस्सू घाटी दिखाई देती है। शेषनाग की चढाई खड़ी व खतरनाक है। कहा जाता है की शेषनाग नामक झील में शेषनाग का निवास है। जो 24 घंटे में एक बार दर्शन देते है। यह दर्शन किस्मत वालो को ही नसीब होते है।Pc:Nitin Badhwar
अमरनाथ की गुफा
पवित्र अमरनाथ की गुफा यहां से केवल आठ किलोमीटर दूर रह जाती है। रास्ते में बर्फ ही बर्फ जमी रहती है। इसी दिन गुफा के नज़दीक पहुंचकर लोग रात बिता सकते हैं और दूसरे दिन सुबह पूजा-अर्चना कर पंचतरणी लौटा जा सकता है। कुछ यात्री शाम तक शेषनाग वापस पहुंच जाते हैं। रास्ता काफी कठिन है, लेकिन पवित्र गुफा में पहुंचते ही सफ़र की सारी थकान पल भर में छू-मंतर हो जाती है और अद्भुत आत्मिक आनंद की अनुभूति होती है।Pc:Guptaele
बलटाल
दूसरा रस्ता सोनमर्ग बलटाल से होकर जाता है। यहां से जाने वाला रास्ता काफी जोखिम भरा माना जाता है इसलिये खतरों के खिलाड़ी ही इस रस्ते का रोमांच लेते हैं। यहां से जाने वाले यात्रियों की सुरक्षा का जिम्मा खुद यात्री ही उठाते हैं, सरकार किसी भी प्रकार की जिम्मेदारी नहीं लेती। हालांकि यहां से अमरनाथ गुफा में दर्शन करके सिर्फ एक दिन में ही वापस कैंप पर लौटा जा सकता है। पहलगाम और बलटाल तक जाने के लिये आपको सवारी भी आसानी से मिल जाती है।Pc: Spsarvana
पहलगाम
बाबा अमरनाथ ठहरने की व्यवस्था पहलगाम एक प्रसिद्ध पर्यटक स्थल है। जम्मू से इसकी दुरी 315 किलोमीटर है। पहलगाम में प्राइवेट संस्थाओ द्वारा लंगर की व्यवस्था की जाती है। तीर्थयात्री यहाँ से बाबा अमरनाथ के लिए पैदल यात्रा शुरू करते है। पहलगाम में ठहरने के लिए आपको धर्मशालाए मिल जाएगी। पहलगाम में कई प्राइवेट होटल भी है। इन होटलों में अलग अलग शुल्क पर अलग अलग सुविधा युक्त कमरे उपलब्ध रहते है। इनमे एडवांस बुकिंग की व्यवस्था भी रहती है। बस, ठहरने के लिए सही जगह चुने।
अमरनाथ यात्रा
अमरनाथ गुफा का सबसे पहले पता सोलहवीं शताब्दी के पूर्वाध में एक मुसलमान गड़ेरिए को चला था। आज भी चौथाई चढ़ावा मुसलमान गड़रिए के वंशजों को मिलता है।यह एक ऐसा तीर्थस्थल है, जहां फूल-माला बेचने वाले मुसलमान होते हैं। अमरनाथ गुफा एक नहीं है, बल्कि अमरावती नदी पर आगे बढ़ते समय और कई छोटी-बड़ी गुफाएं दिखती हैं। सभी बर्फ से ढकी हैं। मूल अमरनाथ से दूर गणेश, भैरव और पार्वती के वैसे ही अलग-अलग हिमखंड हैं।Pc:Gktambe