भारत का उत्तर प्रदेश शहर एक बड़ी आबादी से साथ-साथ अपनी अनूठी सांस्कृतिक विरासत के लिए भी जाना जाता है। कभी युक्त प्रांत के नाम से प्रसिद्ध हुआ यह राज्य आज एक बड़े युवा तबके का प्रतिनिधित्व करता है। पौराणिक और धार्मिक दृष्टि से उत्तर प्रदेश भारत का एक महत्वपूर्ण राज्य है। ऐतिहासिक और धार्मिक पर्यटन के मामले में यह देश-विदेश के सैलानियों को अपनी ओर ज्यादा आकर्षित करता है।
काशी, अयोध्या, लखनऊ, आगरा, मथुरा आदि यहां के प्रसिद्ध पर्यटन नगर हैं, जहां विश्व भर के सैलानी आने की ख्वाहिश रखते हैं। पर इसके अलावा यूपी में और भी कई ऐसे छोटे शहर हैं जिनका इतिहास जितना रोचक है उसके कहीं ज्यादा दिलचस्प इनसे जुड़े धार्मिक पहलू हैं। आइए जानते हैं एक ऐसे ही नगर के बारे में जिसके बारे में शायद ही ज्यादा लोग जानते हों।
उत्तर प्रदेश का हरदोई
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उत्तर प्रदेश के अधिकांश छोटे-बड़े शहरों के पीछे दिलचस्प पौराणिक और धार्मिक कथाएं जुड़ी हैं। जो अब धीरे-धीरे ग्रामीण इलाकों तक सीमित रह गई हैं। लोक गीतों और लोक कथाओं में शहरों से जुड़ी कई किवदंतियों के बारे में पता चलता है। कुछ ऐसी ही धार्मिक किवंदती उत्तर प्रदेश के इस हरदोई नगर से जुड़ी हैं।
हरदोई को खास बनाता है इसका नाम, जिसके पीछे की कहानी शायद ही ज्यादा लोगों को पता हो। वैसे देखा जाए तो भारत में शहरों और राज्यों के नामकरण के पीछे कई अद्भुत कहानियां जुड़ी हुई हैं। आगे जानिए हरदोई के जुड़ी दिलचस्प बातें।
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भारत विष्णु से नफरत
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वर्तमान में उत्तर प्रदेश के इस नगर का नाम हरदोई है, लेकिन इसका प्राचीन नाम हरि - द्रोही था, यानी भगवान विष्णु से द्रोह करने वाला नगर। आप सोच रहे हैं होंगे कि यह निर्जीव नगर भला भगवान से द्रोह कैसे कर सकता है तो बता दें कि इसके पीछे भी एक बड़ी अनोखी धार्मिक कहानी जुड़ी है। माना जाता है इस नगर का संबंध भगवान विष्णु से नफरत करने वाले हिरण्यकश्यप से था, जो खुद को ब्रह्माण्ड का एकमात्र देवता समझता था।
लेकिन उसका पुत्र प्रहलाद भगवान विष्णु का सबसे बड़ा भक्त था, जिसकी भक्ति और प्रभु प्रेम को देखते हुए भगवान विष्णु ने प्रहलाद को दर्शन भी दिए थे।
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इस तरह बदल डाला नाम
माना जाता है कि हिरण्यकश्यप भगवान विष्णु से इतनी नफरत करता था कि उसने अपने नगर का नाम हरि-द्रोही घोषित कर दिया था। धार्मिक साक्ष्यों के अनुसार हिरण्यकश्यप की दूसरी पत्नी का जन्म स्थान हरदोई था। इनसे से ही प्रहलाद का जन्म हुआ था। माता खुद बड़ी विष्णुभक्त थी जिस वजह से उनकी छाप बेटे प्रहलाद पर भी पड़ी। लेकिन यह सब हिरण्यकश्यप को गवारा न था।
उसने अपने बेटे और पत्नी पर जुर्म किए यहां तक की बेटे प्रहलाद को मारने की कोशिश भी की लेकिन भगवान विष्णु से यह सब देखा न गया और क्रोध में आकर नरसिंह का अवतार धारण कर हिरण्यकश्यप की हत्या कर डाली। बाद में इस शहर का नाम हरिद्रोही से हटाकर हरदोई कर दिया गया।
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घूमने लायक जगहें
हरदोई एक धार्मिक नगरी हैं जहां आपको ढेरों हिन्दू मंदिर दिख जाएंगे। माँ कालीजी का मंदिर, श्री बाबा मंदिर यहां के प्रसिद्ध मंदिर हैं। इसके अलावा यहां प्रसिद्ध विशाल साईं बाबा का मंदिर भी है, जहां सुबह-शाम भक्तों की लंबी कतार लगती है।
अगर आप हरदोई आएं तो यहां के धार्मिक स्थानों की सैर जरूर करें। मंदिर से कुछ ही दूरी पर एक प्राचीन टीला मौजूद है जिसे हिरण्याकश्यप के महल का खंडित भाग माना जाता है।
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दिलेर शाह का मकबरा
धार्मिक स्थलों के अलावा हरदोई से 36 किमी की दूरी पर शाहाबाद में एक प्रसिद्ध दिलेर शाह का मकबरा है, जो इस पूरे इलाके का प्रसिद्ध दर्शनीय स्थल है। ऐतिहासिक साक्ष्यों के अनुसार दिलेर शाह शाहजहां का एक अफगान अधिकारी था, जिसे शाहजहांपुर में एक विद्रोह के संबंध में भेजा गया था।
दिलेर शाह के द्वारा ही यह मकबरा बनवाया गया था। हांलाकि वर्तमान में इस महल का अस्तित्व मिट चुका है बस कुछ अवशेष निशानी के तौर बचे हुए हैं। आप यहां दो भव्य प्रवेश द्वारों को देख सकते हैं।
कैसे करें प्रवेश
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आप हरदोई सड़क मार्ग द्वारा आसानी से पहुंच सकते हैं। राज्य के बड़े शहरों से हरदोई अच्छी तरह से जुड़ा हुआ है। रेल मार्ग के लिए आप हरदोई रेलवे स्टेशन का सहारा ले सकते हैं। आप लखनऊ के रास्ते यहां तक पहुंच सकते हैं, लखनऊ से यहां तक की दूरी मात्र 110 किमी की है। हवाई मार्ग के लिए आल लखनऊ हवाई अड्डे का सहारा ले सकते हैं।रहस्य : अतबक क्यों सबसे छुपी रहीं पीतलखोरा की गुफाएं