
आंध्र प्रदेश की तिरुमाला पहाड़ियों पर स्थित तिरुपति बालाजी मंदिर दुनिया के सबसे प्रसिद्ध धार्मिक स्थलों में से एक है। आपको जानकर आश्रर्च होगा कि यह मंदिर विश्व का सबसे अमीर मंदिर है। राज्य के चित्तूर जिले में स्थित यह तिरुपति बालाजी रोजाना बेहिसाब चढ़ावा ग्रहण करता है। इस मंदिर को श्री वेंकटेश्वर स्वामी मंदिर के नाम से भी जाना जाता है। एक रिपोर्ट के अनुसार यहां रोजाना 60 से 70 हजार की तादाद में श्रद्धालुओं का आगमन होता है।
इस मंदिर के दर्शन की एक खास मान्यता यह भी है कि यहां सच्चे मन से मांगी गई मुराद अवश्य पूरी होती है, इसलिए सुबह से ही यहां दूर-दराज से आए भक्तों और पर्यटकों का ताता लग जाता है। लेकिन आज हम इस मंदिर के विषय में आपको एक ऐसे तथ्य से रूबरू कराने जा रहे हैं जो सच में आपको आश्चर्यचकित कर देगा।

विशेष मान्यता
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तिरुपति बालाजी मंदिर आंध्र प्रदेश की तिरूमाला पहाड़ी पर स्थित है, जो भगवान विष्णु अपनी देवी लक्ष्मी जी समर्पित है। प्राकृतिक खूबसूरती के साथ बसा यह मंदिर पहाड़ी श्रृंखला की सात चोटियों के साथ अद्भुत नजर आता है, माना जाता है कि ये सात चोटियां भगवान आदिशेष के सात सिर का प्रतिनिधित्व करती हैं। बता दें कि भगवान विष्णु/बालाजी का मंदिर यहं की सातवी चोटी वेंकटाद्री पर है, इस वजह से बालाजी को वेंकटेश्वर के नाम से भी संबोधित किया जाता है।
माना जाता है यहां मांगी गई मन्नत जरूर पूरी होती है, मान्यता के अनुसार अगर मन्नत पूरी होने पर यहां श्रद्धालु अपने केश भगवान को चढ़ाते हैं।

मंदिर से जुड़ी बातें
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भगवान बालाजी का यह मंदिर विश्व के सबसे संपन्न मंदिरों में गिना जाना है। इस मंदिर का निर्माण दक्षिण द्रविड़ शैली में किया गया है। मंदिर की संरचना और वास्तुकला दूर से ही श्रद्धालुओं और सैलानियों को प्रभावित करने का काम करती है। मंदिर का मुख्य भाग यानी 'अनंदा निलियम' देखने में काफी आकर्षक है। 'अनंदा निलियम' में भगवान श्रीवेंकटेश्वर अपनी सात फूट ऊंची प्रतिमा के साथ विराजमान हैं।
मंदिर के तीन परकोटों पर लगे स्वर्ण कलश काफी हद तक यहां आने वाले आगंतुकों को प्रभावित करते हैं। मंदिर के अंदर आप कई खूबसूरत मूर्तियों को देख सकते हैं।

पौराणिक किवदंती
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आपको शायद पता न हो तो हम बताते हैं कि बाजाजी की मूर्ति पर चोट क निशान है, जिसको लेकर एक पौराणिक किवदंती जुड़ी है, माना जाता है कि भगवान बालाजी का एक भक्त रोजाना दुर्गम पहाड़ियों को पार को भगवान को दूध चढ़ाने के लिए आया करता था, भक्त की भक्ति और उसकी कठिनाई को देखते हुए भगवान बालाजी से यह निर्णय किया कि वो रोज उस भक्त की गौशाला में जाकर दूधपान करके आएंगे। अपने निर्णय के अनुसार भगवान ने जाना शुरू किया, जिसके लिए उनको मनुष्य का रूप धारण करना पड़ता था।
किवदंती के अनुसार एक बार उस भक्त ने उने मनुष्य रूप में भगवान को दूध पीते देख लिया, उसने गुस्से में आकर उनकर प्रहार कर दिया। माना जाता है कि उस प्रहार का निशान आज भी भगवान के शरीर पर मौजूद है, इसलिए औषधि के रूप में यहां भगवान को चंदन का लेप लगाया जाता है।

रसोई का राज
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जितना अद्भुत यह मंदिर है उससे कहीं ज्यादा हैरान कर देने यहां से जुड़े तथ्य हैं। माना जाता है कि मंदिर में मौजूद प्रतिमा से समुद्री लहरों की आवाज सुनाई देती है। इससे भी चौका देने वाला तथ्य है कि इस मंदिर में रोजाना 3 लाख लड्डुओं का निर्माण किया जाता है। आपको जानकर आश्चर्य होगा कि इन लड्डुओं के बनाने के लिए यहां के कारीगर तीन सौ साल पुरानी पारंपरिक विधि का प्रयोग करते हैं। इन लड्डुओं का निर्माण बालाजी मंदिर की गुप्त रसोई में किया जाता है। यह गुप्त रसोईघर पोटू के नाम से जाना जाता है।

कैसे करें प्रवेश
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तिरुपति बालाजी मंदिर न सिर्फ आंध्र प्रदेश बल्कि पूरे भारत में एक अलग विशेष स्थान रखता है, जहां आप तीनों मार्गों से पहुंच सकते हैं। यहां का नजदीकी हवाईअड्डा तिरुपति एयरपोर्ट है। रेल मार्ग के लिए आप यहां के तिरुपति रेलवे स्टेशन का सहारा ले सकते हैं। अगर आप चाहें ते यहां सड़क मार्गों से भी पहुंच सकते हैं। बेहतर सड़क मार्गों से तिरुपति दक्षिण भारत के कई बड़े शहरों से अच्छी तरह जुड़ा हुआ है।