दिल्ली शहर में संस्कृति में विविधता देखने को मिलेगी। इस शहर की सुबह मंदिरों की घंटी और नमाज़ के साथ-साथ गुरुद्वारे की गुरबानी से होती है। देश की राजधानी दिल्ली में अनेक धर्मों के लोग रहते हैं। यहां हिंदू, मुसलमान, ईसाई, सिख और बौद्ध आदि धर्म के लोग रहते हैं।
स्मारकीय भारत: दिल्ली के अक्षरधाम मंदिर से जुड़ी 12 दिलचस्प बातें!
इस शहर में बड़े तीर्थस्थलों से लेकर छोटे मंदिर भी हैं। सफेद संगमरमर से बना बहाई मंदिर बेहद खूबसूरत है। दिल्ली के निजामुद्दीन मंदिर में कव्वाली और बंगला साहिब गुरुद्वारे में गुरबानी भी सुन सकते हैं। इसके अलावा अक्षरधाम मंदिर में लाइट और साउंड शो भी देख सकते हैं।
फतेहपुर सीकरी
सन् 1650 में मुगल बादशाह शाहजहां की फतेहपुरी बेगम के लिए इस बनवाया गया था। लाल बलुबा पत्थर से बनी यह एक मस्जिद है। इसे छोटे मीनारों से सजाया गया है। इस संरचना के तीन द्वार भी है जिसमें से एक लाल किले की ओर खुलता है। लाल किले को भी इसी दौरान बनाया गया था।
इसके पश्चिम छोर पर चांदनी चौक है। फतेहपुरी मस्जिद में मॉडर्न इस्लामिक जीवन की झलक देखने को मिलती है। पुरानी दिल्ली की व्यस्ततम सड़कों पर ये काफी शांत जगह है।
PC:Varun Shiv Kapur
सेंट्रल बैपटिस्ट चर्च
दक्षिण भारत में सबसे प्राचीन गिरजाघरों में से एक है साल 1814 में बना सेंट्रल बैपटिस्ट चर्च। इसे बैपटिस्ट मिशनरी सोसायटी द्वारा बनवाया गया था। इसे रोमन शैली में बनवाया गया है और इसी दीवारों पर उर्दू में शिलालेख लिए गए हैं। ये जगह इस क्षेत्र में रहने वाले लोगों की धर्मनिरपेक्ष भावना का खजाना है।PC:supreetsethi
दिगंबर जैन लाल मंदिर
चांदनी चौक की सबसे खास जगहों में से एक है दिगंबर जैन लाल मंदिर। लाल रंग का ये मंदिर सड़क पर चलने वाले हर व्यक्ति का स्वागत करता है। इस मंदिर के एक ओर बर्ड हॉस्पीटल और प्रसिद्ध गौरी शंकर मंदिर है। 1656 में शाहजहां द्वारा बनाए गए शहर शाहजहानाबाद की कहानी इस मंदिर से जुड़ी है।
कहा जाता है कि शाहजहां ने जैन और अग्रवाल समुदाय के लोगों से इस क्षेत्र में मंदिर बनवाने की गुजारिश की थी। वह मंदिर दिगंबर जैन लाल मंदिर है।PC:Art Poskanzer
कालकाजी मंदिर
कालका देवी को समर्पित कालकाजी मंदिर दक्षिण दिल्ली के लोगों के बीच आस्था का मुख्य केंद्र है। ये मंदिर बहाई मंदिर के नज़दीक है। इस मंदिर को जयंतो पीठ और मनोकामना सिद्ध पीठ के नाम से भी जाना जाता है।
मान्यता अनुसार इस मंदिर में स्थापित कालका की मूर्ति स्वयंभू है और से सतयुग में प्रकट हुई थी। जब रक्तबीज नामक राक्षस के वध के लिए कालका माई ने अवतार लिया था तभी इस मंदिर की नींव रखी गई थी।
आर.के पुरम श्री अयप्पा महाक्षेत्रम
केरल के अन्य अयप्पा मंदिरों की तरह इस मंदिर को भी भजन संगम के लिए बनाया गया था। इस मंदिर में भगवान अयप्पा की छोटी सी मूर्ति है। पहले ये मंदिर ज्यादा लेाकप्रिय नहीं था लेकिन अब आसपास के लोगों के बीच इस मंदिर के प्रति आस्था बढ़ गई है।
ये मंदिर भी केरल की स्थापत्यकला से मिलता है। इस मंदिर का निर्माण 1980 में पूर्ण हुआ था। शहर के श्रद्धालुओं को बड़ी संख्या में ये तीर्थ आकर्षित करता है।