दक्षिण भारत का प्राचीन शहर तमिलनाडु कला-दर्शन के क्षेत्र में काफी ज्यादा विकसित रहा है। प्राचीन काल से लेकर अब तक ये राज्य अपनी सांस्कृतिक धरोहरों को संभालते आया है। पीढ़ियां बदलती गई लेकिन जो अमिट रही वह है तमिलनाडु की संस्कृति। यहां आयोजित होने वाले त्योहारों में लोक कला व मूल्यों को आसानी से देखा जा सकता है। तमिलनाडु को 'मंदिरों का राज्य' कहना गलत नहीं होगा। धार्मिक पर्यटन के मामले में यह शहर काफी ज्यादा आगे है।
आप यहां साल के हर महीने देश-विदेश के पर्यटकों को आते-जाते देख सकते हैं। इसी क्रम में आज हम आपको तमिलनाडु के एक ऐसे खास नगर के बारे में बताने जा रहे हैं जो अपने गौरवशाली इतिहास के साथ-साथ वर्तमान में अपने धार्मिक स्थलों के लिए ज्यादा जाना जाता है। उस नगर का नाम है 'कुंभकोणम' । जानिए इस शहर की खास विशेषताएं।
दक्षिण भारत का महत्वपूर्ण नगर
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कांचीपुरम की तरह ही तंजावुर जिले(तमिलनाडु) का कुंभकोणम अपने भव्य प्राचीन मंदिरों और मठों के लिए प्रसिद्ध है। यह मंदिरों का शहर तंजावुर से 40 किमी और चेन्नई से 273 किमी की दूरी पर स्थित है। कुंभकोणम नगर दो नदी कावेरी और अरासालर नदी के घिरा हुआ है। तमिलनाडु घूमने आए सैलानियों के बीच यह नगर काफी प्रसिद्ध है। आप यहां एक से बढ़कर एक हिन्दू मंदिरों को मठों को देख सकते हैं। मंदिरों की बनावट, वास्तुकला, व शिल्पकला देखते ही बनत है।
यहां 12 साल में एक बार आयोजित होने वाला महामहम त्योहार दूर-दराज के पर्यटकों का ध्यान खींचने का काम करता है। महामहम उत्तर भारत के कुंभ जैसा ही महत्व रखने वाला हिन्दुओं का त्याहोरा है। इस दौरान श्रद्धालु पवित्र महामहम कुंड में पवित्र डुबकी लगात हैं। आगे जानिए इस नगर से जुड़े और भी कई रोचक तथ्य ।
संक्षिप्त इतिहास
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इतिहास से जुड़े साक्ष्य बताते है कि कुंभकोणम का संबंध संगम काल से रहा है, जो दक्षिण महान हिन्दू राजवंशों जिनमें प्रारंभिक चोल, पल्लव, मध्ययुग के चोल, पाण्ड्य, विजयनगर, मदुरै नायक, तंजावुर नायक, आदि का शासन क्षेत्र रह चुका है। मध्ययुगीन चोल के अंतर्गत 7वीं से 9वीं शताब्दी के बीच एक महत्वपूर्ण शहर बनकर उभरा।
यहां तक की ब्रिटिश शासनकाल के अंतर्गत यह नगर अपने शीर्षबिंदु तक पहुंच गया था। अंग्रेजों के समय यह यूरोपीयन शिक्षा और हिन्दू संस्कृति के एक बड़े केंद्र के रूप में उभरा। इस नगर का महत्व इतना बढ़ गया कि इसे 'कैंब्रिज ऑफ साउथ इंडिया' तक कहा जाने लगा। 1866 में कुम्भकोणम को आधिकारिक तौर पर नगर पालिका के रूप में गठित कर दिया गया।
अद्भुत : केरल के इस मंदिर की रक्षा करता है एक शाकाहारी मगरमच्छ
मंदिरों का नगर- प्रसिद्ध मंदिर
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कुंभकोणम अपने हिन्दू मंदिरों और मठों के लिए जाना जाता है। कुंभकोणम की सीमा के अंतर्गत लगभग 188 मंदिर मौजूद हैं। इसके अलावा शहर के आसपास हजार से भी ज्यादा मंदिर मौजूद हैं। इसलिए कुंभकोणम को मंदिरों का नगर कहा जाता है। यहां स्थित आदि कुंबेश्वर मंदिर सबसे प्राचीन शैव मंदिरों में गिना जाता है। जिसका निर्माण चोल राजाओं के शासनकाल के दौरान 7वीं शताब्दी के दौरान किया गया था।
इसके अलावा यहां का नागेश्वर स्वामी मंदिर भी प्राचीन शिव मंदिरों में से एक है। यहां आदि कुंबेश्वर मंदिर, नागेश्वर स्वामी मंदिर और काशी विश्वनाथ मंदिर प्रसिद्ध शैव मंदिर माने जाते हैं। कुंभकोणम में कुछ ही मंदिर हैं जो भगवान ब्रह्मा को समर्पित हैं।
अन्य धार्मिक स्थान
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शैव मंदिरों के अलावा आपको कुंभकोणम में वैष्णव मंदिर भी देखने को मिलेंगे, जो भगवान विष्णु को समर्पित हैं। यहां का सरंगपानी मंदिर सबसे प्रसिद्ध वैष्णव मंदिरों में गिना जाता है। वर्तमान में इस मंदिर की12 मंजिला बड़ी इमारत है जिसका निर्माण नायक राजाओं के शासनकाल के दौरान 15वीं शताब्दी में हुआ था। इसके अलावा रामास्वामी मंदिर भी यहां देखने योग्य मंदिर है, जो रामायण काल की याद दिलाता है। मंदिर की वास्तुकला और संरचना देखने लायक है।
प्राचीन काल के दौरान बनाए गए दक्षिण भारतीय मंदिर अपनी सरंचनात्मक सौदर्यता के लिए काफी ज्यादा जाने जाते हैं। द्रविड़ शैली का सबसे बेहतर प्रयोग आप इन मंदिरों में देख सकते हैं।
कैसे करें प्रवेश
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कुंभकोणम तमिलनाडु का प्रसिद्ध नगर है, आप यहां तीनों मार्गों से पहुंच सकते हैं। यहां का नजदीकी हवाईअड्डा तिरुचिरापल्ली एयरपोर्ट है। रेल मार्ग के लिए आप कुंभकोणम रेलवे स्टेशन का सहारा ले सकते हैं। इसके अलावा आप कुंभकोणम सड़क मार्ग की मदद से भी पहुंच सकते हैं। बेहतर सड़क मार्गों से कुंभकोणम राज्य के मुख्य शहरों से अच्छी तरह जुड़ा हुआ है।