भारत की धार्मिक नगरी काशी में लगभग 84 घाट हैं, जिनमें चुनिंदा पांच पावन घाटों को पंचतीर्थों के एक सूत्र में पिरोया गया है। ये वो घाट हैं, जो पौराणिक काल से मनुष्यों को उनके पापों से मुक्त कर, जीवन जीने की नई दिशा धारा प्रदान करते आ रहे हैं। इन घाटों से होती हुई गंगा नदी के दिव्य स्पर्श का अनुभव पाने के लिए, देश-विदेश से श्रद्धालु भौगोलिक सीमा लांघ, खिंचे चले आते हैं। आज 'नेटिव प्लानेट' आपको पर्यटन व धार्मिक लिहाज से काशी के उन पंचतीर्थों के दर्शन कराने जा रहा है, जहां मां गंगा अपने पवित्र आंचल के साथ स्वयं विराजमान हैं।
विश्व प्रसिद्ध अस्सी घाट
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काशी के पांच तीर्थों में से एक, अस्सी घाट, बनारस घूमने आए देश-विदेश के पर्यटकों के मध्य मुख्य आकर्षक का केंद्र है। पौराणिक महत्व रखने वाले इस घाट का हिंदू धर्म में विशेष स्थान है। यह घाट शाम के वक्त होनी वाली गंगा आरती के लिए विश्व विख्यात है। यहां पर्यटकों को शाम की गंगा आरती का आनंद लेते हुए देखा जा सकता है। धार्मिक मान्यता के अनुसार इस घाट का नामकरण अस्सी नामक प्राचीन नदी का गंगा के साथ संगम के कारण हुआ। कहा जाता है इसी स्थल पर मां दुर्गा ने दुर्गाकुंड तट पर विश्राम किया था और अपनी तलवार यहीं छोड़ दी थी, जिस के गिरने से यहां असी नदी प्रकट हुई। इस घाट पर विशेषकर विदेशी पर्यटक ज्यादा आना पसंद करते हैं। धार्मिक पर्यटन में एक नया अध्याय जोड़ने के लिए आप इस घाट के दर्शन कर सकते हैं।
पावन तीर्थ, दशाश्वमेध घाट
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पंचतीर्थों के नाम से विख्यात काशी के पांच घाटों में दशाश्वमेध घाट का अपना विशेष स्थान है। अस्सी घाट के बाद पर्यटक इस घाट के दर्शन करने जरूर आते हैं। यह घाट गोदौलिया से गंगा जाने वाले मार्ग पर स्थित है। धार्मिक मान्यता के अनुसार राजा दिवोदास ने यहां दस अश्वमेध यज्ञ करवाए थे जिसके बाद इस स्थान को दशाश्वमेध घाट का नाम प्राप्त हुआ। काशी धार्मिक यात्रा पर निकले श्रद्धालु इस घाट के दर्शन जरूर करते हैं। अगर आप इस दौरान वाराणसी की यात्रा का प्लान कर रहे हैं तो इस घाट पर आना न भूलें।
महाश्मशान, मणिकर्णिका घाट
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बनारस के सभी गंगा घाट किसी न किसी धार्मिक मान्यता व कथाओं की माला से गूंथे गए हैं। अस्सी-दशाश्वमेध घाट की भांति इस घाट की भी अपनी ऐतिहासिक धार्मिक कहानी है। कहा जाता है एक बार माता पार्वती का कर्ण फूल यहां के कुंड में गिर गया था, जिसे ढूंढने का काम भगवान शिव ने किया। इस घटना के बाद, इस स्थल को मणिकर्णिका का नाम मिला। बता दें कि इस घाट को महाश्मशान भी कहा जाता है। जीवन के सबसे अंतिम पड़ाव के दौरान, मोक्ष प्राप्ति की लालसा लिए यहां व्यक्ति आने की कामना करते हैं।
प्रथम विष्णु तीर्थ आदिकेशव घाट
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काशी के प्रमुख पौराणिक मंदिरों में, अपनी दिव्य छवि के लिए प्रसिद्ध, आदिकेशव मंदिर, धार्मिक पर्यटकों के बीच, काफी प्रसिद्ध है। इस मंदिर की निर्माण कहानी, भगवान विष्णु के काशी आगमन से जुड़ी है। धार्मिक मान्यता के अनुसार, भगवान विष्णु यहां स्थित घाट पर सबसे पहले पधारे थे, जिसके बाद उन्होंने स्वयं अपनी प्रतिमा यहां स्थापित की। वर्तमान में यह स्थल आदिकेशव घाट के नाम से जाना जाता है। बता दें इस घाट को गंगावरूणा संगम घाट भी कहा जाता है, क्योंकि इसी स्थान पर दैविक नदी गंगा और वरूणा का मिलन होता है।
पंच नदियों का मिलन स्थल पंचगंगा घाट
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उपरोक्त घाटों के भ्रमण के बाद आप पंचगंगा घाट के दर्शन अवश्य करें। काशी के 84 घाटों में, इस घाट की भी गिनती, पंचतीर्थों में होती है। पौराणिक मान्यता के अनुसार इस घाट पर गंगा, यमुना, सरस्वती, किरण और धूतपापा नदी का मिलन होता है। इसी वजह से इस घाट को 'पंचगंगा' कहा गया है। इसी पावन घाट के सानिध्य में आकर संत कबीर ने गुरू रामानंद से दीक्षा प्राप्त की थी । पर्यटकों के लिए घाट के उपरी भाग की सीढ़ियां देखने लायक हो सकती हैं जो आज भी अपनी प्रारंभिक सरंचना के द्वारा घाट की सुंदरता पर चार-चांद लगा रही हैं।
अन्य घाट की सैर
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पंचतीर्थों के नाम से प्रसिद्ध इन घाटों के दर्शन के बाद आप चाहें तो काशी के अन्य घाटों की भी सैर कर सकते हैं। जिनमें हरिश्चंद्र घाट, केदार घाट, तुलसीघाट , राजेन्द्र घाट , चेतसिंह घाट के साथ राज घाट आपकी धार्मिक यात्रा डायरी के प्रमुख अंग बन सकते हैं। पंचतीर्थ घाटों की भांति इन घाटों का भी अपना अलग धार्मिक-सांस्कृतिक महत्व है। आप चाहें तो एक 1 हफ्ते का विराम लेकर इन गंगा घाटों के मनोरम दृश्यों का लुफ्त उठा सकते हैं। मानसिक व आत्मिक शांति के लिए इन घाटों से अच्छा स्थान और कोई नहीं हो सकता।
कैसे पहुंचे
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काशी के बढ़ते धार्मिक महत्व ने इस शहर को भारतीय पर्यटन के क्षेत्र में एक अगल पहचान दी है। इसलिए इस नगरी तक पहुंचना काफी सुविधाजनक हो गया है। यहां सैलानी हवाई मार्ग से लेकर रेल/सड़क मार्ग के द्वारा आसानी से पहुंच सकते हैं। लाल बहादुर शास्त्री हवाई अड्डा देश-विदेश के सैलानियों की सेवा में तत्पर खड़ा है। रेल मार्ग के लिए आप वाराणसी या मुगलसराय रेलवे स्टेशन का सहारा ले सकते हैं। इन दो स्टेशनों के सहारे आप भारत के किसी भी कोने तक आसानी से पहुंच सकते हैं। यहां से कई राज्यों के लिए डाइरेक्ट ट्रेन उपलब्ध हैं। कुछ राज्यों के लिए आपको ट्रेनें बदलनी पड़ सकती है।