कर्नाटक स्थित बीजापुर, राज्य का एक प्राचीन शहर है, जो विजयपुर के नाम से भी संबोधित किया जाता है। यह शहर अपने ऐतिहासिक और सांस्कृतिक महत्व के लिए काफी ज्यादा प्रसिद्ध है, जहां आप अतीत से जुड़ी कई संरचनाओं को देख सकते हैं, जिनमें महल, किला, मंदिर, मस्जिद, विशाल प्रवेशद्वार आदि शामिल हैं। दक्षिण भारत के अतीत से जुड़े कई अहम पहलुओं को इस शहर के माध्यम से समझा जा सकता है।
पांच नदियों और विभिन्न संस्कृतियों वाले इस धरोहर स्थल का इतिहास कई सौ साल पुराना है, माना जाता इसे 10वीं से 11वीं शताब्दी के दौरान कल्याणी के चालुक्यों ने बसाया था। उस समय यह विजयपुर के नाम से जाना जाता था, यानी जीत का शहर। यह प्राचीन शहर चालुक्य के बाद यादव, दिल्ली सल्तनत के हाथों से गुजरता हुआ बहमनी के सुल्तान के अंतर्गत आ गया था। इसी दौरान यह शहर बीजापुर के नाम से विख्यात हुआ।
बहमनी के बाद यहां कई और शक्तिशाली साम्राज्यों ने शासन किया है। इस लेख में आज हम आपको बीजापुर के प्राचीन संग्रह में से एक किले के बारे में बताएंगे, जिसका नाम शहर के नाम पर ही पड़ा है, बीजापुर फोर्ट। जानिए पर्यटन के लिहाज से यह किला आपको किस प्रकार आनंदित कर सकता है।
बीजापुर का किला
PC- Cousens, Henry
बीजापुर का किला, बीजापुर की महत्वपूर्ण प्राचीन संरचानाओं में से एक है, जो यहां सबसे ज्यादा देखे जाने वाले स्थलों में गिना जाता है। बीजापुर किला, आदिल शाही राजवंश के शासन के दौरान बनाया गया था, जो उस दौरान बनाई गईं ऐतिहासिक स्मारकों की उत्कृष्ट वास्तुकला शैली को प्रदर्शित करता है। बीजापुर में लगभग 200 वर्षों तक शासन करने वाले आदिल शाही सुल्तानों ने वास्तुकला का काफी विस्तार किया था।
कहा जा सकता है कि प्रत्येक सुल्तानों ने इमारत बनवाने के मामले में अपने पूर्ववर्तियों से ज्यादा बढ़कर काम करने का प्रयास किया। बीजापुर और आसपास मौजूद खूबसूरत प्राचीन संरचनाों की वजह से इस शहर को दक्षिण का आगरा भी कहा जाता है।
संक्षिप्त इतिहास
बीजापुर फोर्ट, दुर्ग और अन्य संरनाएं मिलकर बीजापुर शहर के इतिहास का निर्माण करती है, जिसे 10वीं-11वीं के दौरान बसाया गया था। प्राचीन समय के दौरान यह प्राचीन स्थल विजयपुर के नाम से प्रसिद्ध था। बाद से इसका नाम बदलकर बीजापुर रख दिया गया। बीजापुर का किला यहां घटने वाली हर छोटी-बड़ी घटनाओं का प्रत्यक्षदर्शी रहा है, इसने यहां की राजवंशों को बसते और उजड़ते देखा है। शहर के इतिहास में यह एक महत्वपूर्ण भूमिका अदा करता है।
माना जाता है कि मुराद द्वितीय के बेट युशुफ आदिल शाह ने 1481 में सुल्तान मुहम्मद तृतीय के अंतर्गत सल्तनत के बीदर कोर्ट से जुड़े थे। वे महमूद गवन के द्वारा एक गुलाम के रूप में खरिदे गए थे। लेकिन बाद में उनके साहस और वफादारी की वजह से उन्हें बीजापुर का गवर्नर नियुक्त कर दिया गया था। उन्हीं ने अपने समय में इस किले का निर्माण करवाया था।
वास्तुकला
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माना जाता है कि आदिल शाह का कला और वास्तुकला में बहुत ज्यादा दिलचस्पी थी, इसलिए उन्होंने यहां बीजापुर फोर्ट, महल, मकबरा, उद्यान आदि का निर्माण करवाया। यहां आदिल शाह द्वारा बनवाए गए कई प्राचीन मंदिरों के अवशेषों को यहां देखा जा सकता है। इस किले का निर्माण आकर्षक वास्तुकला शैली में मजबूत दीवारों के साथ बनवाया गया था, ताकि युद्ध के समय दुश्मन इस किले को ज्यादा छतिग्रस्त न कर सकें।
किले का आंतरिक भाग काफी बड़ा है, जिसके अंदर की प्राचीन संरचनाएं मौजूद हैं। सुरक्षा के लिए किले की दीवारों में कई तरह के इंतजाम किए गए थे। दीवारों में तोपों के लिए अलग जगहें भी बनवाईं गई थीं। किल के पांच मुख्य द्वार ( मक्का गेट, साहपुर गेट, बहमनी गेट, अलाहपुर गेट, फतेह गेट) हैं, जो देखने में काफी आकर्षक नजर आते हैं।
आकर्षण
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बीजापुर किले के अलावा आप यहां की अन्य खूबसूरत प्राचीन संरचनाओं को भी देख सकते हैं। आप यहां खूबसूरत जामिया मस्जिद देख सकते हैं, जो जुम्मा मस्जिद के नाम से भी जानी जाती है। इस प्राचीन सरंचना का निर्माण 1565 में किया गया था, पर यह पूरी तरह बन नहीं पाई थी। आप यहां इब्राहिम रौजा मकबरा देख सकते हैं, जिसे अली रौजा के नाम से भी जाना जाता है।
यह इब्राहिम आदिल शाह द्वितीय और उनकी रानी ताज सुल्ताना का मकबरा है। इसके अलावा आप यहां मेहतर महल, मलिक-ए-मैदान, गगन महल, सात मंजिल, असर महल, ताज बावड़ी, गोल गुंबज, संगीत नारी महल आदि संरचनाओं को भी देख सकते हैं।
कैसे करें प्रवेश
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बीजापुर, कर्नाटक का एक प्रसिद्ध ऐतिहासिक शहर है, जहां आप परिवहन के तीनों साधनों की मदद से पहुंच सकते हैं, यहां का निकटवर्ती हवाईअड्डा बेलगाम एयरपोर्ट है, रेल मार्ग के लिए आप बीजापुर रेलवे स्टेशन का सहारा ले सकते हैं। अगर आप चाहें तो यहां सड़क मार्गों के द्वारा भी पहुंच सकते हैं, बेहतर सड़क मार्गों से बीजापुर राज्य के बड़े शहरों से अच्छी तरह जुड़ा हुआ है।