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कभी दक्कन के नाम से फेमस निजामों के हैदराबाद में क्या क्या ख़ास है एक ट्रैवलर के लिए

By Syedbelal

भारत का शुमार विश्व के उन देशों में है जहां साल भर घूमने फिरने का दौर चला करता है। हमारे देश का शुमार विश्व के उन मुल्कों में हैं जहां और देशों के अनुपात में अधिक विदेशी पर्यटक आते हैं। बात जब भारत में पर्यटन की हो और ऐसे में हम दक्षिण भारत पर बात न करें तो बात अधूरी रह जाती है। इसी क्रम में आज हम आपको अवगत कराएंगे हैदराबाद से। दक्षिण भारत का एक बहुचर्चित पर्यटन स्थल हैदराबाद, वर्तमान आंध्र प्रदेश और तेलेंगाना की संयुक्त राजधानी है।

इस बेपनाह सुन्दर शहर की स्थापना कुतुब शाही वंश के शासक मोहम्मद कुली कुतुब शाही ने 1591 में की थी। मूसी नदी के किनारे पर बसा यह एक खूबसूरत शहर है। ज्ञात हो कि, हैदराबाद की भौगोलिक स्थिति काफी दिलचस्प है। यह उस स्थान पर स्थित है जहां पर उत्तर भारत खत्म होता है और दक्षिण भारत शुरू होता है। यही वजह है कि यहां दो संस्कृतियों का संगम देखने को मिलता है।

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प्रचीन समय से ही हैदराबाद कला, साहित्य और संगीत का केन्द्र रहा है।यदि बात पर्यटन की हो तो हैदराबाद में घूमने लायक कई स्थान है और यह पर्यटकों के साथ-साथ इतिहासकारों के बीच भी काफी लोकप्रिय है। हैदराबाद और आसपास के कुछ महत्वपूर्ण पर्यटन स्थलों में चारमीनार, गोलकुंडा किला, सलार जंग संग्रहालय और हुसैन सागर झील शामिल है।

तो अब देर किस बात की आइये जानें कि अपनी हैदराबाद यात्रा पर क्या क्या आपको अवश्य देखना चाहिए।

बिड़ला मंदिर

बिड़ला मंदिर

बिड़ला मंदिर हैदराबाद के बिड़ला तारामंडल के पास है। यह मंदिर नौबाथ पहाड़ पर बना है और हिंदूओं, खासकर भगवान वेंकटेश्वर के भक्तों के बीच काफी पूजनीय है। इस मंदिर को बनने में 10 साल का समय लगा था और यह रामकृष्ण मिशन के स्वमी रंगनाथनंद द्वारा अधिकृत था।इस मंदिर की खासियत यह है कि इसे सिर्फ सफेद संगमरमर से बना था, जिसे विशेष रूप से राजस्थान से लाया गया था। इस मंदिर की ख़ास बात ये है कि यहां कोई घंटी नहीं है।

चारमीनार

चारमीनार

हैदराबाद की खास पहचान माने जाने वाले चारमीनार को मोहम्मद कुली कुतुब शाही ने 1591 में बनवाया था। आज इस ऐतिहासिक इमारत ने पूरे विश्व में चर्चा हासिल की है। जैसा कि नाम से ही स्पष्ट है कि चार मीनार का शाब्दिक अर्थ होता है- चार टॉवर। यह भव्य इमारत प्रचीन काल की उत्कृष्ट वास्तुशिल्प का बेहतरीन नमूना है। इस टॉवर में चार चमक-दमक वाली मीनारें हैं, जो कि चार मेहराब से जुड़ी हुई हैं। मेहराब मीनार को सहारा भी देता है।

फलकनुमा महल

फलकनुमा महल

फलकनुमा महल की डिजाइन एक अंग्रेज वास्तुकार ने तैयार की थी और इसका निर्माण कार्य 1884 में शुरू हुआ था। पहले इस महल का संबंध हैदराबाद के तत्कालीन प्रधानमंत्री विकार उल उमरा से था। बाद में इस महल को निजामों को दे दिया गया। इस महल का नामकरण उर्दू के एक शब्द पर किया गया है जिसका अर्थ होता है आकाश का प्रतिबिंब। फलकनुमा महल चारमिनार से 5 किमी दूर है और सड़क मार्ग से आसानी से पहुंचा जा सकता है।

गोलकुंडा किला

गोलकुंडा किला

गोलकुंडा किला हैदराबाद से सिर्फ 11 किमी दूर है। 15वीं शताब्दी में गोलकुंडा चकाचौंध भरी जिंदगी जी रहा था। हालांकि अब यहां सिर्फ गौरवशाली अतीत के खंडहर ही देखने को मिलते हैं। इस किले को कुतुब शाही वंश के शासकों ने बनवाया था, जिन्होंने यहां 1512 से शासन किया। किले में सबसे ज्यादा योगदान इब्राहिम कुली कुतुब शाह वली ने दिया। इस किले को उत्तरी छोर से मुगलों के आक्रमण से बचने के लिए बनाया गया था।

हुसैन सागर झील

हुसैन सागर झील

हैदराबाद के भूगोल और इतिहास में हुसैन सागर झील का विशेष महत्व है। इस मानव निर्मित झील को हजरत हुसैन शाह वली ने 1562 में बनवाया था। यह झील मूसी नदी की एक सहायक नदी पर बनी है। इस झील को बनाने का मूल उद्देश्य शहर को सिंचाई के लिए पानी उपलब्ध कराना था। इस झील की खासियत यह है कि यहां वर्ष भर पानी रहता है और साथ ही यह हैदराबाद और सिकंदराबाद को जोड़ने का भी काम करती है। झील के चारों ओर प्रसिद्ध नेकलेस रोड है जो रात में किसी हार में लगे हीरे की तरह चमचमाता है।

हैदराबाद बॉटनिकल गार्डन

हैदराबाद बॉटनिकल गार्डन

हैदराबाद बॉटनिकल गार्डन को कोटला विजयभास्कर रेड्डी बॉटनिकल गार्डन भी कहा जाता है। यह स्थानीय लोगों के साथ-साथ पर्यटकों के बीच भी काफी चर्चित है। हैदराबाद-मुंबई हाइवे पर यह गार्डन हाईटेक सिटी के पास स्थित है और हैदराबाद रेलवे स्टेशन से सिर्फ 16 किमी दूर है। आधुनिक तकनीक और उपकरणों से लैश इस गार्डन को बनाने का मुख्य उद्देश्य जर्म प्लाज्म का संरक्षण और विकास था। गार्डन को बनाने का एक और उद्देश्य लोगों को प्रकृति के बारे में जागरुक करना और शहर के लोगों को जीवजंतु और पेड़-पौधों के संरक्षण के लिए प्रेरित करना भी था।

लुंबनी पार्क

लुंबनी पार्क

हैदराबाद का लुंबनी पार्क हुसैन सागर झील के ठीक बगल में स्थित है। शहर के बीच में होने और दूसरे पर्यटन स्थलों से नजदीकी के कारण यह हैदराबाद का एक चर्चित आकर्षण है। वैसे तो इस पार्क का निर्माण 1994 में किया गया था, पर उसके बाद से इसे हर आयु वर्ग के बीच लोकप्रिय बनाने के लिए इसका कई बार नवीनीकरण किया गया।

मृगवानी नेशनल पार्क

मृगवानी नेशनल पार्क

चिलकुर स्थित मृगवानी नेशनल पार्क हैदराबाद से 25 किमी दूर है। इसकी खासियत यह है कि यहां बड़ी संख्या में जीव-जंतु और पेड़-पौधे पाए जाते हैं, जिससे हजारों की संख्या में पर्यटक यहां आते हैं। इस पार्क में सिर्फ 600 तरह के पौधे हैं। साथ ही आप पार्क में बांस, पलास, चंदन, सागौन, पीकस और रेला के वृक्षों को भी देख सकते हैं।

नेहरू जूलॉ​जीकल पार्क

नेहरू जूलॉ​जीकल पार्क

हैदराबाद में मीर आलम तालाब के पास बना नेहरू जूलॉजीकल पार्क शहर का एक चर्चित आकर्षण है। देखा जाए तो इस जू का शुमार हैदराबाद के तीन सर्वाधिक चर्चित पर्यटन स्थलों में होता है। पार्क को बनाने की मान्यता 1959 में मिली थी और 1963 में इसे आम लोगों के लिए खोल दिया गया था।

उसमान सागर झील,

उसमान सागर झील,

स्थानीय लोगों द्वारा उसमान सागर झील को गांदीपेट कहा जाता है। हुसैन सागर की तरह ही यह भी एक मानवनिर्मित झील है। इसे मूसी नदी पर बनाए जा रहे एक बांध के निर्माण के दौरान बनवाया गया था। इस झील को 1920 में बनवाया गया था और तब से लेकर आज तक यह हैदराबाद और आसपास के गांवों को पीने का पानी मुहैय्या कराता रहा है।

रामोजी फिल्म सिटी

रामोजी फिल्म सिटी

रामोजी फिल्म सिटी हैदराबाद के बाहरी क्षेत्र मे स्थित है। यहां सिर्फ फिल्म और सीरियल्स की शूटिंग ही नहीं होती है, बल्कि यह पिकनिक मनाने, थीम आधारित पार्टी, कार्पोरेट इवेंट, भव्य विवाह, ऐडवेंचर कैंप, कांफ्रेंस और हनीमून के लिए भी आदर्श स्थान है। रामोजी फिल्म सिटी में विश्व का सबसे बड़ा स्टूडियो है और यह गिनिज बुक ऑफ वर्ल्ड रिकॉर्डस में भी दर्ज है। रामोजी फिल्म सिटी फिल्म निर्माण की सभी नवीन तकनीकों और उपकरणों से लैस है।

सलारजंग संग्रहालय

सलारजंग संग्रहालय

सलारजंग संग्रहालय एक चर्चित म्यूजियम है, जहां हैदराबाद के समृद्ध और गौरवशाली इतिहास को प्रदर्शित किया जाता है। देश के तीन राष्ट्रीय संग्रहालय में से सलारजंग संग्रहालय भी एक है, जिससे इसका महत्व और भी बढ़ जाता है। यहां पेरिस, जापान, यूरोप, उत्तरी अमेरिका, चीन, नेपाल, बर्मा, मिस्र और भारत के विभिन्न हिस्सों से एकत्रित की विशाल संख्या में चीजें रखी गई हैं। संग्रहालय में कार्पेट, फर्नीचर, मूर्ति, पेंटिंग्स, पांडुलिपि, मृत्कला, टेक्सटाइल, घड़ी और धातु की अन्य चीजें रखी गई हैं।

शिल्परमम

शिल्परमम

माधापुर में हाईटेक सिटी के पास स्थित शिल्परमम एक जाना माना कला और शिल्प का गांव है। हैदराबाद से 20 किमी दूर बसा यह गांव पूरी तरह से कला और शिल्प को समर्पित है, जिससे यह न सिर्फ आंध्र प्रदेश में बल्कि पूरे देश में जाना जाता है। इस गांव को बसाने का उद्देश्य भारत की परंपरागत शिल्प को संरक्षण प्रदान करना था। इस बात को ध्यान में रखते हुए शिल्परमम में पूरे साल उत्सवों का आयोजन किया जाता है।

निजाम संग्रहालय

निजाम संग्रहालय

हैदराबाद आने वाले पर्यटकों की सूचि में निजाम संग्रहालय का नाम जरूर होता है। यह संग्रहालय निजाम के महल का हिस्सा है और यहां पेटिंग, ज्वेलरी, गिफ्ट, हथियार और प्रचीन कार सहित ऐतिहासिक महत्व की कई चीजें रखी गई हैं। यहां प्रदर्शनी के लिए रखी गई ज्यादातर चीजें मूल रूप से निजामों को मिले उपहार हैं। साथ ही कालांतर में उनके द्वारा एकत्रित की गई निशानियों को भी यहां रखा गया है।

चौमहला महल

चौमहला महल

चौमहला महल का संबंध हैदराबाद के निजाम से है और यह आसिफ जाही का आधिकारिक निवास स्थान था। इस महल का नाम फारसी शब्द चहार और महालात पर पड़ा है, जिसका अर्थ होता है चार महलें। यह महल ईरान के शाह महलों की तर्ज पर बनाया गया है। इसका निर्माण कार्य 18वीं शताब्दी में शुरू हुआ था और इसे बनाने में करीब 10 साल का समय लगा। इसी लिए इस महल के वास्तुशिल्प और डिजाइन में कई शैली का प्रभाव नजर आता है।

दुर्गम चेरुवू

दुर्गम चेरुवू

हैदराबाद के पास रंगरेड्डी जिले में स्थित दुर्गम चेरुवू एक ताजे पानी का झील है। इसी गुप्त झील भी कहते हैं, क्योंकि यह जुबली हिल्स और माधापुर क्षेत्र में काफी छुपा हुआ है। हैदराबाद के लोगों में इस झील का ऐतिहासिक महत्व है क्योंकि कुतुब शाही वंश के दौरान गोलकुंडा किले के आसपास रहने वाले लोगों को इस झील के जरिए पीने का पानी उपलब्ध होता था। साथ ही किसान झील के पानी का इस्तेमाल सिंचाई के उद्देश्य से करते थे।

हयात बख्शी बेगम मस्जिद

हयात बख्शी बेगम मस्जिद

हयात बख्शी बेगम मस्जिद को हयात बख्शी मस्जिद के नाम से भी जाना जाता है। हैदराबाद के मुसलमानों में इस मस्जिद का विशेष धार्मिक महत्व है। इस मस्जिद के निर्माण का काम गोलकुंडा के पांचवें सुल्तान अब्दुल्ला कुतुब शाह के शासन काल में शुरू किया गया था और यह 1672 में बनकर तैयार हुआ था। कुतुब शाही परिवार के अन्य निर्माणों की तरह ही इस मस्जिद का निर्माण भी कुतुब शाही शैली में कया गया है।

केबीआर नेशनल पार्क

केबीआर नेशनल पार्क

केसु ब्रह्मानंद रेड्डी (केबीआर) नेशनल पार्क हैदराबाद के जुबली हिल्स क्षेत्र में स्थित है। पार्क के परिसर में चिरन महल है, जिसका संबंध राजकुमार मुकर्रम जाह से है। इस महल के साथ आसपास के क्षेत्र को 1998 में नेशनल पार्क का दर्जा दे दिया गया। इस क्षेत्र का भी नाम बदल दिया गया, हालांकि महल का नाम आज भी वही है।

महावीर हरिना वनस्थली नेशनल पार्क

महावीर हरिना वनस्थली नेशनल पार्क

महावीर हरिना वनस्थली नेशनल पार्क हैदराबाद के निकट वनस्थली में स्थित है। हैदराबाद से विजयवाड़ा रोड के जरिए यहां असानी से पहुंचा जा सकता है। वैसे तो यह एक हिरन पार्क है, फिर भी आप यहां कई तरह के वन्यजीवों को देख सकते हैं। पुराने समय में यह पार्क निजामों के लिए शिकार का मैदान हुआ करता था। भारत की आजादी के बाद इसे नेशनल पार्क में बदल दिया गया। शिकार के मैदान को पार्क बनाने का उद्देश्य वन्यजीव और पेड़ पौधों का संरक्षण था। हिरन के अलावा यहां कृष्णमृग और साही भी देखे जा सकते हैं।

मक्का मस्जिद

मक्का मस्जिद

मक्का मस्जिद हैदराबाद का न सिर्फ सबसे पुराना मस्जिद है, बल्कि यह देश का सबसे बड़ा मस्जिद भी है। मुस्लिमों के बीच इसका विशेष धार्मिक महत्व होने के साथ-साथ इसका ऐतिहासिक महत्व भी है और यह राज्य सरकार द्वारा संरक्षित एक धरोहर स्थल भी है। चूंकि मक्का मस्जिद चारमीनार और चौमहला महल जैसी ऐतिहासिक इमारत के पास है, इससे एक पर्यटन स्थल के रूप में इन्होंने काफी चर्चा हासिल की है। मोहम्मद कुली कुतुब शाह ने 16वीं शताब्दी में इस मस्जिद का निर्माण कार्य शुरू किया था।

पैगाह मकबरा

पैगाह मकबरा

पैगाह मकबरा का संबंध पैगाह के शाही परिवार से है, जिसे शम्स उल उमराही परिवार के नाम से भी जाना जाता है। हैदराबाद के उपनगर पीसाल बंदा में स्थित इस मकबरे को मकबरा शम्स उल उमरा के नाम से भी जाना जाता है। इस मकबरे के निर्माण का काम 1787 में नवाब तेगजंग बहादुर ने शुरू करवाया था और फिर बाद में इसके निर्माण कार्य में उनके बेटे आमिर ए कबीर प्रथम ने हाथ बंटाया। इस ऐतिहासिक मकबरे में पैगाह की कई पीढ़ियों को दफनाया गया है। यह अपनी वास्तुशिल्पीय बनावट के लिए भी जाना जाता है। ऐसा माना जाता है कि मकबरे की वास्तुशिल्प शैली पूरे विश्व में बेजोड़ है। मकबरे को संगमरमर के चूने से सजाया गया है और इसमें ग्रीक, पर्सियन, मुगल, राजस्थानी, असिफ जाही और दक्कनी वास्तुशिल्प का मिश्रण देखने को मिलता है। देखा जाए तो यह मकबरा शिल्पकारिता का एक बेहतरीन नमूना है। इसमें बाद में लगाए गए संगमरमर से इसकी खूबसूरती और भी बढ़ जाती है।

रेमंड का मकबरा

रेमंड का मकबरा

रेमंड का मकबरा में निजामों की सेना में फ्रांस के सेनापति माईकल जाओचिम मारी रेमंड को दफनाया गया था। यह मकबरा करीब 200 साल पुराना है और यहां एक समय यहां बड़ी संख्या में स्थानीय लोग आते थे और मकबरे पर फूल चढ़ाते थे। वास्तव में निजाम भी हर साल 25 मार्च को मकबरे के लिए सिगार का बक्सा और मदिरा की बोतल भेजते थे। 1940 तक स्थानीय लोगों में इस मकबरे का महत्व किसी तीर्थस्थल के रूप में था। रेमंड निजामों की सेना का प्रिय सेनिक था और स्थानीय लोग उन्हें उनकी बहादुरी के लिए जानते थे। निजाम रेमंड का काफी सम्मान करते थे और हैदराबाद में उनके नाम पर एक पहाड़ी भी है।

शामीरपेट

शामीरपेट

हैदराबाद के बाहरी इलाके में बसा शामीरपेट एक उपनगर है जो कि सिकंदराबाद से 20 किमी दूर है। यह जगह बिड़ला इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी एंड साइंस, पिलानी हैदराबाद, नलसर यूनिवर्सिटी ऑफ लॉ और जेनोम वेली के लिए जाना जाता है। प्रसिद्ध शामीरपेट झील भी इसी जिले में स्थित है। यह एक मानवनिर्मित झील है, जिसे निजामों के शासनकाल में बनवाया गया था। स्थानीय लोगों के लिए यह एक चर्चित स्थान है। झील के आसपास आप कई परिवारों और स्कूल कॉलेज के समूह को पिकनिक मनाते देख सकते हैं।

स्पेनिश मस्जिद

स्पेनिश मस्जिद

हैदराबाद का स्पेनिश मस्जिद अपने तरह का एकमात्र मस्जिद है। स्थानीय लोग इसे एवान-ए-बेगमपेट और मस्जिद इकबाल उद दौला भी कहते हैं। एक बार पैगाह नवाब इकबाल उद दौला स्पेन यात्रा पर गए थे। वहां के कोरडोबा स्थित कैथिडरल मस्जिद के वास्तुशिल्प से वह काफी प्रभावित हो गए। स्पेन से वापस आने पर उन्होंने 1906 में स्पेनिस मस्जिद बनवाने का काम शुरू किया। इसे पूरी तरह से कैथिडरल मस्जिद की तर्ज पर ही बनवाया गया था।

तारामती बारादारी

तारामती बारादारी

तारामती बारादारी एक सराय था, जिसे गोलकुंडा के सातवें सुल्तान अब्दुल्ला कुतुब शाह ने बनावाया था। यह सराय इब्राहिम कुली कुतुब शाह द्वारा बनवाए गए इब्राहिम बाग के परिसर में स्थित था। बारादारी को मूसी नदी के किनारे बनाया गया था, ताकि शहर के इस हिस्से में आने वाले पर्यटक यहां आराम कर सके। पौराणिक कथाओं की माने तो बारादारी को तारामती और उनकी बहन प्रेमामती के सम्मान में बनवाया गया था।

कैसे जाएं हैदराबाद

कैसे जाएं हैदराबाद

फ्लाइट द्वारा - हैदराबाद एयरपोर्ट से नियमित अंतराल पर राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय उड़ानें मिलती हैं। हैदराबाद में दो एयरपोर्ट है। राजीव गांधी टर्मिनल से जहां अंतरराष्ट्रीय उड़ानें मिलती हैं, वहीं एनटी रामा राव टर्मिनल से घरेलू उड़ानें संचालित होती हैं। बेहतर होगा कि आप एयर टिकट पहले ही बुक करा लें।

रेल द्वारा - दक्षिण रेलवे हैदराबाद को देश के विभिन्न हिस्सों से जोड़ता है। दक्षिण रेलवे का मुख्यालय सिकंदराबाद में है। शहर के मुख्य रेलवे स्टेशन सिकंदराबाद से ढेरों ट्रेनें आती और जाती हैं।

सड़क मार्ग द्वारा - आंध्र प्रदेश राज्य सड़क परिवहन निगम के जरिए हैदराबाद राज्य के विभिन्न शहरों और पड़ोसी राज्यों से भी जुड़ा हुआ है। बसें काफी आरामदायक होती हैं और किराया भी ज्यादा नहीं होता है। प्राइवेट टूर एंड ट्रेवल कंपनियां भी टैक्सी सेवा उपलब्ध कराती है।

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