हिन्दू धार्मिक मान्यताओं के अनुसार श्रीकृष्ण का जन्म रोहिणी नक्षत्र में भादो मास की कृष्ण अष्टमी हुआ था। माना जाता है कि माता देवकी ने तेज आंधी तूफान और बारिश के बीच कंस की काल कोठरी में कृष्ण को जन्म दिया था। कान्हा के जन्मदिवस को पूरे भारतवर्ष में कृष्ण जन्माष्टमी के रूप में मनाया जाता है। यह हिन्दूओं के सबसे मुख्य त्योहारों में शामिल है। इस दिन घरों में और कान्हा को समर्पित मंदिरों में भव्य आयोजन और पूजा पाठ किया जाता है।
माना जाता है इस दिन कान्हा के जन्म की कहानी सुनने से अपार आत्मिक और मानसिक शांति प्राप्त होती है। इस बार की कृष्ण जन्माष्टमी 2 सितंबर को पड़ी है। इस लेख के माध्यम से हमारे साथ जानिए गुजरात राज्य के प्रसिद्ध कृष्ण मंदिरों के बारे में, जहां आप इस दौरान दर्शन के लिए जा सकते हैं।
द्वारकाधीश मंदिर
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गुजरात स्थित द्वारकाधीश भगवान कृष्ण के सबसे प्रसिद्ध मंदिरों में से एक है। मंदिर का पौराणिक आधार और धार्मिक महत्व इसे विश्व में एक अलग पहचान प्रदान करते हैं। यह मंदिर हिन्दूओं के पवित्र तीर्थस्थलों में भी गिना जाता है। द्वारका का शाब्दिक अर्थ है 'मुक्ति का द्वार' । यह मंदिर भगवान कृष्ण को समर्पित है, और उनकी यहां पूजा द्वारकाधीश के रूप में होती है, द्वारकाधीश यानी द्वारका का राजा। यह एक पांच मंजिला मंदिर है, जो 72 स्तंभों पर खड़ा है।
इस मंदिर को जगत मंदिर या निजा मंदिर के नाम से भी संबोधित किया जाता है। यह एक प्राचीन मंदिर है, जो 2000 साल से भी पुराना बताया जाता है। आत्मिक और मानसिक शांति के लिए आप यहां आ सकते हैं।
रणछोड़राय मंदिर
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द्वारकाधीश मंदिर के अलावा आप गुजरात के दाकोर में स्थित रणछोड़राय मंदिर के दर्शन का सौभाग्य प्राप्त कर सकते हैं। भगवान कृष्ण का यह मंदिर 1772 ईस्वी से संबंध रखता है, और शहर के मुख्य बाजार के बीच स्थित है। कृष्ण को यहां रणछोड़ के नाम से संबोधित किया जाता है, क्योंकि मथुरा में जरासंध से लड़ाई के बीच वे रण या युद्ध का मैदान छोड़ कर चले गए थे, इसलिए उनका एम नाम रणछोड़ भी है।
यह एक खूबसूरत मंदिर है, जिसकी वास्तुकला पर्यटकों को काफी ज्यादा प्रभावित करती है। एक शानदार अनुभव के लिए आप यहां आ सकते हैं।
बेत द्वारका
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गुजरात स्थित बेत द्वारका भी कृष्ण के प्रसिद्ध और सबसे महत्वपूर्ण स्थलों में से एक है। बेत द्वारका को भगवान श्री कृष्ण का वास्तविक निवास स्थान माना जाता है। माना जाता है कि यहां मौजूद मुख्य मूर्ति का कृष्ण की पत्नी रुक्मिणी द्वारा किया गया था।
यहां चावल चढ़ाना शुभ माना जाता है, क्योंकि ऐसा कहा जाता है कि कृष्ण के मित्र सुदामा उनसे मिलने के लिए बेत द्वारका ही आए थे, और उन्होंने कृष्ण को भेट के रूप में चावल दिए थे। मंदिर एक द्वीप पर स्थित है, जहां आप नाव के सहार से जा सकते है।
भालका तीर्थ
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आप भगवान कृष्ण को समर्पित भलका तीर्थ के दर्शन का सौभाग्य प्राप्त कर सकते हैं। यह श्री कृष्ण से जुड़ा एक महत्वपूर्ण स्थल है, क्योकि यहां एक शिकारी से तीर लगने के बाद कान्हा ने धरती को छोड़ नीजधाम प्रस्थान किया था। माना जाता है कि भगवान कृष्ण यहां पेड़ की शाखा के तले आराम कर रहे थे, तभी किसी शिकारी का तीर गलती से उनके पैर को भेद गया।
माना जाता है कि कृष्ण ने अर्जुन को बुलवाया और हिरण, कपिला और सरस्वती संगम पर आखरी सांस ली। भालका तीर्थ मंदिर उसी स्थान पर बनाया गया है जहां कृष्ण को शिकारी का तीर लगा था।
शामलाजी मंदिर
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उपरोक्त कृष्ण मंदिरों के अलावा आप गुजरात के शामलाजी मंदिर के दर्शन भी कर सकते हैं। मेशवो नदी के तट पर स्थित यह मंदिर कान्हा के प्रसिद्ध मंदिरों में गिना जाता है। श्रीकृष्ण को यहां भगवान विष्णु के श्याम अवतार के रूप में चित्रित किया गया है और उनकी पूजा एक ग्वाल के रूप में की जाती है।
साथ ही यहां बहुत से गाय प्रतिमाओं की भी पूजा की जाती है। यह एक विशाल मंदिर है, जो 320फीट ऊंचा है, जिसकी दीवारे विभिन्न कहानियों को प्रदर्शित करती हैं। आध्यात्मिक अनुभव के लिए आप यहां आ सकते हैं।