फोर्ट कोच्चि, केरल के कोच्चि के अंतर्गत आने वाला एक छोटा सा गांव है जो मुख्यतः मछली पकड़ने के व्यवसाय के कारण जाना जाता है। ज्ञात हो कि ,कोच्चि के इस छोटे से गांव को यदि अलग अलग संस्कृतियों और सभ्यताओं का केंद्र बिंदु कहें तो कोई अतिश्योक्ति न होगी। ऐसा हम इसलिए कह रहे हैं क्योंकि जब आप फोर्ट कोच्चि आएँगे तो आपको मिलेगा कि यहां पुर्तगाली, यहूदी, ग्रीक, अरब और तिब्बती संस्कृतियों कि झलक देखने को मिलेगी। MUST READ : देवी के मासिक धर्म से लाल होता ब्रह्मपुत्र, तांत्रिक, बलि सच में, बड़ा विचित्र है कामाख्या देवी मंदिर
यहां का हर कोना अपने आप में ख़ास है जिसके मद्देनज़र यहां आने के बाद आपको ऐसा बहुत कुछ देखने को मिल जायगा जिसकी कल्पना आपने कभी नहीं करी होगी ।आने वाले पर्यटकों के लिए यहां बहुत कुछ है वे यदि चाहें तो यहां बीच पर आकर शोर मचाते समुन्द्र में उठती हुई लहरों को देख सकते हैं या फिर टहलते हुए शहर के वास्तु और उसकी खूबसूरती को अपने कैमरे में कैद कर सकते हैं।
इस जगह कि एक ख़ास बात ये भी है कि यहां की संस्कृति की जहलक आपको यहां के खाने में भी देखने को मिलेगी तो जब कभी भी आप यहां हों यहां का खाना एक बार अवश्य चखें। तो आइये आपको बताते हैं कि यदि आप फोर्ट कोच्चि में हों तो क्या क्या कर सकते हैं आप। क्या क्या देख सकते हैं आप।
सांता क्रूज़ कैथेड्रल
सांता क्रूज़ कैथेड्रल बेसिलिका कोच्चि आने वाले किसी भी पर्यटक के यात्रा कार्यक्रम में शामिल किया जाना चाहिए। यह कैथेड्रल फोर्ट कोच्चि में स्थित है और भारत के प्रथम चर्च में से एक है। इसका स्था देश के मौजूदा आठ बेसीलिकाओं में है। बेशक यह एक विरासत इमारत है और इसकी मौलिकता की रक्षा करने के लिए भारतीय पुरातत्व विभाग द्वारा इसकी बहुत अच्छे से देखभाल की गई है।
सेंट फ्रांसिस चर्च
सेंट फ्रांसिस चर्च भारत का पहला यूरोपियन चर्च है जिसका निर्माण 1503 में किया गया। कई हमलों और अनगिनत समझौतों के साक्षी इस चर्च को कोच्चि के सांस्कृतिक इतिहास में महत्वपूर्ण स्थान प्राप्त है। यह चर्च कोच्चि किले के बाजू में स्थित है। इस चर्च के साथ एक बहुत महत्वपूर्ण रोचक तथ्य यह जुड़ा हुआ है कि यह महान पुर्तगाली नाविक वास्को दा गामा से जुड़ा हुआ है। गामा जिनका निधन 16 वीं शताब्दी में हुआ था उन्हें सेंट फ्रांसिस चर्च में दफनाया गया। चौदह वषों के बाद उनके शव को लिस्बोन ले जाया गया।
डच कब्रिस्तान
सेंट फ्रांसिस चर्च से कुछ क़दमों की दूरी पर आप रू-ब-रू होंगे डच कब्रिस्तान से। इस डच कब्रिस्तान की सबसे बड़ी ख़ास बात ये है कि इसका शुमार देश के सबसे पुराने डच कब्रिस्तानों में होता है। जैसे ही आप इस कब्रिस्तान में प्रवेश करेंगे आपको यहां के स्तम्भों में डच वास्तु शैली में 1724 गुदा हुआ मिलेगा। ये पूरा परिसर आपको डच वास्तुकला से अवगत कराएगा। कई तथ्यों से पता चलता है कि यहां डच और ब्रिटिश दोनों लोगों को दफ़न किया गया है। यूं तो ये कब्रिस्तान बंद रहता है मगर फिर भी यदि आप यहां आना चाहें तो आप यहां आ सकते हैं।
बिशप हाउस
कोच्चि में बिशप हाउस एक छोटी सी पहाड़ी पर परेड ग्राउंड के पास स्थित है। बताया जाता है कि इस भवन का निर्माण 1506 में पुर्तगाली गवर्नर के रहने के लिए किया गया था और बाद में 1663 में इसपर डच शासकों ने अपना कब्ज़ा कर लिया। 1888 में कोच्चि के 27 वें बिशप डॉम जोस गोम्स फ्रेइरा ने इसे अपने कब्जे में ले लिया और अपना निवास बना लिया। ये एक बेहद खूबसूरत जगह है और जब भी पर्यटक कोच्चि आ रहे हैं तो उन्हें यहां अवश्य आना चाहिए।
भारतीय - पुर्तगाली संग्रहालय
जैसे ही आप बिशप हाउस से निकलेंगे आपको ये खूबसूरत और अपने में ख़ास भारतीय - पुर्तगाली संग्रहालय देखने को मिलेगा। हमारा सुझाव है कि आप इस संग्रहालय की यात्रा अवश्य करें। यह विभिन्न चर्चों से एकत्र विभिन्न कलाकृतियों को प्रदर्शित किया गया है। इस संग्रहालय को देखने के बाद आपको विश्वास हो जाएगा कि फोर्ट कोच्चि अपने में एक अद्भुत पुर्तगाली विरासत को संजोये हुए है। इस संग्रहालय को पांच पर्गों में बांटा गया है जो वेदी, खजाना, जुलूस, नागरिक जीवन और कैथेड्रल में विभाजित हैं।
फोर्ट कोच्चि बीच
कोच्चि बीच जिसे फोर्ट कोच्चि बीच के नाम से भी जाना जाता है, उत्कृष्ट रेतीले तटों का एक बीच है जो फुरसत के समय की गतिविधियों के लिए उपयुक्त है। कोच्चि के मुख्य सहश्र से लगभग 12 किमी. की दूरी पर स्थित इस बीच तक रास्ते द्वारा आसानी से पहुँचा जा सकता है। बीच और इसका शांत वातावरण इस स्थान की यात्रा करने वालों को फिर से युवा होने का अनुभव कराते हैं। बीच का प्रमुख आकर्षण किला है जो पास ही स्थित है। स्पष्ट रूप से एक बीते युग की भव्यता और भारतीय - यूरोपीय स्थापत्य शैली की महिमा प्रदर्शित करने वाला यह किला पर्यटकों को अपनी ओर आकर्षित करता है।
चीनी फिशिंग नेट
जैसा कि नाम से पता चलता है चीनी फिशिंग नेट का मूल उदभव चीन में हुआ। ये चीनी फिशिंग नेट भारत में कोच्चि में पहली बार चीनी यात्री ज़्हेंग हे द्वारा प्रयुक्त किये गए। पहली बार ये जाल चौदहवीं शताब्दी में कोच्चि बंदरगाह में स्थापित किये गए और तब से इनका उपयोग किया जा रहा है। इस जाल की विशेषता इस तथ्य में है कि इन्हें मध्य हवा में झूले की तरह छोड़ा जा सकता है। ये जाल खंभों से लटके होते हैं जो बाँस या सागौन की लकड़ी से बनाए जाते हैं। स्थानीय भाषा में इन फिशिंग नेट को चीनवाला कहा जाता है। चीनी नेट की मछली पकड़ने की पद्धति पारंपरिक पद्धति से बहुत अलग है। चीनी फिशिंग नेट को उठाने में कम से कम छह आदमियों की सहायता की आवश्यकता होती है।
प्रिंसेस स्ट्रीट
कोच्चि में ह्रदय में स्थित प्रिंसेस स्ट्रीट जगमगाते रास्तों का विस्तार है। यह सड़क यात्रियों को तत्कालीन बीते औपनिवेशिक काल की महिमा और भव्यता की याद दिलाती है। बड़े औपनिवेशिक बँगलों और ठेठ यूरोपियन शैली के साथ प्रिंसेस स्ट्रीट यूरोपियन बस्तियों के स्वभाव पर कब्ज़ा करने, पुन:बनाने और संरक्षित करने में सफल रही। सड़क पर इमारतों की स्थापत्य विविधता वास्तव में करामाती है और यात्री डच, ब्रिटिश, फ्रेंच और पुर्तगाली पैटर्न में बने हुए पुराने घर और और संरचनाएँ देख सकते हैं। दुकानों का भ्रमण करने के लिए यह एक आदर्श स्थान है। प्रिंसेस स्ट्रीट में खाने के कई स्थान और कॉफी की दुकानें हैं जहाँ यात्री कुछ खा सकते हैं और स्वयं को तरोताज़ा कर सकते हैं। सड़क पर दुकानों का लंबा विस्तार है जहाँ गहने, कपड़े, अलभ्य कलाकृति और हस्तशिल्प बेचा जाता है जो पर्यटकों को शॉपिंग का उत्कृष्ट अनुभव देता है।
मट्टनचेरी महल
मट्टनचेरी महल फोर्ट कोच्चि में स्थित है और यह डच महल के नाम से भी जाना जाता है। यह एक कलाकार को प्रसन्न कर देने वाला स्थान है क्योंकि यह उन विभिन्न संस्कृतियों का समृद्ध मिश्रण प्रस्तुत करता है जिन्होंने कोच्चि को अपना घर बनाया था। प्रतिवर्ष पर्यटक इस मध्युगीन आकर्षण की ओर आकर्षित होते हैं जिसका निर्माण पुर्तगालियों द्वारा ईसा पश्चात 1555 में वीर केरल वर्मा के लिए किया गया जो उस समय कोच्चि का शासक था। बाद में 1633 में डच लोगों द्वारा इस किले का विस्तार और पुन: निर्माण किया गया और इसलिए इसे डच महल नाम दिया गया।
परदेसी आराधनालय
परदेसी आराधनालय या यहूदी आराधनालय राष्ट्रमंडल राष्ट्रों का सबसे पुराना आराधनालय है। यह सबसे पुराना सक्रिय आराधनालय भी है। 1568 में मलाबार के यहूदियों द्वारा बनाये गए इस स्थान ने कई संकटों को झेला है। यह आराधनालय ज्यू शहर में स्थित है जो फोर्ट कोच्चि का एक भाग है। परदेसी आराधनालय में प्रसिद्द कानूनों की एक सूची है। यहाँ उपहार मे आए हुए स्वर्ण मुकुट, पीतल के सिंहासन और बेल्जियन कांच के झूमर(दीपवृक्ष) भी हैं। आगंतुक यहाँ तांबे की विशेषाधिकार वाली प्लेट देख सकते हैं जो जोसेफ़ रब्बान द्वारा प्राप्त की गई थी।
फ़ूड
आपको कोच्चि के स्थानीय खाने में कई संस्कृतियों जैसे डच, पुर्तगाली और केरल की झलक देखने को मिलेगी। केरल एक और शहरों की अपेक्षा आप को यहां खाना ज़रा मिलेगा। अगर आप यहां के खाने की शैली पर गौर करें तो आपको मिलेगा कि नारियल के तेल और स्थानीय मसालों के इस्तेमाल के बावजूद यहां खाना यूरोपियन शैली में बनाया जाता है।
शॉपिंग
यदि आप शॉपिंग के शौक़ीन हैं तो कोच्चि आपके ही लिए है और यहां बहुत कुछ है आपके लिए। यहां जहां एक तरफ आपको कई एक से एक शॉपिंग मॉल देखने को मिलेंगे तो वहीँ आप बेच के किनारे कई छोटी दुकानें भी देख सकते हैं। इन दुकानों पर आने से पहले हमारा आपको एक छोटा सा सुझाव है आप इन दुकानों पर तभी आएं जब आप मोल भाव कराने में माहिर हों।