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क्या आप जानते हैं हम्पी का संबंध रामायण काल से है... जानिए किस नाम से जाना जाता था ये शहर

कर्नाटक के हम्पी शहर के बारे में कहा जाता है कि इस शहर का नाता रामायण काल से भी है। उस समय इसे किष्किंधा के नाम से जाना जाता है।

हम्पी, कर्नाटक के सबसे प्रमुख शहरों में से एक है, जो पर्यटन के लिहाज से भी सबसे सुंदर जगहों में से एक है। यहां आपको कई प्राचीन मंदिर व ऐतिहासिक स्थल देखने को मिल जाएंगे, जो आपको इतिहास के पन्ने पलटने पर मजबूर कर देंगे। इतना ही नहीं, यहां के बारे में कहा जाता है कि इस शहर का नाता रामायण काल से है। उस समय, इस शहर को किष्किंधा के नाम से जाना जाता है। यही वो स्थान है, जहां हनुमान जी की भेंट सुग्रीव से हुई थी। वहीं, किष्किंधा जो पहले बाली और फिर सुग्रीव का राज्य था।

हम्पी को लेकर पौराणिक मान्यता

प्राचीन समय से ही यहां रामायण काल की कई स्मृतियों के होने का दावा किया जाता रहा है, जो यहां देखने को मिलता है। हम्पी नगर में एक अनेगोंडी (विजयनगर साम्राज्य की पहली राजधानी) नामक गांव है, जहां एक 'अंजनाद्रि' नाम का पर्वत है। 'अंजनाद्रि' नाम से कुछ आया, नहीं आया तो बता देते हैं...ये वही जगह है, जहां हनुमान जी का जन्म हुआ था। इस पर्वत के दर्शन के लिए कई भक्त आते हैं, जो पर्वत की चढ़ाई करते हैं और पर्वत पर स्थित माता अंजनी व हनुमान मंदिर और भगवान राम के मंदिर में मत्था टेकते हैं। इस पर्वत पर चढ़ाई करने के लिए कुल 575 सीढ़ियां है, जिसके लिए सुबह 08:00 बजे से चढ़ाई की जाती है।

hampi karnataka

हम्पी का इतिहास

14वीं शाताब्दी से लेकर 16वीं शाताब्दी तक (1343 - 1565 ईस्वी) हम्पी विजयनगर शहर का एक महत्वपूर्ण हिस्सा व राजधानी हुआ करता था, जो बाद में नष्ट हो गया था। इसे आज भी दक्षिण का 'मंदिरों का शहर' कहा जाता है। जहां करीब-करीब सब कुछ नष्ट हो गया है लेकिन इसकी ये शहर आज भी मौजूद है, जिसकी खूबसूरती और ऐतिहासिकता को देखने के लिए हर साल हजारों-लाखों पर्यटक जाते हैं।

तुंगभद्रा नदी (तुंगा नदी व भद्रा नदी का मिलन) के किनारे पर स्थित हम्पी तीनों ओर से पहाड़ियों और वनों से घिरा हुआ है, जो इस स्थान को काफी सुरक्षित बनाती है। यही कारण रहा है कि यह स्थान विभिन्न शासकों व साम्राज्यों के लिए प्राथमिकता बना रहा। हरिहर और बुक्का द्वारा 1336 ईस्वी में स्थापित विजयनगर साम्राज्य ने हम्पी पर 1565 ईस्वी तक शासन किया। इसके बाद दक्कन के मुस्लिम शासकों के अधीन हो गई थी और 6 महीनों के भीतर हम्पी में मुस्लिम शासकों द्वारा खूब लूटपाट की गई, जिसके चलते ही हम्पी धीरे-धीरे खंडहर बन गया।

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दुनिया का सबसे बड़ा ओपन-एयर संग्रहालय 'हम्पी'

इस ऐतिहासिक शहर को 'दुनिया का सबसे बड़ा ओपन-एयर संग्रहालय' भी माना जाता है, जो करीब 29 वर्ग किमी. में फैला हुआ है। कहा जाता है कि प्राचीन समय में इस शहर के लोग हीरे, मोती, घोड़े, रेशमी का व्यापार किया करते थे। इसका प्रमाण भी आपको हम्पी में देखने को मिलेगा। हम्पी की सैर करने पर आपको एक लाइन से दुकान की तरह बने हुए खंडहर दिखाई देंगे, जो करीब एक - दो किमी. की रेंज में फैले हैं, ये स्थान प्राचीन समय में आसपास के क्षेत्र का सबसे बड़ा बाजार (Hampi Market) माना जाता था।

इस शहर को लेकर फारसी राजदूत अब्दुल रजाक (15वीं शाताब्दी) ने कहा था कि हम्पी के बराबरी में दुनिया का कोई शहर नहीं है। इसकी बराबरी करने के लिए दुनिया में कुछ भी मौजूद नहीं है। वैसे तो लगभग ये पूरा शहर खंडहर ही है लेकिन इसे दो क्षेत्रों में विभाजित किया गया है- रॉयल सेंटर (महल, स्नानागार, मंडप, शाही अस्तबल और औपचारिक उपयोग के लिए मंदिर) और पवित्र केंद्र (तुंगभद्रा नदी के किनारे पर स्थित विरुपाक्ष मंदिर व हम्पी बाजार वाला इलाका)...।

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फोटोग्राफी के शौकिन के लिए बेस्ट डेस्टिनेशन है हम्पी

इस शहर को लेकर कहा जाता है कि इस स्थान पर आप जितनी बार जाएंगे, आपको कुछ न कुछ नया ही मिलेगा। वैसे तो यहां घूमने के लिए एक हफ्ता भी कम है लेकिन अगर आपके पास समय की कमी है तो आप इसे दो दिन में कवर कर सकते हैं। पहले दिन आप 'रॉयल सेंटर' वाले क्षेत्र की सैर कर लें और दूसरे दिन 'पवित्र केंद्र' वाले इलाके की...। वैसे अगर आप फोटोग्राफी के शौकिन हैं तो हम्पी से बेहतर स्थान आपको कोई और नहीं मिल सकता। यहां सैकड़ों मंदिर, महल व ऐतिहासिक स्थल है, जो आज भी चींख-चींखकर अपने इतिहास के बारे में बताते हैं।

हम्पी के प्रसिद्ध त्योहार

ह्म्पी अपने इतिहास के लिए तो जाना ही जाता है लेकिन ये शहर अपने यहां मनाए जाने वाले पर्व के लिए भी जाना जाता है। राज्य सरकार की ओर विजयनगर साम्राज्य की भव्यता को फिर से जागृत करने के लिए हम्पी उत्सव (Hampi Festival) का आयोजन करती है। कहा जाता है कि यह पर्व विजयनगर साम्राज्य के समय से ही मनाया जा रहा है। इस दौरान हाथियों का जुलूस निकाला जाता है, पतंग उत्सव मनाया जाता है। इसके अलावा गीत-संगीत के कार्यक्रम, गायकों, नर्तकियों और कलाकारों द्वारा प्रदर्शन, फूड कोर्ट, फोटोग्राफी प्रतियोगिता व रंगोली/मेहंदी प्रतियोगिता आदि शामिल हैं। यह पर्व अक्टूबर या नवम्बर महीने में तीन दिनों के लिए आयोजित की जाती है।

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यहां का दूसरा प्रसिद्ध फेस्टिवल है- किन्हाल वुड कार्विंग...। देखा जाए तो प्राचीन समय में विजयनगर साम्राज्य के समय से ही यह फेस्टिवल चला आ रहा है। उस समय से लकड़ी के नक्काशीदार हिस्सों को चिपकाने के लिए इमली के बीज और कंकड़ के पेस्ट का उपयोग किया जाता है। मूर्तियां तैयार होने के बाद कंकड़ पाउडर और तरल गोंद के मिश्रण का उपयोग कर इन्हें तराशने का काम किया जाता था, जो आज तक चला आ रहा है और इसे एक पर्व की तरह मनाया जाता है।

हम्पी को लेकर महत्वपूर्ण तथ्य

  • तुंगभद्रा नदी के तट पर स्थित हम्पी अपने प्राचीन नक्काशीदार मंदिरों, किलों और ऐतिहासिक स्मारकों के कारण यूनेस्को विश्व धरोहर स्थल (1986 ईस्वी) भी है।
  • 1500 ईस्वी में हम्पी विजयनगर साम्राज्य की राजधानी हुआ करती थी, जो उस समय दुनिया का दूसरा सबसे बड़ा शहर था।
  • 16वीं शाताब्दी के अंत तक यह पूरा शहर खंडहर के रूप में तब्दील हो गया, जिसे आज भी देखा जा सकता है।
  • हम्पी को एक रहस्यमई स्थान के रूप में जाना जाता है। ये पूरा शहर खंडहर व शिलाखंडों से घिरा हुआ है, जिसे देखने के लिए लोग इनके ऊपर भी चढ़ाई करते हैं।

हम्पी में घूमने के लिए अच्छी जगहें - BEST PLACES TO VISIT IN HAMPI

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