Search
  • Follow NativePlanet
Share
» »रहस्य : इस फाटक के पार जाना मतलब मौत को गले लगाना

रहस्य : इस फाटक के पार जाना मतलब मौत को गले लगाना

यह कहानी है जैसलमेर स्थित कुलधरा गांव की। जो लगभग 170 सालों से रूहानी ताकतों के कब्जे में है। This story is from Jodhaler's Kuldhara village. Which has been occupied by mysterious power for almost 170

भारत का राजस्थान राज्य अपने ऐतिहासिक धरोहरों के साथ-साथ रहस्यमयी घटनाओं व तिलस्मी शक्तियों का गढ़ भी माना जाता है। यहां आज भी कई ऐसे पुरास्थल मौजूद हैं जहां शाम के वक्त रूहानी ताकतें वास करती हैं। जिनके सामने विज्ञान भी हार मान चुका है। यहां के खंडहरनुमा किले व गहरी बावड़ियों के अंदर कई बड़े राज छुपे हुए हैं। जिनके बारे में सटीक किसी को कुछ नहीं पता।

यहां मौजूद भानगढ़ जैसे किलों की पड़ताल खुद मीडिया कर चुका है, पर गौर करने वाली बात है कि मीडिया खुद इस बात की पुष्टि करता है कि यहां सच में अदृश्य शक्तियों का निवास है, जो नहीं चाहती हैं कि यहां कोई आए। आज हमारे साथ जानिए राजस्थान के किलों से दूर एक ऐसे रहस्यमयी गांव के बारे में जहां चलती हैं सिर्फ शैतानी हुकूमत।

जैसलमेर का रहस्यमयी गांव

जैसलमेर का रहस्यमयी गांव

PC- Chandra

यह कहानी है जैसलमेर स्थित कुलधरा गांव की। जो लगभग 170 सालों से रूहानी ताकतों के कब्जे में है। जहां शाम के वक्त परिंदों को भी जाने की इजाजत नहीं। वीरान पड़ा यह कुलधरा गांव आज भारत के चुनिंदा पैरानॉर्मल साइट्स में गिना जाता है। भूतियां गांव के नाम से मशहूर इस कुलधरा को देखने रोजाना कई पर्यटक आते हैं। जिनमें से कई लोगों ने यहां अदृश्य शक्ति होने का दावा किया है। यह गांव जैसलमेर से 18 किमी की दूरी पर स्थित है।

एक श्राप के चलते हुआ वीरान

एक श्राप के चलते हुआ वीरान

PC- Tomas Belcik

स्थानीय लोगों की मानें तो कुलधरा एक श्रापित गांव है। जहां कभी पालीवाल ब्राह्मणों के कई परिवार रहते थे। पर एक घटना के चलते इस गांव को रातों-रात यहां के ब्राह्मणों ने खाली कर दिया। और जाते-जाते यह श्राप दिया कि यह गांव कभी आबाद नहीं हो पाएगा। तब से लेकर आजतक यह गांव वीरान पड़ा है। यह गांव अब पूरी तरह से खंडहर में तब्दील हो चुका है, जिसके घर अब कुछ और ही कहानी बयां करते हैं।

कभी था हंसता खलेता गांव

कभी था हंसता खलेता गांव

PC- nevil zaveri

कुलधरा कभी एक हंसता-खेलता गांव हुआ करता था। जहां के पालीवाल लोग काफी मेहनती और रईस हुआ करते थे। कहा जाता है कि यहां करीब 600 घर मौजूद थे। बड़े ही वैज्ञानिक तरीकों से भवनों का निर्माण किया गया था। ईंट-पत्थरों के द्वारा बनाए इन घरों की दीवारों में काफी ठंडक हुआ करती थी। जो तेज गर्मी में भी वातानुकूलन का एहसास देती थीं। घरों की दिशा कुछ ऐसी होती थी कि हवा सीधे अंदर तक जाती थी। घरों के अंदर पानी के कुंड होने के भी प्रमाण मिलते हैं।

पालीवालों की समृद्धि का रहस्य

पालीवालों की समृद्धि का रहस्य

PC- Tomas Belcik

पालीवाल ब्राह्मणों के कौशल का इस बात से पता चलता है कि उन्होंने अपनी मेहनत और लगन से रेगिस्तान की बंजर जमीं को हरा-भरा कर दिया। रेगिस्तान में खेती सोचना ही अचरज भरा लगता है। पालीवाल अपनी मेहनत से दिन प्रतिदिन तरक्की करते चले गए। जिसके कारण कुलधरा एक समृद्ध गांव में बन पाया। खेतों व जलाशयों के निर्माण किए गए। जिसके कारण यहां मवेशियों की संख्या में भी इजाफा हुआ। अपनी वैज्ञानिक तकनीकों के बल पर गांववालों ने वर्षा के जल को भी संचित करना शुरू किया।

कुलधरा के वीरान होने की कहानी

कुलधरा के वीरान होने की कहानी

PC - Tomas Belcik

इस गांव के वीरान होने की पीछे अय्यास दीवान सालम सिंह का हाथ बताया जाता है। जिसकी गंदी नजर गांव की किसी ब्राह्मण कन्या पर पड़ गई। उस खूबसूरत लड़की के पीछे सालम सिंह इस कदर पागल हुआ कि वो उसे हर हाल में पाना चाहता था। उसने लड़की को पाने के लिए ब्राह्मणों पर दबाव बनाना शुरू किया। यहां तक की उसने लड़की उठा ले जाने तक की धमकी दे दी। गांव की बेटी की लाज बचाने के लिए ब्राह्मणों ने गांव छोड़ने का एक बड़ा निर्णय लिया और रातों-रात कुलधरा खाली हो गया। लेकिन जाते-जाते पालिवालों ने एक श्राप दिया की यह गांव कभी आबाद नहीं हो पाएगा।

गांव पर शैतानी साया

गांव पर शैतानी साया

कहा जाता है कि इस पर गांव पर अब रूहानी ताकतों का साया है। खंडहर में तब्दील यहां के भवन अब रहस्यमयी ताकतों का अड्डा बन चुके हैं। हालांकि यह जगह अब एक पर्यटन गंतव्य बन चुकी है, लेकिन यहां शाम का मंजर कुछ और ही होता है। कुलधरा घूमने आएं बहुत से पर्यटकों का मानना है कि यहां ब्राह्मणों की आहट सुनाई देती है। बाजारों की चलह-पहल की आवाजें आती हैं। साथ ही चूड़ियों व पायलों की आवाजें भी सुनाई देती हैं। जो इस जगह को काफी भयावह बनाने का काम करती हैं। सुरक्षा को ध्यान में रखते हुए यहां एक फाटक बनाया गया है, जिसके पार जाने की किसी को इजाजत नहीं। रात में इस फाटक को पार करना मतलब मौत को दावत देना।

कैसे पहुंचे कुलधरा

कैसे पहुंचे कुलधरा

PC- chispita_666

कुलधरा, जैसलमेर से 18 किमी की दूरी पर स्थित है। आप यहां सड़क/रेल/हवाई मार्गों से आ सकते हैं। यहां का नजदीकी हवाई अड्डा जोधपुर स्थित है। जो घरेलू व अंतरराष्ट्रीय फ्लाइट्स से जुड़ा हुआ है। इसके अलावा आप रेल मार्ग का सहारा ले सकते हैं। जैसलमेर रेलवे स्टेशन देश के कई बड़े शहरों से जुड़ा हुआ है। आप चाहें तो सड़क मार्गों से भी यहां तक पहुंच सकते हैं। दिल्ली से आपको आसानी से जैसलमेर के लिए बस मिल जाएगी।

तुरंत पाएं न्यूज अपडेट
Enable
x
Notification Settings X
Time Settings
Done
Clear Notification X
Do you want to clear all the notifications from your inbox?
Settings X